क्या आप मांसाहार छोड़ना चाहते हैं, लेकिन इसके लिये आपको कोई जायज़ कारण नहीं मिल रहा! यदि ऐसा है तो आपको बता दें कि आपके पास नॉनवेज छोड़ने के कई कारण हैं, लेकिन इनमेंसे ये तीन बड़े कारण आपको जरूर प्रभावित कर सकते हैं। तो चलिये जानें कि क्या हैं वे तीन बड़े कारण जिनकी वजह से आप आज ही नॉनवेज से दूर होने का मन बना सकते हैं।
सेहत के लिये
शाकाहार हमें कई खतरनाक बीमारियों जैसे कैंसर, दिल की बीमारी व टाईप-2 डायबिटीज आदि से बचाता है और मष्तिष्क स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। शोध अध्ययनों के क्रमों में लगातार प्राप्त प्रमाण भी इसके समर्थन में कुछ ऐसा ही संकेत दे रहे हैं। 1970 एवं 1980 में अमेरीका केलीफोर्निया स्थित लोमा लिंडा विश्वविद्यालय ने लगभग 10,000 लोगों की जीवनशैली के खान-पान का गहराई से अध्ययन किया और परिणामों के आधार पर पाया की शाकाहारी लोग मांसाहारी की तुलना में लम्बी आयु जीते हैं। अध्ययन के अंत तक लगभग 96,000 लोगों को इस शोध में शामिल किया जा चुका था। इस शोध को एकेडमी ऑफ न्यूट्रीशन एंड डायटिक्स के 2012 के कांफ्रेंस में प्रस्तुत किया गया था। इस अध्ययन के अनुसार शाकाहारी पुरुषों में औसत आयु 83.3 एवं महिलाओं में आयु 85.7 वर्ष पाई गई। यह मांस खाने करने वाले पुरुषों और महिलाओं की तुलना में क्रमश: 9.5 एवं 6.1 वर्ष अधिक है।
इतना ही नहीं, ज़्यादातर नॉन वेजिटेरियन लोगों में आंतों का कैंसर, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और हाइपरटेंशन जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का ख़तरा बना रहता है। वहीं कई शोध ये सबित कर चुके हैं कि फल, सब्जियों और होल ग्रेन की संतुलित सेवन से कैंसर, हृदय संबंधी रोग (स्ट्रोक, हार्ट अटैक आदि), डायबिटीज आदि का खतरा भी काफी कम होता है।
दिल्ली के सेंटर फॉर साइंस एंड इनवॉयरमेंट की पॉल्यूशन मॉनिटरिंग लैबोरेटरी द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार आजकल चिकन का वजन बढ़ाने के लिए पॉल्ट्री इंडस्ट्री में एंटीबायोटिक्स का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे चिकन के शरीर में एंटीबायोटिक रजिस्टेंस बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं, जो खाने के साथ नॉन-वेजिटेरियन लोगों के शरीर में पहुंच जाते हैं। नतीजतन उनका शरीर एंटीबायोटिक्स के प्रति इम्यून होता जा रहा है और भविष्य में उन पर ऐसी दवाओं का असर धीमी गति से होगा।
धूम्रपान से ज्यादा खतरनाक
हाल में हुए एक शोध की मानें तो अधेड़ उम्र तक पहुंचते-पहुंचते अधिक मात्रा में मीट का सेवन करना सेहत के लिए धूम्रपान से भी अधिक खतरनाक हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं की मानें तो अधेड़ावस्था के दौरान अधिक मीट का सेवन धूम्रपान की तुलना में चार गुना अधिक कैंसर का खतरा बढ़ाता है। शोध के दौरान 50 से अधिक उम्र के 1 हजार पुरुषों और महिलाओं पर अध्ययन किया गया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि मीट, चीज, अंडे आदि से मिलने वाला प्रोटीन ट्यूमर के बढ़ने का माहौल तैयार कर सकता है। ऐसे में इसके विकल्प के तौर पर मछली, बीन्स आदि से मिलने वाले प्रोटीन का सेवन अधिक फायदेमंद हो सकता है।
छरहरी काया
डॉक्टर बताते हैं कि नॉनवेज अमूमन त्वचा पर पिंपल और मोटापे का कारण बनता है। साथ ही इसके अधिक सेवन से कमर और पेट के इर्द-गिर्द चर्बी भी बढ़ती है। लेकिन आज के युवा ऐसा खाना खाना चाहते हैं, जो उनके शरीर और त्वचा को साफ रखे। जिसे खाकर सारे विषैले पदार्थ शरीर से बाहर चले जाएं। यही वजह है कि युवा अपने बैग में नीबू पानी, मौसमी का जूस और सेब जैसी चीजें लेकर चलते हैं।
हाल में आई एक अमरीकी की कई हेल्थ रिसर्च के अनुसार जो लोग मांसाहार खाने के शौकीन होते हैं, वे ज्यादा गुस्सैल और आक्रामक होते हैं, जबकि शाकाहार खाने वाले थोड़े शांत होते हैं। बात केवल मटन या चिकन की नहीं है, बल्कि इन खानों में पड़ने वाले मसालों की भी है, जो लोगों को उत्तेजक बना देते हैं, जबकि शाकाहारी पकवानों में अमूमन कम मसाला पड़ता है। युवा इसलिए भी शाकाहार की ओर आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि ये उनकी पर्सनैलिटी को बेहतर बनाता है।
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