नर्व सिस्टम की घातक बीमारी है टिटेनस

- टिटेनस नर्व सिस्टम की एक घातक बीमारी है!
- क्लास्ट्रइडियम टिटेन नामक बैक्टीरिया से फैलती है।
- टिटेनस होने पर सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
- शरीर की पेशियों में जकड़न और ऐंठन पैदा कर देता है।
टिटेनस नर्व सिस्टम (स्नायुतंत्र) की एक घातक बीमारी है जो क्लोस्ट्रिडियम टेटेनाई नामक बैक्टीरिया से फैलती है। ये बैक्टीरिया, नाखूनों, लकड़ी, जंग खाई लोहे की चीजों या कीड़े के काटने से बने जख्मों में प्रवेश करते हैं। जब ये बैक्टीरिया बढ़ने शुरू होते हैं तो एक टाक्सिन पैदा होता है, जिससे हमारी मांसपेशियां ऐंठने लगती हैं। धीरे-धीरे शरीर की सभी मांसपेशियां इससे प्रभावित होती हैं जिनमें सांस लेने वाली मांसपेशियां भी शामिल है और हमें सांस लेने में परेशानी होने लगती है। अगर इलाज न हो तो मृत्यु भी हो सकती है।
क्या है टिटेनस
टिटेनस शारीरिक पेशियों में रुक-रुक कर ऐंठन होने की एक अवस्था को कहा जाता है। टिटनेस किसी चोट या घाव में संक्रमण होने पर हो सकता है। टिटनेस होने पर व उपचारित न होने पर इसका संक्रमण सारे शरीर में फैल सकता है। टिटनेस के कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं, हालांकि इस रोग के साथ अच्छी बात यह है कि यदि चोट लगने के बाद टीकाकरण हो जाए तो यह ठीक हो जाता है।
टिटेनस के कारण
किसी भी तरह की चोट, सड़क दुर्घटना में लगी चोट और ऑपरेशन के जख्म तक टिटनेस का कारण बन सकते हैं। परन्तु आंतों में टिटनेस के बैक्टीरिया होने से टिटनेस नहीं होता है। टिटनेस की बीमारी के लिए कारणों में जख्म मुख्य होता है। खासतौर पर जहां ऑक्सीजन की मात्रा कम हो। यह संक्रमण 'टिटेनोस्पासमिन' से होता है। टिटेनोस्पासमिन एक जानलेवा न्यरोटॉक्सिन होता है, जो कि क्लोस्ट्रिडियम टेटेनाई नामक बैक्टीरिया से निकलता है। ये बैक्टिरिया धूल, मिट्टी, लौह चूर्ण कीचड़ आदि में पाये जाते हैं। जब शरीर का घाव किसी कारण से इस बैक्टिरिया के संपर्क में आता है तो यह संक्रमण होता है। संक्रमण के बढ़ने पर, पहले जबड़े की पेशियों में ऐंठन आती है। इसके बाद निगलने में कठिनाई होने लगती है और फिर यह संक्रमण पूरे शरीर की पेशियों में जकड़न और ऐंठन पैदा कर देता है।
जिन लोगों को बचपन में टिटनेस का टीका नहीं लगाया जाता, उन्हें संक्रमण होने का खतरा काफी अधिक होता है। टिटेनस भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर में होने वाली समस्या है। लेकिन नमी के वातावरण वली जगहों, जहां मिट्टी में खाद अधिक हो उनमें टिटनेस का जोखिम अधिक होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिस मिट्टी में खाद डाली जाती है उसमें घोडे, भेड़, बकरी, कुत्ते, चूहे, सूअर आदि पशुओं के स्टूल उपयोग होता है। और इन पशुओं के आंतों में इस बैक्टीरिया बहुतायत में होते हैं। खेतों में काम करने वाले लोगों में भी ये बैक्टीरिया देखे गए हैं।
टिटनेस का असर
यह रोग मस्तिष्क पर असर डालता है जिससे दौरे पड़ते हैं और फिर शरीर के कई महत्वपूर्ण काम लकवे के कारण रुक जाते हैं। जैसे कि श्वसन। बीमारी की शुरुआत में घाव के आस-पास भारीपन-सा लगता है। यह रोग-विष के स्थानीय असर के कारण होता है। महत्वपूर्ण अंगों को लकवा मार जाता है। इलाज न होने से पहले मौत हो जाना बहुत आम बात थी।
नवजात शिशुओं में टिटनेस
नवजात शिशुओं में टिटनेस उतना साफ दिखाई नहीं देता जितना कि बड़ों में। दूध न पी पाना, रोना और दौरे पड़ना टिटनेस के लक्षण हैं। बार-बार एक या दोनों पैरों को खींचना, हाथ या पैरों में ऐंठन या बल पड़ना कुछ एक लक्षण हैं।
यह रोग भले ही इन्फेक्शन से होता है, लेकिन यह संक्रामक रोग नहीं है। इस रोग से संक्रमित रोगी से दूसरे में संक्रमण नहीं फैलता।
Image Source : Getty
Read More Artilces on Tetanus in Hindi

Source: ओन्ली माई हैल्थ सम्पादकीय विभाग May 23, 2012
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।