Tips To Reduce Breast pain After Feeding: नवजात के जन्म के बाद नई मां की जिम्मेदारियां दोगुना हो जाती हैं। नई मां को नवजात शिशु की हर छोटी-छोटी जरूरत का ध्यान रखना होता है। इस दौरान मां के कंधों पर शिशु को ब्रेस्टफीडिंग करवाने की जिम्मेदारी सबसे अहम होती है। ब्रेस्टफीडिंग को मां और बच्चे दोनों के लिए लाभदायक माना गया है। जहां ब्रेस्टफीडिंग करवाने से महिलाओं को पोस्टमार्टम वजन कम करने में मदद मिलती है। वहीं, नवजात शिशु के ब्रेस्टफीड करने से बीमारियों (Benefits of Breastfeeding) का खतरा कम होता है। ब्रेस्टफीडिंग करने से नवजात शिशु का वजन बढ़ाने, बीमारियों का खतरा कम करने और पाचन को बढ़ावा मिलता है। ब्रेस्टफीडिंग के फायदे तो बहुत हैं, लेकिन अक्सर ब्रेस्टफीड कराने के बाद महिलाओं को दर्द महसूस होता है। ब्रेस्टफीड कराने के बाद होने वाला दर्द अक्सर निप्पल और निप्पल के चारों ओर एरोला में होता है।
जब मैंने बेटे को जन्म दिया और ब्रेस्टफीडिंग करवाई, तो इस तरह के दर्द से मुझे भी दो-चार होना पड़ा। इस तरह के दर्द के बारे में जब मैंने अपनी मॉम से बात की तो, उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह बहुत ही आम बात है, कुछ दिन तक महसूस होगा, लेकिन बाद में ठीक हो जाएगा। लगभग 2 महीने के बाद भी ब्रेस्टफीड करवाने के बाद मुझको दर्द का एहसास होता ही रहा, तब मैंने इस विषय पर डॉक्टर से बात की। तब डॉक्टर ने मुझको बताया कि मैंने ब्रेस्टफीडिंग के शुरुआती चरण में कुछ गलतियां की हैं, जिसकी वजह से मुझको यह दर्द महसूस होता है। मेरी ही तरह जो लड़कियां पहली बार मॉम बनीं हैं या बनने वाली है, वो इस तरह की गलतियां न करें और दर्द से रूबरू न हों, इसलिए आज हम ब्रेस्टफीड कराने के बाद दर्द होने के कारण और राहत पाने के उपाय क्या हैं इस पर चर्चा करेंगे।
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ब्रेस्टफीड कराने के बाद दर्द होने के कारण- Reasons for Pain After Breastfeeding
इंस्टाग्राम यूजर बच्चों की डॉक्टर पर डॉ.माधवी भारद्वाज ने हालही में इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है। डॉ. माधवी का कहना है कि जब कोई लड़की पहली बार मां बनती है तो उससे कहा जाता है कि निप्पल को टाइट करके पतली से शेप बनाकर शिशु को मुंह में देना चाहिए। ऐसा करने से बच्चा सही तरीके से फीड करवा पाता है। जो लोग नवजात के जन्म से ही उसे निप्पल की शेप बनाकर मुंह में देते हैं, उन्हें इस तरह के दर्द की समस्या का सामना ज्यादा करना पड़ता है। नई मां को सिर्फ निप्पल नहीं बल्कि निप्पल के आसपास के क्षेत्र जिसे एरोला कहा जाता है, शिशु के मुंह में देना चाहिए। ब्रेस्टफीड के बाद दर्द के सबसे आम कारणों में से एक लैचिंग की समस्या है। दरअसल, इस दौरान बच्चा गलत तरीके से दूध पीता है, जिससे स्तनों में दर्द होता है। इस दौरान बच्चा सिर्फ निप्पल को ही चूसता और काटता है। इसमें कुछ कनेक्टिव टिशूज होते हैं, जिससे ब्रेस्ट को नुकसान पहुंचने लगता है। इसके अलावा कभी-कभी आपका शिशु दूध पीने से ज्यादा ब्रेस्ट को चबाने की कोशिश करता है। जिसकी वजह से स्तनों पर निशान पड़ जाते हैं और ब्रेस्टफीडिंग के बाद महिलाओं को दर्द महसूस होने लगता है।
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ब्रेस्टफीड कराने के बाद दर्द से बचने के उपाय-Tips for Getting Relief From Breastfeeding Pain
डॉ. माधवी का कहना है कि ब्रेस्टफीड कराने के बाद किसी तरह का दर्द महसूस न हो इसके लिए बच्चे को सिर्फ निप्पल नहीं, बल्कि पूरा एरोला उसके मुंह में देना चाहिए। डॉक्टर का कहना है कि प्रेग्नेंसी के दौरान एरोला का साइज बढ़ता है और इसके आसपास टिश्यू विकसित होते हैं। यह टिश्यू ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिलाओं की काफी मदद करते हैं। जब कोई महिला ब्रेस्टफीडिंग के दौरान जब एरोला बच्चे के मुंह में देती है, तो इससे ब्रेस्ट पर प्रेशर पड़ता है और स्तनों में दूध का बहाव तेजी से होती है। ऐसा करने से निप्पल पर किसी तरह का दबाव नहीं पड़ता है और दर्द की समस्या नहीं होती है। डॉ. माधवी का कहना है कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इस तरह की कॉमन मिस्टेक से बचना चाहिए। उम्मीद करते हैं इस कंटेंट को पढ़ने के बाद ब्रेस्टफीडिंग अच्छे से करवा पाएंगी।
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