हिंदू संस्कृति में ऐसे बहुत से काम हैं जो महिलाओं के लिए वर्जित हैं, जिस पर कई बार लोगों ने आपत्तियां भी दर्ज की हैं। लेकिन ये आपत्तियां केवल बिना सर-पैर के नहीं है। इसके पीछे हिंदू-संस्कृति में कई कारण भी दिए जाते हैं। ऐसे ही कुछ वर्जित कार्यों में से विशेष है महिलाओं का नारियल ना फोड़ना।
जी हां, हिंदू-संस्कृति में महिलाओं को नारियल फोड़ने की मनाही है।
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वैसे हिंदू धर्म में नारियल को बहुत अधिक शुभ माना जाता है और अक्सर बहुत नए या जरूरी व शुभ काम करने से नारियल का फोड़ना शुभ और जरूरी माना जाता है। लोग तो नए काम की नींव ही नारियल फोड़ कर करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सोचा है क्यों?
मान्यता है कि नारियल को श्रीफल भी कहते हैं। किसी भी नए काम का श्रीगणेश करने से पहले श्रीफल फोड़ने के पीछे एक पुरानी मान्यता है। मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें लेकर आए थे, देवी लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष तथा कामधेनु। इसलिए नारियल के वृक्ष को श्रीफल भी कहा जाता है।
नारियल बिना हर पूजा अधूरी
हर पूजा को नारियल के बिना अधूरा समझा जाता है और पूजा के अंत में नारियल फोड़ना जरूरी समझा जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सिर्फ पुरुष ही क्यों नारियल फोड़ते हैं? क्यों पंडित और घर के बुजुर्ग महिलाओं को नारियल फोड़ने से मना करते हैं?
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इस कथा में छुपा है राज
इसके पीछे का राज इस पौराणिक कथा में छुपा है। जब विश्व का निर्माण करने के लिए ब्रह्मा निकले तो उन्होंने विश्व का निर्माण करने से पहले नारियल का निर्माण किया। माना जाता है कि नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का वास है। इस कारण से भी महिलाओं को नारियल से दूर रखा जाता है।
ये भी है कारण
दरअसल नारियल को लोग बीज भी मानते हैं। अब क्योंकि माहिलाएं शिशुओं को जन्म देती हैं, जिससे इस संसार का चक्र जारी रहता है। ऐसे में नारियल को फोड़ने का मतलब है की बीज को फोड़ना। तो इसलिए माना जाता है कि दूसरे को जन्म देने वाली महिलाएं खुद से एक बीज को कैसे नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए उन्हें नारियल फोड़ने से रोका जाता है।
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