मौसम बदल रहा है। ऐसे में निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी के लोग बेहद आसानी से शिकार हो रहे हैं। बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो जाती है और उन्हें श्वसन तंत्र से संबंधित कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसी के अंतर्गत निमोनिया की बीमारी भी आती है। ये बीमारी फेफड़ों के संक्रमित हो जाने के कारण पैदा होती है। बच्चों की बात करें तो 5 साल से कम उम्र के बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता है। जिसके कारण वह इस समस्या का आसानी से शिकार हो जाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि क्यों होती है यह बीमारी और इससे बचाव किस प्रकार किया जा सकता है। पढ़ते हैं आगे...
बच्चों में निमोनिया की समस्या
5 साल से कम बच्चों की देखभाल ज्यादा की जाती है क्योंकि इस उम्र में बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है। जिसके कारण वे अनेक संक्रमण का शिकार आसानी से हो जाते हैं। इस उम्र के बच्चों में निमोनिया के लक्षण ज्यादा पाए जाते हैं। इसका कारण भी इम्यून सिस्टम का पूरी तरह से विकास ना होना ही है। आंकड़ों की बात की जाए तो दुनिया में 18% बच्चों की मौत इसी बीमारी के कारण होती है। यह संक्रमण उनके अंदर जाकर खतरनाक वायरस का रूप ले लेता है। जिससे बचना या छुटकारा पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अगर नवजात शिशु को खांसी जुकाम हो जाए तो विशेष देखभाल की जरूरत होती है।
इसे भी पढ़ें- बच्चों के लिए घातक हो सकती हैं थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (आईटीपी)? जानिए इसके लक्षण, कारण और इलाज
टॉप स्टोरीज़
बच्चों में निमोनिया के प्रमुख लक्षण
- अचानक से सुस्ती आ जाना
- सांस का बहुत तेजी से चलना
- हाथ पैरों की उंगलियों के साथ-साथ होठों का भी नीला पड़ जाना
- दूध पीने में नखरे करना
- स्टूल या यूरीन के साथ ब्लड आना
- खांसी के साथ ज्यादा कफ निकलना
- लूज मोशन
- दिल की धड़कन बढ़ना
इस समस्या से बचाव और उपचार
अगर आपका बच्चा छोटा है और वह इस समस्या का शिकार हो गया है तो उसे विशेष रूप से देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे में इस समस्या से बचाने के लिए अपने घर में या आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखें। अपने बच्चे को किसी को देने से पहले या खुद लेने से पहले हाथों को अच्छे से धो लें। शिशु के कमरे में जाने से पहले जूते चप्पल बाहर उतारे। अगर आपके घर में किसी अन्य सदस्य को कोल्ड हो गया है या हल्का तेज बुखार है तो उसे अपने बच्चे से दूर रखें। सर्दियों में इन बच्चों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए गरम गरम कपड़े पहनाकर रखें। लेकिन ध्यान दें ज्यादा कपड़े पहनाने से भी बच्चे के शरीर में पसीना आ जाता है और वह जल्दी ही निमोनिया का शिकार हो जाता है। ऐसे में केवल जरूरत के हिसाब से और जरूरी कपड़ों का ही इस्तेमाल करें।
नोट- अपने बच्चे में हर बुखार या सर्दी जुकाम को निमोनिया के लक्षण समझने की भूल ना करें। लेकिन हां अगर यह सर्दी जुकाम 3 दिनों तक भी ठीक नहीं हो रहा है तो डॉक्टर्स की सलाह जरूर लें। इस दौरान अपने बच्चे को बाहर ले जाने से बचें। उसके खानपान का भी विशेष ध्यान रखें।
(ये लेख फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा की नियोनाटोलॉजी डॉक्टर लतिका उप्पल से बातचीत पर आधारित है।)
Read More Articles on Childrens Health in Hindi