कोरोना वायरस के जितने भी मामले दुनियाभर में सामने आए हैं, उनमें सिर्फ 2-3% मामले ही बच्चों में देखे गए हैं। ज्यादातर बच्चे जो कोरोना संक्रमण का शिकार हुए, उनमें लक्षण बहुत गंभीर नहीं दिखे। बहुत सारे बच्चों में कोरोना की चपेट में आने के बाद सिर्फ खांसी, नाक बहने, बुखार जैसे सामान्य लक्षण दिखे या कोई भी लक्षण नहीं दिखे, इसलिए एक तथ्य यह उभरकर सामने आया कि कोरोना वायरस बच्चों को कम बीमार बना रहा है। ये बात आज से 4-5 महीने पहले ही बता दी गई थी कि कोरोना वायरस के लक्षण बच्चों में कम गंभीर होते हैं, लेकिन ऐसा क्यों होता है ये बात अब तक पता नहीं चली थी। लेकिन हाल में हुई एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगा लिया है।
बच्चों को इम्यून रिस्पॉन्स बड़ों से अलग होता है
इस नए अध्ययन में बच्चों और वयस्कों के इम्यून सिस्टम के रिस्पॉन्स की तुलना की गई है, ताकि पता चल सके कि बच्चों के इम्यून सिस्टम में ऐसा क्या खास है, जो उन्हें कोरोना वायरस से बचा रहा है और वयस्कों या बूढ़ों को अधिक संक्रमित होना पड़ रहा है। इस रिसर्च को Science Translational Medicine में छापा गया है। रिसर्च के अनुसार बच्चों के इम्यून सिस्टम की एक ब्रांच उनके शरीर में कोरोना वायरस को शरीर को नुकसान पहुंचाने से पहले ही नष्ट कर देती है। कुल मिलाकर इस रिसर्च में यह पता चला है कि बच्चों का इम्यून सिस्टम वायरस के प्रति बड़ों की अपेक्षा अलग तरह से रिस्पॉन्ड करता है, जिसके कारण उन्हें संक्रमण का खतरा तो होता है, लेकिन गंभीर स्थिति का खतरा कम होता है।
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इम्यून सिस्टम कैसे लड़ता है वायरस से?
जब भी कोई बाहरी वायरस या पैथोजन शरीर के अंदर प्रवेश करता है, तो कुछ घंटों में ही इम्यून एक्टिविटी शुरू हो जाती है, ताकि उस वायरस को शरीर में ज्यादा नुकसान पहुंचाने से रोका जा सके। इस प्रक्रिया को इनेट इम्यून रिस्पॉन्स (innate immune response) कहते हैं क्योंकि ये प्राकृतिक रूप से अपने आप ही शुरू हो जाता है। इसके लिए शरीर तुरंत कुछ बॉडी डिफेंडर्स को इस काम में लगा देता है। चूंकि छोटी उम्र में बच्चों के शरीर के लिए सभी वायरस और बैक्टीरिया नए होते हैं, इसलिए उनका इम्यून सिस्टम हर समय ही इन वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ता रहता है और उनका इम्यून रिस्पॉन्स ज्यादा तेज होता है।
वयस्कों का इम्यून सिस्टम देर से रिस्पॉन्स करता है
वयस्कों का इम्यून सिस्टम उनके आसपास मौजूद ज्यादातर वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ बहुत पहले ही एंटीबॉडीज बना चुका होता है, इसलिए एक तरह से थोड़ा सुस्त हो जाता है क्योंकि उसके पास लड़ने के लिए नए वायरस या बैक्टीरिया जल्दी-जल्दी नहीं मिलते हैं। यही कारण है कि कोरोना वायरस के प्रवेश करने पर उनके इम्यून सिस्टम को रिस्पॉन्स करने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है और तब तक वायरस अपने आप को शरीर में फैला चुका होता है।
आसान भाषा में समझें क्या है पूरा मामला
इसे एक उदाहरण से आप ऐसे समझ सकते हैं कि बच्चों का इम्यून सिस्टम एक लड़ता हुआ एक्टिव योद्धा है, जिसके सामने कोरोना वायरस के आने पर वो तुरंत उसे मारने के तरीके खोजने लगता है। जबकि बड़ों का इम्यून सिस्टम पहले से कई लड़ाइयां जीत चुका योद्धा है, जो शक्तिशाली तो है लेकिन आराम कर रहा है। ऐसे में उसे दोबारा से तैयार होकर लड़ने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है और इतनी ही देर में कोरोना वायरस अपना काम कर देता है।
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कैसे की गई रिसर्च?
इस रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों ने 60 वयस्कों और 65 बच्चों (24 साल से कम) को चुना, जो न्यूयॉर्क सिटी के Montefiore Medical Center में 13 मार्च से 17 मई के बीच भर्ती थे। रिसर्च में वैज्ञानिकों ने यही पाया कि बच्चों का इम्यून सिस्टम बड़ों की अपेक्षा वायरस को ज्यादा जल्दी रिस्पॉन्स करता है, इसलिए उनके शरीर को वायरस कम नुकसान पहुंचा पाता है।
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