ल्यूकीमिया सेल्स सीधे तौर पर रक्त को बहुत प्रभावित करते हैं। हालांकि ल्यूकीमिया के लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है, लेकिन जो लोग ल्यूकीमिया के लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं और ल्यूकीमिया का समय पर इलाज नहीं करवाते उनका जीवन अधिकतम चार साल ही होता है। हालांकि यह भी मरीज की उम्र ,प्रतिरोधक क्षमता और ल्यूकीमिया के प्रकार पर निर्भर करता हैं। क्या आप जानते हैं ल्यूकीमिया यानी रक्त कैंसर का इलाज ल्यूकीमिया के प्रकारों के आधार पर ही होता है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि ल्यूकीमिया कितने तरह का होता है, ल्यूकीमिया की अवस्थाएं कौन-कौन सी हैं। इसके साथ ही यह भी सवाल उठता है कि क्या सभी प्रकार के ल्यूकीमिया का इलाज संभव है। इन सब बातों को जानने के लिए ल्यू्कीमिया के प्रकारों को जानना जरूरी है। तो आइए जानें ल्यूकीमिया के प्रकार के बारे में।
- ल्यूकीमिया कैंसर का ही एक प्रकार है। यानी ब्लड कैंसर के प्रकारों में से एक प्रकार ल्यूकीमिया है। और ल्यूकीमिया के भी कई प्रकार हैं।
- ल्यूकीमिया से लिम्फेटिक सिस्टम और बोन मैरो भी बहुत अधिक प्रभावित होते हैं।
- बच्चों में होने वाला ल्यूकीमिया एक्यूट और क्रोनिक ल्यूकीमिया होता है। दरअसल युवाओं में आमतौर पर एक्यूट ल्यूकीमिया होता है। लेकिन बच्चों की तुलना में युवाओं को 10 गुना अधिक ल्यूकीमिया होने की संभावना रहती है।
- एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकीमिया बचपन में ही हो सकता है। इतना ही नहीं कैंसर के मरीजों में 2 फीसदी मरीज ल्यूकीमिया के होते हैं।
- ल्यूकीमिया एक-दो तरह से सफेद रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। लिम्फोसाइट्स और ग्रैन्यूलोसाइट्स।
- शोधों में यह बात सामने आई है कि ल्यूकीमिया कैंसर महिलाओं के मुकाबले पुरूषों में अधिक देखने को मिलता है।
- जो लोग अधिक सफेद होते हैं उनको ल्यूकीमिया होने का खतरा अधिक रहता है या फिर जिन लोगों में खून की कमी होती है उनको भी ल्यूकीमिया हो सकता है।
ल्यूकीमिया के प्रकार-
आमतौर पर ल्यूकीमिया दो प्रकार का होता है लेकिन फिर भी ल्यूकीमिया के कई और प्रकार भी हो सकते हैं।
- लिंफोसाईटिक ल्यूकीमिया: ल्यूकीमिया का यह प्रकार लिम्फोसाइट्स यानी लिंफॉईड कोशिकाओं के शरीर में अधिक विकसित या फिर इनकी असामान्य उत्पत्ति के कारण होता है।
- माइलोसाईटिक ल्यूकीमिया: ल्यूकीमिया का यह प्रकार माइलोसाईट यानी मोनोसाईट्स सेल्स की मात्रा के बढ़ने से होता है। जब शरीर में बहुत अधिक मोनोसाईट्स उत्पन्न हो जाती है या फिर इनकी असीमित वृद्घि होने लगती है तो माइलोसाईटिक ल्यूकीमिया विकसित होने लगता है।
ल्यूकीमिया के कई और प्रकार भी है जो कि ल्यूकीमिया को जानने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं-
- एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया - Acute Lymphoblastic Leukemia (ALL)
- क्रोनिक लिम्फोसायटिक ल्यूकेमिया - Chronic Lymphocytic Leukemia (CLL)
- एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया - Acute Myelogenous Leukemia (AML)
- क्रोनिक माइलोजेनस ल्यूकेमिया- Chronic Myelogenous Leukemia (CML)
क्या आप जानते हैं ल्यूकीमिया के प्रकार अलग-अलग हैं लेकिन ल्यूकीमिया के कारण बहुत सारे हैं। ल्यूकीमिया रेडिएशन के संपर्क में आने से भी हो सकता है। यदि आप हाइड्रोकार्बन या बेंजीन जैसे केमिकल्स के संपर्क में बहुत अधिक रहते हैं तो भी आपको ल्यूकीमिया यानी रक्त कैंसर हो सकता है।
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