विकास के मामले में भारत ने भले ही अब तक चीन को पीछे न छोड़ा हो लेकिन वायु प्रदूषण के मामले में वह चीन से भी आगे निकल गया है। ग्रीनपीस स्टडी की हालिया रिपोर्ट के पिछले वर्ष वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों के मामले में भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ऐसा सरकार द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के लिए पर्याप्त कदम न उठाए जाने के कारण हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक आउटडोर वायु प्रदूषण की वजह से वर्ष 2015 में 3283 लोगों की जान गई जोकि इस दौरान चीन में हुई 3233 मौतों से कहीं ज्यादा है। भारत में वायु प्रदूषण के बढ़ते हुए खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां 1990 में इससे 2100 और 2000 में 2502 और 2010 में 2865 लोगों की मौत हुई लेकिन पिछले पांच वर्षों के दौरान इसमें बहुत तेजी से बढ़त आई और अब ये आंकड़ा 3 हजार को पार कर गया है।
लेकिन दूसरी तरफ चीन में वायु प्रदूषण के कारण 1990 में 2620 लोगों की मौतें हुई थी जोकि अगले एक दशक में बढ़कर 2000 तक 3010 हो गईं लेकिन इसके बाद चीनी सरकार द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमो से ठहर सी गईं और 2010 में इससे 3100 लोगों की मौतें हुई और 2015 में 3233 लोगों की जान गई। यानी एक तरफ जहां भारत में पिछले दो दशकों के दौरान वायु प्रदूषण से होन वाली मौतों में तेजी से बढ़ोतरी हुई तो वहीं चीन ने अपने प्रयासों से इसे लगभग स्थिर कर दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों की संख्या में बढ़ोतरी दिखाती है कि प्रदूषण को कम करने की दिशा में पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए। वहीं चीन ने इसके लिए 2011 में प्रदूषण नियंत्रण के लिए नेशनल पॉलिसी बनाई और कोयले से जलने वाले पावर प्लांट्स और सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों पर लगाम लगाना शुरू किया, जिसका परिणाम प्रदूषित हवा से होने वाली मौतों के मामलों में कमी के रूप में सामने आया।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अगर प्रदूषण नियंत्रण के लिए विस्तृत योजना नहीं बनाई गई तो ये हर साल नए रिकॉर्ड बनाता जाएगा। खासकर सर्दियों में प्रदूषण का स्तर हर साल बढ़ जाता है। इस साल भी दिवाली के बाद दिल्ली पर प्रदूषण के धुंध स्मॉग के रूप में छा गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक पिछले साल दिल्ली बीजिंग को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गई थी।
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