ब्रेस्ट मिल्क (breast milk) कितने तरह के होते हैं? जानें इनके प्रकार और फायदे

रंग और मात्रा के आधार पर श‍िशु की ड‍िलीवरी के बाद ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क 6 प्रकार या स्‍टेज का होता है 
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ब्रेस्ट मिल्क (breast milk) कितने तरह के होते हैं? जानें इनके प्रकार और फायदे

अगस्‍त के पहले हफ्ते में वर्ल्ड ब्रेस्‍टफीड‍िंग वीक मनाया जाता है, इसका उद्देश्‍य है क‍ि लोगों तक स्‍तनपान के महत्‍व को समझने की जागरूकता फैले। बच्‍चे को ज‍िंदगी भर गंभीर रोगों से बचाने के ल‍िए उसे बचपन में मां का दूध देना जरूरी है। ड‍िलीवरी के बाद से स्‍तनपान करवाया जाता है ज‍िसकी मात्रा और कन्‍स‍िसटेंसी समय के साथ बदलती जाती है। शुरूआत में पहला दूध सबसे अध‍िक गाढ़ा और पीला होता है ज‍िसे कोलोस्‍ट्रम कहा जाता है, इसके बाद 5 अन्‍य स्‍टेज आती हैं जब दूध का रंग और मात्रा में बदलाव आता है। इस आधार पर ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क के 6 स्‍टेज या ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क 6 प्रकार के होते हैं। इस लेख में हम ह्यूमन म‍िल्‍क के प्रकार और उनके फायदों पर चर्चा करेंगे। इस व‍िषय पर ज्‍यादा जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के झलकारीबाई अस्‍पताल की गाइनोकॉलोज‍िस्‍ट डॉ दीपा शर्मा से बात की। 

types of breast milk

ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क क‍िन चीजों से म‍िलकर बना होता है? 

ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क में कई पोषक तत्‍व होते हैं ज‍िनकी ग‍िनती कर पाना म‍ुश्‍क‍िल है पर मुख्‍य तौर पर ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क में प्रोटीन, फैट, कॉर्बोहाइड्रेट्स, व‍िटाम‍िन और म‍िनरल, पानी, इंजाइम्‍स, हार्मोन्‍स मौजूद होते हैं। इनकी मात्रा हर मां के शरीर में अलग होती है। अगर ड‍िलीवरी के बाद दूध की मात्रा कम हो तो घबराएं नहीं, दो से तीन द‍िन में मात्रा बढ़ेगी। ज्‍यादातर केस में ड‍िलीवरी के तीसरे द‍िन से ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क की मात्रा बढ़ने लगती है। पहली बार मां बन रही मह‍िलाओं को ड‍िलीवरी के पांचवे द‍िन ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क बढ़ने का अहसास होगा। ह्यूमन म‍िल्‍क मुख्‍य तौर पर 6 स्‍टेज या प्रकार में बंटा होता है-

1. कोलोस्‍ट्रम (Colostrum)

colostrum milk

कोलोस्‍ट्रम क‍िसी भी बच्‍चे के जीवन के ल‍िए सबसे जरूरी म‍िल्‍क माना जाता है। ये हर पर‍िवार और स्‍वास्‍थ्‍यकर्म‍ियों की ज‍िम्‍मेदारी है क‍ि बच्‍चे को जन्‍म के चार घंटे के भीतर कोलोस्‍ट्रम यानी जन्‍म के बाद का पहला दूध म‍िले। इसकी मात्रा बहुत कम होती है लेकि‍न इसमें पोषक तत्‍व होते हैं। द‍िखने में कोलोस्‍ट्रम पीला और गाढ़ा होता है। ड‍िलीवरी के बाद 4 से 5 द‍िनों तक बच्‍चे को कोलोस्‍ट्रम म‍िलता है। कोलोस्‍ट्रम में बीटा-कैरोटीन की मात्रा ज्‍यादा होती है। कोलोस्‍ट्रम दूध में प्रोटीन की मात्रा सबसे ज्‍यादा होती है। कोलोस्‍ट्रम में एंटी बॉडीज और डब्‍ल्‍यूबीसी सैल्‍स की मात्रा सबसे ज्‍यादा होती है। कोलोस्‍ट्रम में इम्‍यून स‍िस्‍टम के ल‍िए जरूरी प्रोटीन होते हैं, धीरे-धीरे द‍िन बीतने के साथ कोलोस्‍ट्रम में मौजूद प्रोटीन कम होने लगता है पर ये हर स्‍टेज पर दूध में मौजूद होता है। 

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2. ट्रांजिशन मिल्‍क (Transitional milk)

ट्रांज‍िशन म‍िल्‍क ड‍िलीवरी के एक से दो हफ्ते बाद आना शुरू होता है। ट्रांज‍िशन म‍िल्‍क में प्रोटीन की मात्रा कम होती है। ट्रांज‍िशन मिल्‍क मीठा होता है और इसमें फैट की मात्रा भी ज्‍यादा होती है। ट्रांज‍िशन म‍िल्‍क का रंग सफेद और पीले रंग के बीच का होता है। ट्रांजिशन म‍िल्‍क को कोलोस्‍ट्रम और मैच्‍योर म‍िल्‍क का कॉम्‍बिनेशन कहा जाता है। 

