शहरी नहीं, ग्रामीण बच्चे हो रहे मोटापे के शिकार

अगर आप सोचते हैं कि मोटापा केवल शहर की बीमारी है तो आप गलत हैं। हाल ही में किए गए शोध के अनुसार शहरी बच्चों के बजाय ग्रमीण बच्चे मोटापा का शिकार हो रहे हैं।
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शहरी नहीं, ग्रामीण बच्चे हो रहे मोटापे के शिकार


शहरीकरण के दौर में जितनी भी खामियां आती हैं उसे शहर के लाइफस्टाइल से जोड़ कर देखा जाता है। लेकिन हाल ही में आए चीनी सर्वेक्षण इस बात को नकारता है। साधारण तौर पर अर्बन लाइफस्टाइल और शहरी खानपान को मोटापे का कारण माना जाता है। जबकि नए स्टडी के अनुसार ग्रामीण बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से फैलती नजर आ रही है।

ये स्टडी चीन में की गई है जिसके परिणाम ‘यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी’ में पब्लिश हुए हैं। इस स्टडी में 1985 और 2014 के नतीजों की तुलना की गई है। जिसके अनुसार, चीन के शान्डोंग प्रांत में वर्ष 1985 की तुलना में वर्ष 2014 में ग्रामीण इलाकों के बच्चों और किशोरों में मोटापा बढ़ा है।

मोटापा

इस स्टडी के परिणाम 29 साल के आकलन पर आधारित हैं। अध्ययन में सात से अठारह वर्ष के लगभग 28,000 बच्चों को शामिल किया गया।

स्टडी के अनुसार साल 1985 में लड़कों की मोटापे की दर 0.03 प्रतिशत थी जो साल 2014 में बढ़कर 17.2 प्रतिशत हो गई है। वहीं लड़कियों के बीच साल 1985 में यह दर 0.12 फीसदी थी जो 2014 में बढ़कर 9.11 प्रतिशत हो गई।

स्टडी के सह-लेखक झांग यिंग्शू ने कहते हुए बताया कि ग्रामीण लड़के और लड़कियों में मोटापे की दर बढ़ते हुए साल 2014 में क्रमश: 16.35 प्रतिशत और 13.91 प्रतिशत हो गया जो कि साल 1985 में यह क्रमश: 0.74 प्रतिशत और 1.45 प्रतिशत थी। मोटापे की यी वृद्धि दर सात से बारह उम्र के आयु वर्ग के बच्चों में अधिक देखी गई है।

झांग के अनुसार, वर्तमान में बढ़ते मोटापे के कारण शहरी लोगों ने संतुलित आहार को अपनाना तो शुरू कर दिया है लेकिन अब तक इस तरफ ग्रामीण लोगों का ध्यान नहीं गया है। अध्ययन में ये बात भी सामने आई है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग अब भी सब्जियों की बजाय मांस और बहुत ज्यादा नमकीन व तैलीय खाना खाना पसंद करते हैं।

झांग ने कहा, “आहार आदतें एक जटिल सामाजिक मुद्दा है और ग्रामीण समुदाय के लोगों को संतुलित आहार के महत्व का एहसास करने के लिए विकास के एक निश्चित चरण में प्रवेश करने की जरूरत है।”

 

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