दर्द की दवा और बिना दवा के रहना पूरी तरह दर्द के प्रकार और मियाद पर निर्भर करता है और इसका फैसला डॉक्टर पर छोड़ देना चाहिए। लेकिन दर्द होने पर दवा कैसे लेनी है, इस बात की पूरी तरह से जानकारी होनी चाहिये। तो चलिये जानें कि दर्द होने पर कौंन सी दवा किस प्रकार लेनी चाहिये।
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दर्द में दवा का सेवन
एसेटामिनोफेन
इस दवा का प्रयोग हमेशा दर्द निवारक के तौर पर किया जाता है। इसमें सूजन को कम करने की कोई शक्ति नहीं होती है। दर्द के बहुत गंभीर और पुराने मामलों में कई बार दर्द के स्थान पर सूजन नहीं होता है,ऐसे में एसेटामिनोफेन का सेवन एक अच्छा विकल्प माना जाता है। सिमित मात्रा में इसका इस्तेमाल सुरक्षित मामना जाता है लेकिन लगातार और अधिक मात्रा में इसका सेवन कई तरह के दुष्प्रभावों को जन्म देता है।
स्टारॉयडा रहित दर्द निवारक दवाएं
आइब्रुपोफेन, नैपरोक्सिन, डिक्लोफैनस, और एस्प्रिन जैसी स्टरायॅड रहित दवाएं पुराने और गंभीर किस्म के दर्द में काफी प्रभावशाली होती है। ये दवाएं टेन्डोनाइटिस, बरसाइटिस और अर्थराइटिस जैसे बीमारी में सूजन से भी राहत देती है। लेकिन इन दवाओं को लम्बे समय तक प्रयोग करने से कई तरह के दुष्प्रभाव हो सकते है। इनके दुष्प्रभावों के रूप में पाचन तंत्र बिगड़ना, पेट में अल्सर और आतों में बल्डिंग होने का खतरा बढ़ सकता है। कई मरीजों में इसके सेवन से दमा की बीमारी और रक्त चाप बढने की शिकायत भी हो जाती है। सेलिकोक्सिब जैसी कोक्स–2 ग्रुप की दवाएं भी एनएसआइडी दवाओं की तरह दर्द और सूजन को कम करने में प्रभावशाली होती है। कोक्स–2 से पाचन तंत्र के रोग,अल्सर,आतों में रक्त स्राव, कलेजे में जलन, उल्टी की शिकायत और चक्कर आने जैसे दुष्प्रभाव अन्य दवाओं के अपेक्षाकृत कम होता है। ये दवाएं शरीर में रक्त के साथ कम से कम प्रतिक्रिया करती है।
कोरटिकोस्टरायॅड
कोरटिकोस्टरायॅड में सूजन और दर्द के प्रभाव को कम करने का प्रभावशाली गुण होता है, इसलिए इसे पुराने और गंभीर किस्म के सूजन और प्रदाह में रोगियों को दी जाती है। इस दवा को मुंह से दवा के रूप में भी दिया जा सकता है और रोग की तीव्रता होने और जल्द आराम के लिए शरीर के मुलायम उतकों या जोड़ों में इंजेक्शन भी लगाया जा सकता है। लेकिन इसके भी लम्बे इस्तमाल से बचना चाहिए क्योंकि इनमें से कुछ दवाओं के बहुत सारे दुष्प्रभाव होते है जो निम्नलिखित है।
नारकोटिक
नारकोटिक दर्द निवारक गोलियां जैसे माफरिन, कोडिन, ऑक्सिकोडोन, मेपराइडिन, हाइडरोमाफर्सोन, पेन्टाजोसिन आदि मरीज को तभी दी जानी चाहिए जब दर्द अन्य दवाओं से नियंत्रित नहीं हो पा रहा हो। ये दवाएं दर्द में बहुत कारगर और प्रभावशाली होती है लेकिन इसके साथ इसके दुष्प्रभाव भी बुहत होते है, दूसरी तरफ इन दवाओं के अधिक इसतमाल से मरीज इन दवाओं का अभयस्त भी बन जाता है। गंभीर दर्द में जल्द काम करने वाला नारकोटिक दवाओं से मरीज को तुरंत आराम तो मिल जाता है लेकिन इसके लम्बे इस्तमाल से मरीज का शरीर इसके प्रति रोग अभयस्त हो जाता है और बाद में यह दवा भी दर्द को दूर करने में अप्रभावी हो जाती है। देर से काम करने वाला नारकोटिक दवाओं के कम साइड एफेक्ट होते है और इससे दर्द का नियंत्रण भी कम होता है।
एडजुवेंट दर्द निवारक दवाएं
आमतौर पर एडजुवेंट दर्द निवरक दवाएं दर्द के प्रारंभिक अवस्था में मरीज को नहीं दी जाती है।इसका इस्तमाल केवल कुछ विषेश परिस्थितियों में ही किया जाता है। इसका अधिकतर इस्तेमाल अन्य दर्द निवारक दवाओं के साथ या बिना दवा के दर्द के दूर किए जाने वाले विधियों के साथ किया जाता है। एडजुवेंट एनालजेसिक दवाएं सामान्यत: तौर पर एंटीडिसेपेंट दर्द में प्रयोग किया जाता है जैसे - एमिटरिप्टीलाइन,बुपरोपीयन,देसीप्रेमिन,फलूक्सेटिन,वेनलाफैक्सिन, एण्टीकोनवलसेंट, गेबापंेटिन, और प्रीगाबेलीन और लोकल एनेसथिसिया।
एंटीडिप्रेसेंट
एंटीडिप्रेसेंट हमेशा पुराने दर्द में लाभदायक सिद्ध होता है। ट्राईसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट, एमिटरीपटलीन और नोर्टीलिपटीन जैसी दवाएं एंटीडिप्रेसेंट दवाओं के मुकाबले दर्द निवारण में कहीं ज्यादा प्रभावशाली होती है। नए एंटीडिप्रेसेंट जैसे सेलेक्टिव रेपयूटेक, इंहिबीटर,एसएसआरआई और सेलेक्टिव सेरेटोनिन नोरपेनिफेरिन रयूटेक इंहिबीटर,एसएसएनआरआई जैसे डयूलोक्सिटिन आदि भी प्रभावशाली दवाएं हैं। एंटीडिप्रेसेंट दवाओं से मरीज को नींद भी अच्छी आती है और मरीज खुद को स्वस्थ महसूस करने लगता है।