एड्स का इलाज संभव: जल्‍द टीका विकसित होने की उम्‍मीद

एड्स की इलाज हो सकता है भविष्य में संभव। वैज्ञानिकों ने किया एड्स का टीका तैयार।
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एड्स का इलाज संभव: जल्‍द टीका विकसित होने की उम्‍मीद


भविष्य में एड्स जैसी लाइलाज बीमारी का इलाज भी मुमकिन होने की उम्मीद है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में एचआइवी संक्रमण से निपटने के लिए विशेष तरह की इंजेक्शन बनाने में बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसा इंजेक्शन बना लिया है जो इंसान की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने का काम करता है। एचआइवी-एड्स में इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर हो जाता है।

 


1.80 करोड़ एचआईवी पीड़ित

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अभी इस समय दुनिया में 1.80 करोड़ एचआइवी के मरीजों का इलाज चल रहा है। एड्स के मरीजों की संख्या पिछले साल की तुलना में इस साल 10 लाख से अधिक हो गई है। जिसके कारण वैज्ञानिक पिछले कई साल से इस बीमारी का इलाज ढूंढने में लगे हुए थे। इन्हीं प्रयासों के बीच वैज्ञानिकों ने पहली बार सर्दी-जुकाम के लिए जिम्मेदार एक वायरस (कोल्ड वायरस) और डीएनए आधारित टीके (इंजेक्शन) के सहयोग से नये तरीके का वैक्सीन तैयार किया है जो शायद एड्स के इलाज में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा।

ऐसे काम करेगा ये वैक्सीन

इस वैक्सीन से शरीर के आंत और अन्य हिस्सों को एचआइवी संक्रमण से बचाया जा सकेगा। एडिलेड यूनिवर्सिटी की ब्रैंका ग्रुबर बॉक कहते हैं कि, "अधिकतर मामलों में एचआइवी का प्रसार शारीरिक संबंध से होता है। ऐसे में हमारे लिए सबसे जरूरी था कि सबसे पहले टीका से वायरस की चपेट में आने वाले अंगों को बचाया जाए। इस कारण ये टीका सबसे पहले आंत को वायरस से बचाने का काम करता है।" इस नए टीके का चूहों पर परीक्षण किया गया है।


इस तरह से किया गया परीक्षण

इस परीक्षण के दौरान सबसे पहले चूहे में नाक के माध्यम से कोल्ड वायरस पहुंचाया गया। वायरस में स्वतः बदलाव आया और उसमें एचआइवी प्रोटीन शामिल हो गया। उसी वक्त चूहों को इंजेक्शन से डीएनए आधारित टीका भी दिया गया। इम्यून सिस्टम में विशेष बदलाव देखा गया। इससे प्रतिरक्षा तंत्र दो तरीकों से प्रभावित हुआ।

  • पहला तरीका- सबसे पहला बदलाव व्हाइट ब्लड सेल्स (श्वेत रक्त कोशिकाएं) में आया और ये व्हाइट ब्लड सेल्स एचआइवी के वायरस पर हमला करने में सक्षम हो गए। व्हाइट ब्लड सेल्स शरीर के अंदर विशेष एंटीबॉडीज एचआइवी संक्रमित सेल्स की पहचान कर उसे निष्क्रिय करने लगे।
  • दूसरा तरीका- एक अन्य शोधकर्ता एरिक गोवांस ने बताया कि एचआइवी में "टैट" नामक विशेष तत्व पाया जाता है। यह खतरनाक वायरस के दोहराव की रफ्तार को बढ़ा देता है। एंडीबॉडीज टैट को निष्क्रिय करने में सक्षम है। ऐसे में वायरस का फैलाव थम जाता है।

 

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