शरीर में जब एंटीबॉडीज बढ़ने लगता है, तो पूरी बॉडी पर लाल-लाल चकत्ते पड़ने लगते हैं। इस समस्या को इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (आईटीपी) कहा जाता है। 1 लाख बच्चों में से करीब 8 बच्चे इस बीमारी के शिकार होते हैं। डॉक्टर्स के अनुसार, यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्तियों को हो सकती है, लेकिन बच्चों में अधिकतर यह बीमारी देखी गई है। इसके कारण शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या काफी कम हो जाती है, जो बहुत ही गंभीर रूप धारण कर लेती है।
शरीर में लाल चकत्ते, मसूड़ों से खून आना और आंखें लाल दिखना इसके शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। अगर समय पर इस बीमारी का इलाज नहीं किया गया, तो यह बहुत ही घातक हो सकती है। शरीर में प्लेटलेट्स की कमी के कारण अगर कहीं चोट लग जाए, तो खून बंद नहीं होता है, जिसकी वजह से मरीज की मौत हो सकती है। आइए आज हम इस बीमारी के बारे में जानते हैं-
क्या है थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (आईटीपी) (What is Thrombocytopenia)
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो शरीर के ब्लड में प्लेटलेट्स की संख्या को काफी कम कर देती है। प्लेटलेट्स ब्लड में पाई जाने वाली रंगहीन ब्लड सेल्स होती है, जो ब्लड का थक्का बनाने की प्रक्रिया में हमारी मदद करती है। चोट लग जानें पर प्लेटलेट्स के कारण ही खून जमता है, इस वजह से ही शरीर से खून बाहर निकलना बंद होता है।
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थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के लक्षण ( Symptoms of Thrombocytopenia)
शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या पर ही निर्भर करता है कि आपको थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के लक्षण दिखेंगे या नहीं। गर्भावस्था के दौरान शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम होने पर किसी तरह के लक्षण नहीं दिखते हैं। इसके साथ ही कुछ गंभीर स्थितियों में काफी ब्लीडिंग होने लगती है, ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करना चाहिए। अगर आपके शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या काफी ज्यादा कम हो गई है, तो नाक से खून आना, मासिक धर्म के दौरान अधिक ब्लीडिंग होना, स्किन का रंग ब्राउन, लाल और बैंगनी दिखना इत्यादि लक्षण दिख सकते हैं।
क्यों होता है थ्रोम्बोसाइटोपेनिया? (Causes of Thrombocytopenia)
अस्थि मज्जा में प्लेटलेट्स अस्थि बनती हैं। बोन मैरो स्पंजी ऊतकों से तैयार होता है, जो हड्डियों के अंदरुनी हिस्से में पाई जाती है। अगर अस्थि मज्जा में पर्याप्त रूप से प्लेटलेट्स नहीं बनता है या फिर अगर यह किसी वजह से अधिक मात्रा में नष्ट होने लगता है, तो आपको थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की समस्या हो सकती है। कुछ ऐसी समस्या होती है, जिसकी वजह से शरीर पर्याप्त मात्रा में प्लेटलेट्स नहीं बन पाता है। जैसे- अस्थि मज्जा को प्रभावित करने वाले ब्लड की समस्या, जिसे एप्लास्टिक एनीमिया कहते हैं या फिर कुछ ऐसे कैंस जैसे- ल्यूकेमिया और लिम्फोमा के कारण भी थ्रोम्बोसाइटोपेनिया हो सकती है।
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थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का इलाज? (Treatment of Thrombocytopenia)
इस बीमारी का इलाज प्लेटलेट्स की संख्या और कारण पर निर्भर करती है। अगर मरीज की स्थिति अधिक गंभीर नहीं है, तो डॉक्टर्स किसी तरह की दवाइयों का इस्तेमाल नहीं करते है। ऐसी स्थिति में मरीज को डॉक्टर अपनी निगरानी में रखते हैं। वहीं, अगर प्लेटलेट्स की संख्या काफी कम हो गई है, तो डॉक्टर्स को इलाज शुरू करना पड़ता है। इस दौरान मरीज को खून चढ़ाना, प्लेटलेट्स को बढ़ाने वाली दवाइयां देना शुरू किया जाता है। साथ ही डॉक्टर मरीज को इस बीमारी से बचाने के लिए इंट्रा वीनस इम्यूनो ग्लुब्लन (आईवीआईजी) इंजेक्शन लगाते हैं।
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