स्वाइन फ्लू और अस्थमा में क्या करें

स्वाइन फ्लू का वायरस तो सामान्य इंसान को भी परेशान कर देता है, लेकिन अगर अस्‍थमा भी इसके साथ है तो क्‍या करना चाहिए, इस लेख में हम आपको बता रहे हैं।
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स्वाइन फ्लू और अस्थमा में क्या करें


बीमार होना किसी को पसंद नहीं। ऐसे में जब मौसम बदल रहा हो तो फ्लू के वायरस का डर सताता है और यह अपने साथ अस्‍थमा भी लेकर आता है। ऐसे में आपको विशेष तौर पर सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि फ्लू के वायरस का आप पर अटैक करने के ज्यादा चांसेस होते हैं। खासकर तो स्वाइन फ्लू से आपको अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। साथ ही आपको फ्लू से बचने की सारी जानकारी औऱ दवाईयां अपने पास रखनी चाहिए। अगर आप स्‍वाइन फ्लू और अस्‍थमा की चपेट में हैं तो क्‍या करें, इसके बारे में इस लेख में चर्चा करते हैं।  

Asthma

स्वाइन फ्लू के 28 प्रतिशत मरीज अस्थमा से भी पीड़ित

एक अध्ययन के अनुसार हॉस्पीटल आने वाले स्वाइन फ्लू से ग्रस्त मरीजों में एक तिहाई या 28 प्रतिशत मरीज अस्थमा के भी मरीज हैं। यह अध्ययन हाल ही में न्यू इंगलैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश हुई है। पच्चीस प्रतिशत मरीजों के केस इनसेंटिव केयर यूनिट के तहत एडमिट किए गए, जबकि सात प्रतिशत मरीज को बचाया नहीं जा सका। ये सारे मरीज अस्थमा से पीड़ित थे। इन आंकड़ो से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर अपको अस्थमा है तो स्वाइन फ्लू आपके लिए कितना घातक सिद्ध हो सकता है।   

सावधानी ही है उपाय

इसमें कोई दो राय नहीं है कि स्वाइन फ्लू के वायरस के लिए अस्थमा के मरीज अटैक करने के लिए ईजी टास्क होते हैं। सबसे अधिक चिंता की बात तो ये है कि अस्थमा के मरीजों को स्वाइन फ्लू का वायरस अधिक तंग करता है और उनमें गंभीर बीमारी का रुप धारण कर लेता है। ऐसे में यह वायरस के कारण अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति की हालत और अधिक खराब हो जाती है। अगर आप इन खतरनाक स्थितियों से बचना चाहते हैं तो आपको मालुम होना चाहिए की ऐसी स्थितियों में क्या करें-

  • फ्लू का मौसम आते ही चिकित्सक से परामर्श लेकर स्वाइन फ्लू (एच-1 एन-1) का टीका लगवाएं। यह टीका 6 महीने से लेकर 64 साल की उम्र तक के लोगों के लिए फायदेमंद है और स्वाइन फ्लू से रक्षा करता है।
  • अगर उपचार के लिए आपको 10 दिनों की टेमीफ्लू या रेलेंजा जैसी एंटीवायरस दवाईयां मिली हैं तो उसे लेने से पहले अपने अस्थमा के डॉक्टर से जरूर पूछें।


अन्य उपाय

  • किसी भी काम या खाने से पहले और बाद में अपने हाथों को साबुन से लगभग 20 सेकेंड्स के लिए धोएं। अगर हो सके तो हर दो घंटे बाद भी आप अपने हाथों को धोकर वायरस से दूर रह सकते हैं।
  • इसके अलावा आप हैंड सेनिटाइजर का भी उपयोग करें।
  • खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को टिश्यू पेपर से जरूर ढकें और इस्तेमाल के बाद टिश्यू पेपर को कचरे के डिब्बे में फेंक दें। इन हालातों में रुमाल का उपयोग ना ही करें तो बेहतर है।
  • अगर आपके सामने कोई फ्लू से संक्रमित व्यक्ति है तो उनसे दूरी बना कर रखें।
  • अपने मोबाइल, कंप्यूटर के कीबोर्ड, रिमोट कंट्रोल, दरवाजों के हैंडल जैसी रोजाना में उपयोग में लाई जाने वाली चीजों की नियमित सफाई करें।
  • अगर इन तरीकों के अलावा भी इन बीमारी पर आप काबू नहीं पा रहे हैं तो चिकित्‍सक से परामर्श लेने में बिलकुल भी संकोच न करें।

 

Image Source @ Getty

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