
एक ताजा अध्ययन में सामने आया है कि तम्बाकू के विज्ञापन देखकर किशोर धूम्रपान की ओर आकर्षित हो सकते हैं।
तम्बाकू के विज्ञापन देखकर किशोर धूम्रपान की ओर आकर्षित हो सकते हैं। एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आयी है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि तम्बाकू के विज्ञापन देखने से किशोरों में धूम्रपान शुरू करने का खतरा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि 38 प्रतिशत किशोर, तम्बाकू के 10 अतिरिक्त विज्ञापन देखने से धूम्रपान की ओर आकर्षित होते हैं।
कील (जर्मनी) में चिकित्सा और स्वास्थ्य अनुसंधान में शोधकर्ताओं ने 10 से 15 आयु वर्ग के 1320 जर्मन स्कूली बच्चों पर सर्वेक्षण किया गया। बच्चों को सिगरेट और गैर-तम्बाकू विज्ञापनों की छवियां दिखायी गयीं। इसके साथ ही उन्होंने बच्चों से यह भी पूछा कि उन्होंने तम्बाकू का वह विज्ञापन बीते ढ़ाई सालों में कितनी बार देखा। इसके बाद छात्रों का फॉलोअप किया गया।
फॉलोअप में 436 छात्रों ने माना कि उन्होंने पहली बार सिगरेट पीने की कोशिश की है। इनमें से 138 ने माना कि उन्होंने इस फॉलोअप सर्वे से 30 दिनों पहले ही धूम्रपान किया था। इनमें से 66 छात्रों ने 100 से अधिक सिगरेट पी थी, वहीं 58 ने रोजाना धूम्रपान किया था।
इस रिसर्च के बाद शोधकर्ताओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ्रेमवर्क कन्वेंशन द्वारा प्रस्तावित तम्बाकू के विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध का सुझाव दिया।
भारत में है प्रतिबंध
भारत समेत दुनिया के कई देशों में तम्बाकू विज्ञापनों पर प्रतिबंध है। संचार के किसी भी माध्यम पर तम्बाकू और उससे जुड़े उत्पादों का विज्ञापन नहीं दिखाया जा सकता है। इसके साथ ही फिल्मों में भी धूम्रपान या अन्य किसी तम्बाकू उत्पाद का सेवन करते समय नीचे वैधानिक चेतावनी दिखायी जानी जरूरी है। वहीं कई राज्यों में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को तम्बाकू उत्पाद बेचना भी दण्डनीय अपराध है।
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