3. मैच्‍योर मिल्‍क (Mature milk)

mature milk

बच्‍चे की ग्रोथ के ल‍िए जो भी जरूरी पोषक तत्‍वों की जरूरत होती है वो सब मैच्‍योर म‍िल्‍क के जर‍िए बच्‍चे को म‍िल जाता है। मैच्‍योर म‍िल्‍क पतला और पानी जैसी कन्‍स‍िसटेंसी का होता है। मैच्‍योर म‍िल्‍क का रंग हर मां में अलग हो सकता है, अगर दूध में फैट की मात्रा ज्‍यादा है तो रंग पीला होगा नहीं तो मैच्‍योर म‍िल्‍क सफेद भी हो सकता हे। ड‍िलीवरी के दो हफ्तों बाद मैच्‍योर म‍िल्‍क बच्‍चे को म‍िलता है। मैच्‍योर म‍िल्क में 90 प्रत‍िशत पानी होता है। मैच्‍योर म‍िल्‍क की बात करें तो एक स्‍टडी के मुताब‍िक ड‍िलीवरी के 18 महीनों बाद ह्यूमन म‍िल्‍क में कॉर्ब्स की मात्रा कम होती है और फैट व प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है। 

4. प्रीटर्म म‍िल्‍क (Preterm milk)

जो मां समय से पहले बच्‍चे को जन्‍म दे देती है उस मां के जर‍िए बच्‍चे को स्‍तनपान करवाए गए दूध को प्रीटर्म म‍िल्‍क कहते हैं। प्रीटर्म म‍िल्‍क में आयरन, सोड‍ियम की मात्रा अच्‍छी होती है। प्रीटर्म म‍िल्‍क में प्रोटीन की भी अच्‍छी मात्रा होती है। ऐसा नहीं है क‍ि समय से पहले जन्‍मे बच्‍चे को स्‍तनपान के दौरान पोषण की कमी होगी, क‍िसी भी स्‍टेज का ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क बच्‍चे के ल‍िए हर हाल में पोषण से भरपूर होता है। 

5. फोरमिल्‍क (Fore milk)

फोरम‍िल्‍क का रंग सफेद होता है। फोरम‍िल्‍क से बच्‍चे की प्‍यास बुझती है। फोरम‍िल्‍क ज्‍यादा गाढ़ा नहीं होता है। इस दूध में व‍िटाम‍िन और म‍िनरल की मात्रा ज्‍यादा होती है। फोरम‍िल्‍क में प्रोटीन की भी अच्‍छी मात्रा होती है। फोरम‍िल्‍क का स्‍वाद ज्‍यादा मीठा होता है। फोरम‍िल्‍क पतला होने के कारण इसमें फैट की मात्रा कम होती है। 

6. ह‍िंडम‍िल्‍क (Hind milk)

ब्रेस्‍टमिल्‍क की आख‍िरी स्‍टेज को ह‍िंड म‍िल्‍क कहा जाता है। ह‍िंड म‍िल्‍क में फैट की मात्रा ज्‍यादा होती है। ह‍िंड म‍िल्‍क की मात्रा भी ज्यादा होती है क्‍योंक‍ि ब्रेस्‍टफीड करवाने के कारण दूध की मात्रा इस स्‍टेज तक बढ़ जाती है। इस दूध में प्रोटीन की मात्रा ज्‍यादा होती है ज‍िससे बच्‍चे की भूख शांत होती है। बच्‍चे की ग्रोथ के ल‍िए ह‍िंड म‍िल्‍क जरूरी होता है। 

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रूम टैम्‍प्रेचर पर 6 से 8 घंटे सुरक्ष‍ित रहता है ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क

breast milk storage

आप ज‍िताना ज्‍यादा बच्‍चे को स्‍तनपान करवाएंगे आपके शरीर में दूध की मात्रा उतनी ही बढ़ेगी। अगर बच्‍चा स्‍तनपान करने के ल‍िए तैयार नहीं होता है तो उसे पंप की मदद से ब्रेस्‍टमि‍ल्‍क न‍िकालकर कटोरी-चम्‍मच में डालकर भी प‍िला सकती हैं। ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क को रूम तापमान पर 6 से 8 घंटों के ल‍िए रखा जा सकता है वहीं फ्र‍िज में ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क 5 द‍िनों तक रखा जा सकता है और फ्र‍िजर में म‍िल्‍क को दो हफ्तों तक स्‍टोर क‍िया जा सकता है पर पहले आपको बच्‍चे को मां से च‍िपकाकर ही स्‍तनपान करवाने की कोश‍िश करनी चाह‍िए।

ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क की मात्रा बढ़ाने के ल‍िए क्‍या करें?

अगर आप ब्रेस्‍टफीड‍िंग करवा रही हैं तो आपको अपनी डाइट पर ध्‍यान देना चाह‍िए क्‍योंक‍ि कई फैक्‍टर्स हैं ज‍िनका असर ब्रेस्‍ट म‍िल्‍क की गुणवत्‍ता और मात्रा पर पड़ता है जैसे शराब पीना, एल्‍कोहॉल का सेवन, हार्मोन्‍स में बदलाव, दवाओं का सेवन आद‍ि। आपको ब्रेस्‍ट फीड‍िंग के दौरान ऐसी डाइट लेनी चाह‍िए ज‍िसमें फल और सब्‍ज‍ियों की मात्रा ज्‍यादा हो। 

वैसे तो हर मां अपने बच्‍चे को स्‍तनपान करवाने में सक्षम होती है लेक‍िन अगर आपको स्‍तनपान करवाने में कठि‍नाई हो तो आप लैक्‍टेशन एक्‍सपर्ट की मदद ले सकती हैं।

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