फ्लू एक संक्रामक बीमारी है जो ज्यादातर सर्दियों के मौसम में होती है। इसे इन्फ्लूएन्जा नाम से भी जाना जाता है। यह एक श्वसन संक्रमण है जो इन्फ्लूएन्जा वायरस से होता है। ये संक्रमण विशिष्ट रूप से हवा या एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे संपर्क से फैलता है।
इन्फ्लूएन्जा वायरस अति संक्रामक होता है। इस वायरस के सबसे आम प्रकार ए और बी हैं। इन्फ्ल्यूएंजा आम तौर पर एक वार्षिक महामारी के लिए जिम्मेदार होता है। अधिकांश लोगों को अपने जीवन के दौरान कई बार फ्लू के संक्रमण होते हैं। इस लेख में जानिए फ्लू से बचने के तरीकों के बारे में।
टीका लगवायें
फ्लू से बचाव के लिए टीका लगवाना बहुत जरूरी है, यह इससे बचाव का शॉर्टकट तरीका भी है। क्योंकि इससे कुदरती तौर पर हमारी इम्युनिटी का स्तर बढ़ जाता है। प्रत्येक वर्ष स्कूली आयु वर्ग के बच्चों सहित उन सभी लोगों को टीकाकरण की सलाह दी जाती है जो इन्फ्लूएंजा से बीमार होने या दूसरों को इन्फ्लूएंजा संचारण के जोखिम को कम करना चाहते हैं।
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किसे दी जाती है टीकाकरण की सलाह
- उम्र के 6 महीने से 18 साल की आयु वर्ग के सभी बच्चे और किशोर, खासकर वे जो दीर्घकालिक एस्पीरिन चिकित्सा करवा रहे हैं और इसलिए जिन्हें इन्फ्लूएंजा संक्रमण के बाद "रिये" सिंड्रोम से ग्रस्त होने का जोखिम हो सकता है।
- वे सभी लोग जो 50 वर्ष की आयु से अधिक के हैं।
- महिलायें जो गर्भवती हैं या इन्फ्लूएंजा के मौसम के दौरान गर्भवती होंगी।
- वयस्क और बच्चे जिन्हें दीर्घकालिक फेफड़े के रोग (अस्थमा सहित), हृदय रोग, गुर्दे के रोग, किडनी के रोग, मेटाबोलिक विकार हैं।
- वयस्क और बच्चे जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है।
- ऐसे लोग जो नर्सिंग होम में काम करते हैं।
- वयस्कों या बच्चे, जो कम से कम 5 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और 50 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों के संपर्क में रहते हैं।
- वयस्क या बच्चे जो उन लोगों के संपर्क में रहते हैं जिसके कारण फ्लू का जोखिम बना रहता है।
- फ्लू के टीके 65 वर्ष की कम आयु के स्वस्थ लोगों में लगाये जाते हैं, इसे लगाने के बाद संक्रमण फैलने की संभावना 70-90% तक कम हो जाती है।
स्वच्छता पर ध्यान दें
गंदगी के कारण भी फ्लू का वायरस फैलता है, इसलिए स्वच्छता पर विशेष ध्यान दीजिए। वायरस आमतौर पर खांसी द्वारा हवा के माध्यम से फैलता है। यह सीधे संपर्क में आता है, जैसे- हाथ मिलाने या चुंबन से भी फैल सकता है। इसी कारण से स्वच्छता से जुड़ी आदतों जैसे खांसते हुए मुंह को ढकना और नियमित हाथ धोने के अभ्यास से आप फ्लू को स्वयं से दूर रख सकते हैं और दूसरों को भी इसके संपर्क में आने से बचा सकते हैं।
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एंटीवायरल दवाएं
कुछ एंटीवायरल दवायें हैं जिनका सेवन करने से फ्लू के संक्रमण से बचाव किया जा सकता है। लेकिन इन दवाओं के सेवन से पहले चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
खानपान पर ध्यान दें
सही खानपान से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। हमारे इम्यून-सिस्टम का 30-40 प्रतिशत हिस्सा खानपान और पाचन पर ही निर्भर करता है। दही जैसे प्रोबायोटिक्स की दैनिक खुराक शुगर, मीट, दवाओं और तले-भुने भोजन की वजह से शरीर में होने वाले कुदरती असंतुलन को ठीक करती है। दिन में पांच फल या सब्जी खाने का नियम बनाइये। अपनी खाने की थाली को रंगबिरंगी बनाएं, जितने ज्यादा रंग, उतना ही पौष्टिक खाना।
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