
डायबिटीज और थायरॉइड वैसे तो दो अलग बीमारियां हैं, लेकिन किसी व्यक्ति को थायरॉइड की बीमारी और डायबिटीज का एक-साथ होना बेहद सामान्य बात है, क्योंकि दोनों बीमारियाँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। डायबिटीज से पीड़ित लोगों में थायरॉइड की बीमारी होने की संभावना काफी अधिक होती है, और इसी तरह थायरॉइड के मरीजों को डायबिटीज होने की संभावना ज़्यादा होती है। डायबिटीज और थायरॉइड, दोनों ही एंडोक्राइन रोग या हार्मोन से जुड़ी समस्याएँ हैं जो अक्सर साथ-साथ चलती हैं। इन दोनों बीमारियों का आपस में संबंध समझने और इनके खतरों के बारे में जानने के लिए हमने बात की जमशेदपुर के सिटी डायबिटीज एंड मल्टीस्पेशलिटी केयर के डायरेक्टर और कार्डियो डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. राम कुमार (MD Medicine) से। उन्होंने हमें दोनों बीमारियों के बारे में कुछ जरूरी जानकारियां दी हैं। आइए जानते हैं।
थायरॉइड रोग क्या है?
थायरॉइड रोग, दरअसल कई अलग-अलग बीमारियों के लिए संदर्भ में इस्तेमाल किया जाने वाला एक शब्द है। यह रोग थायरॉइड ग्रंथि (गले पर तितली के आकार का एक अंग) पर बुरा असर डालता है, और इसमें निम्नलिखित समस्याएँ शामिल हैं:
- हाइपोथायरॉयडिज़्म (थायरॉइड की सक्रियता में कमी)
- हाइपरथायरॉयडिज़्म (थायरॉइड की सक्रियता में वृद्धि)
- ग्रेव्स डिजीज़, हाशिमोटोज़ डिजीज़, गॉइटर (थायरॉइड के आकार में वृद्धि), थायरॉइडाइटिस (थायरॉइड ग्रंथि में सूजन), थायरॉइड कैंसर, जैसी बीमारियों की संभावना
अगर डायबिटीज से पीड़ित किसी व्यक्ति में थायरॉइड रोग का पता चलता है, तो उसके शरीर में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना बेहद मुश्किल हो जाता है। साथ ही, थायरॉइड का इलाज नहीं कराने पर मरीजों में डायबिटीज के नियंत्रण पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
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डायबिटीज और थायरॉइड रोग के बीच संबंध
- डायबिटीज के नियंत्रण में इंसुलिन नामक हार्मोन की सबसे अहम भूमिका होती है, और यही इंसुलिन थायरॉइड ग्रंथि को भी प्रभावित कर सकता है।
- थायरॉइड हार्मोन हमारे शरीर की वृद्धि, विकास और मेटाबॉलिज्म जैसी कई जैविक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है।
- चूँकि थायरॉइड रोग का असर हमारे मेटाबॉलिज्म पर भी पड़ता है, इसलिए यह व्यक्ति के ब्लड शुगर लेवल में भी गड़बड़ी पैदा कर सकता है। एक तरह से, यह डायबिटीज होने के खतरे को बढ़ा देता है, और अगर व्यक्ति को पहले से ही डायबिटीज है तो इसके बाद ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना बेहद कठिन हो जाता है।

थायरॉइड रोग हमारे ब्लड शुगर लेवल को किस तरह प्रभावित करता है?
हाइपरथायरॉयडिज़्म के मामले में, जब मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया काफी तेज हो जाती है तो उस स्थिति में दवाइयाँ भी शरीर से बड़ी जल्दी बाहर निकल जाती हैं। ऐसी स्थिति में ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है, क्योंकि दवाई की सामान्य खुराक इसे नियंत्रित करने के लिए शरीर में पर्याप्त समय तक मौजूद ही नहीं रहती है।
हाइपरथायरॉयडिज़्म और ब्लड ग्लूकोज़ लेवल में कमी के बीच अंतर कर पाना थोड़ा कठिन होता है, क्योंकि दोनों के लक्षण एक-जैसे हो सकते हैं। जब हाइपरथायरॉयडिज़्म की वजह से पसीना आ रहा हो और कंपकंपी (शरीर के एक या अधिक अंगों में कंपन) हो, तो कोई यह सोच सकता है कि उसका ब्लड ग्लूकोज़ लेवल कम हो गया है, और ऐसे व्यक्ति को अतिरिक्त भोजन कराया जाता है। ऐसा करने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। ऐसे मामलों में ग्लूकोज़ मीटर का उपयोग करना चाहिए, ताकि यह पता चल सके कि यह समस्या ब्लड ग्लूकोज़ लेवल में कमी के कारण हुई है अथवा नहीं।
हाइपोथायरॉयडिज़्म के मामले में, जब मेटाबॉलिज्म की दर धीमी हो जाती है, तो ब्लड शुगर लेवल सामान्य से नीचे आ सकता है, क्योंकि डायबिटीज की दवा आमतौर पर लगने वाले समय की तुलना में शरीर से काफी देरी से बाहर निकलती है और इन दवाइयों का असर लंबे समय तक बरकरार रहता है। इसलिए, ब्लड शुगर लेवल को काफी कम होने से रोकने के लिए अक्सर डायबिटीज की दवाओं की खुराक को कम करना जरूरी होता है।
थायरॉइड और डायबिटीज दोनों होने पर क्या करें
अगर कोई व्यक्ति थायरॉइड या फिर डायबिटीज से पीड़ित हो, तो उस व्यक्ति के लिए डायबिटीज की नियमित तौर पर जाँच कराना अनिवार्य है, ताकि दूसरी बीमारी का शुरुआत में ही पता चल सके और सही समय पर इलाज किया जा सके। अगर इनमें से किसी एक बीमारी के नियंत्रण पर अच्छी तरह ध्यान नहीं दिया जाए, तो दूसरी बीमारी को नियंत्रित कर पाना बेहद कठिन हो सकता है।
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कौन सी सावधानियां हैं जरूरी
अगर किसी को डायबिटीज है और उसे थायरॉइड हार्मोन के स्तर में वृद्धि का पता चलता है या इसके विपरीत स्थिति का पता चलता है, तो ऐसे में कुछ सरल अभ्यास का पालन किया जा सकता है4:
- पर्याप्त नींद लेना (6-7 घंटे की नींद जरूरी है)
- नियमित तौर पर व्यायाम करना
- अपने खान-पान के बारे में सतर्क रहना
- डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों का समय पर सेवन करना
- ब्लड शुगर और थायराइड हार्मोन के स्तर की नियमित रूप से जाँच करवाना
थायरॉइड रोग और डायबिटीज एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, और दोनों रोगों का एक साथ होना सामान्य बात है। थायरॉइड से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को डायबिटीज की नियमित तौर पर जाँच करवानी चाहिए, और डायबिटीज से पीड़ित लोगों को थायरॉइड के स्तर की नियमित जाँच करवानी चाहिए। एक बार इन समस्याओं का पता चल जाने के बाद, थायरॉइड और ब्लड शुगर लेवल की निगरानी के लिए नियमित जाँच कराना बेहद जरूरी है, ताकि दोनों बीमारियों को आसानी से नियंत्रित किया जा सके।