यूटीआई (UTI) पेशाब की नली में होने वाला एक आम इंफेक्शन है, जो किसी को भी हो सकता है। यूटीआई की समस्या आमतौर पर महिलाओं को ज्यादा होती है। मगर इन दिनों बच्चों में भी यूटीआई इंफेक्शन के मामले बढ़ने लगे हैं। बच्चों में यूटीआई के संकेत बहुत सामान्य होते हैं, इसलिए कई बार लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं और यूटीआई खतरनाक रूप ले लेता है। इसलिए बच्चों में यूटीआई के संकेतों को जानना और इससे बचाव के उपायों के बारे में पता होना बहुत जरूरी है। आइए आपको बताते हैं क्या है यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) और बच्चों में इसके खतरे के बारे में।
यूटीआई क्यों होता है?
यह तो आप जानते हैं कि बैक्टीरिया हमारे चारों तरफ हर समय मौजूद होते हैं। टॉयलेट सीट पर बैक्टीरिया की संख्या बहुत ज्यादा होती है। टॉयलेट का इस्तेमाल करते समय या बार-बार गुप्तांग को छूने के कारण कुछ बैक्टीरिया गुप्तांग के अंदर चले जाते हैं और यूरेथ्रा में जाकर रुके रहते हैं। जब व्यक्ति पेशाब करता है, तो पेशाब के साथ ये बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि ये बैक्टीरिया पेशाब के साथ बाहर नहीं निकलता है और पेशाब की नली में ही अपनी संख्या बढ़ाने लगता है। इसी कारण से पेशाब नली का संक्रमण यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) होता है। वैसे तो यूटीआई सामान्य इंफेक्शन है। मगर कई बार नजरअंदाज करने पर बैक्टीरिया व्यक्ति के किडनी, ब्लैडर और यूटरस तक पहुंच जाते हैं, जिसके कारण परेशानी बढ़ जाती है। बच्चों में आमतौर पर 2 तरह के यूटीआई पाए जाते हैं- किडनी इंफेक्शन और ब्लैडर इंफेक्शन।
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5 साल से कम उम्र के बच्चों को होता है खतरा
यूटीआई का खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्चों को ज्यादा होता है। कई स्टडीज बताती हैं कि 8% छोटी लड़कियों में और 2% छोटे लड़कों में यूटीआई की समस्या होती ही है। लड़कियां इस इंफेक्शन का शिकार ज्यादा होती हैं। इसका कारण यह है कि उनकी योनि और गुदा के बीच की दूरी बहुत कम होती है और अक्सर गुदा द्वार पर ही बैक्टीरिया की संख्या बहुत ज्यादा होती है। इसके अलावा लड़कियों का यूरेथ्रा भी छोटा होता है, इसलिए बैक्टीरिया बहुत जल्दी किडनी और ब्लैडर तक पहुंच जाते हैं।
क्या है बच्चों में यूटीआई के लक्षण?
छोटे बच्चों में यूटीआई की समस्या होने पर इसे पहचानना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि आमतौर पर बहुत छोटे बच्चे अपनी तकलीफ को बोलकर नहीं बता सकते हैं। उनके लगातार रोने और कुछ इशारों से ही माता-पिता को इसका अंदाजा लगाना पड़ता है कि उन्हें यूटीआई की समस्या है। बच्चों में यूटीआई के संकेत इस प्रकार हो सकते हैं-
- स्वभाव में चिड़चिड़ापन
- गुप्तांग को बार-बार छूना और रोना
- पेशाब करने के दौरान दर्द से चिल्लाना या रोना
- पेशाब के दौरान जलन की शिकायत करना
- भूख कम लगना
- थकान और आलस महसूस होना
- बुखार आना
- पेशाब जोर से लगना मगर कुछ बूंद ही पेशाब करना
- पेशाब से अजीब सी दुर्गंध आना और पेशाब का रंग क्लाउडी होना

बच्चों में यूटीआई का इलाज कैसे होता है?
बच्चों में यूटीआई के संकेत नजर आने पर आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर यूरिन सैंपल की जांच करवाने को बोल सकते हैं। अगर इंफेक्शन सामान्य है, तो इसे एंटीबायोटिक दवाओं के द्वारा ठीक किया जा सकता है। मगर यदि इंफेक्शन किडनी को नुकसान पहुंचा चुका है, तो संभव है कि आपको किडनी के स्पेशलिस्ट डॉक्टर यानी नेफ्रोलॉजिस्ट (nephrologist ) के पास जाना पड़े।
ध्यान रखें यूटीआई इंफेक्शन के लिए डॉक्टर जितने दिन की दवाओं का कोर्स बताते हैं, उतने दिन से पहले दवा नहीं बंद करनी चाहिए। इसके अलावा खूब पानी पीना चाहिए ताकि पेशाब ज्यााद हो और पेशाब के साथ बैक्टीरिया बाहर निकल सकें। इसके अलावा टॉयलेट की हर दिन सफाई करना और टॉयलेट जाने के बाद बच्चों के मलद्वार या गुप्तांग को अच्छी तरह साफ करना बहुत जरूरी है।
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