टेस्टिकुलर कैंसर की चिकित्‍सा

जब वीर्यकोष की कोशिकाओं में असामान्‍य वृद्धि होती है तब उस स्थिति को टेस्टिकुलर या वृषण कैंसर कहते हैं, समय रहते कैंसर के इस प्रकार का पता चल जाये तो आसानी से उपचार हो सकता है।
  • SHARE
  • FOLLOW
टेस्टिकुलर कैंसर की चिकित्‍सा


जब वीर्यकोष की कोशिकाओं में असामान्‍य वृद्धि होती है तब उस स्थिति को टेस्टिकुलर या वृषण कैंसर कहते हैं। यह कैंसर पुरुषों में होता है। वीर्यकोष पुरुष की सेक्स ग्रंथियां हैं जो अंडकोश की थैली में स्थित होती हैं। ये टेस्टोस्‍टेरॉन और अन्य हार्मोन का उत्पादन करती है। साथ ही शुक्राणुओं का उत्पादन भी यहीं से होता है।

अगर समय रहते कैंसर के इस प्रकार का पता चल जाये तो आसानी से उपचार हो सकता है। टेस्टिकुलर कैंसर के तीन स्टेज पाये गये हैं। जिनका पता लगाने के लिए कई जांच और स्‍कैन होते हैं। वृषण कैंसर के उपचार कैंसर के चरणों पर निर्भर करते है जो संकेत देते है, कि कैंसर शरीर में कितना फैल चुका है।

 



Testicular Cancer Treatment



टेस्टिकुलर कैंसर के स्‍टेज

 

 

पहला चरण

टेस्टिकुलर कैंसर अपने शुरूआती अवस्‍था में अंडकोष में ही फैलता है। यानी इसकी शुरूआत अंडकोष से ही होती है। इस चरण में यह अंडकोष के अलावा शरीर के अन्‍य हिस्‍सों में नहीं फैलता है।

 

 

दूसरा चरण

दूसरे स्‍टेज में टेस्टिकुलर कैंसर शरीर के अन्‍य हिस्‍सों में फैलता है। दूसरे चरण में यह पेट, श्रोणि या लिम्फ नोड्स के पास तक फैल जाता है। इस चरण में इसका उपचार थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

 

 

तीसरा चरण

इस स्‍टेज में कैंसर लिम्फ नोड्स के बाहर किडनी, ब्रेन, लीवर या शरीर के अन्य हिस्‍सों में फैल जाता है। इसके कारण कैंसर लिम्फ नोड्स के पास और रक्‍त में ट्यूमर-मार्कर प्रोटीन के स्तर तक बढ़ जाता है। यह कैंसर की सबसे घातक अवस्‍था होती है। इस स्‍टेज में इसका उपचार करना बहुत मुश्किल होता है।

 



Cancer Treatment



टेस्टिकुलर कैंसर की चिकित्‍सा   

टेस्टिकुलर कैंसर होने पर ज्‍यादातर मामलों में अंडकोष को ही हटाया जाता है। इस प्रक्रिया में सर्जन एक चीरे के माध्यम से अंडकोष को हटाते हैं। सर्जरी के तीन सप्ताह पहले और सर्जरी के बाद, ब्लड टेस्ट करके ट्यूमर मार्करों के स्तर को मापा जाता है। लेकिन इसके अलावा भी कुछ लोगों को अतिरिक्त सर्जरी की भी जरूरत होती है, जब कैंसर लिम्फ नोड्स में और पीठ के निचले हिस्से में फैल चुका होता है। सर्जरी के बाद वृषण कैंसर का इलाज कैंसर के स्‍टेज के अनुसार अलग-अलग होता है। अधिकांश पुरुषों को रेडियेशन या कीमोथेरेपी के रूप में अतिरिक्त उपचार की आवश्यकता होती है।

 

 

टेस्टिकुलर के लक्षणों को देखने के लिए नियमित रूप से इसका परीक्षण होता रहता है। ऐसा इसके उपचार के बाद भी होता है। थेरेपी के बाद लगभग दो साल तक लगातार हर एक से दो महीने के बाद जांच कराते रहना चाहिए, साथ ही ब्लड टेस्ट, एक्स-रे और सीटी स्कैन भी किये जाते हैं। बाद में एक्स-रे साल में केवल एक या दो बार ही करते हैं, लेकिन शारीरिक जांच और ब्लड टेस्ट बार-बार होते हैं। कैंसर के उपचार तभी प्रभावी होते हैं जब आपके अंदर सकारात्‍मक सोच होती है। इसलिए कैंसर के उपचार के बाद नकारात्‍मक न सोचें और नियमित दिनचर्या बनायें रखें।



Read More Articles on Testicular Cancer in Hindi

Read Next

डायटिंग से बढ़ जाता है कैंसर का खतरा

Disclaimer