कोरोना वायरस के बारे में रोज कोई न कोई चौंकाने वाली रिपोर्ट या स्टडी सामने आ जाती है। 7 महीने पुराने इस बेहद संक्रामक वायरस के बारे में अभी बहुत कम जाना जा सका है। दुनिया भर में 1 करोड़ 77 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुके और 6 लाख 82 हजार से ज्यादा लोगों को मौत दे चुके इस खतरनाक वायरस के बारे में एक नया खुलासा हुआ है। एक नई स्टडी के मुताबिक कोरोना वायरस को फैलाने में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की बड़ी भूमिका हो सकती है, क्योंकि उनमें वयस्कों की तुलना में वायरस लोड ज्यादा होता है। अगर आप सोच रहे हैं कि बच्चे तो इस वायरस के कारण कम बीमार पड़ रहे हैं, फिर ऐसा दावा वैज्ञानिकों ने क्यों किया? तो वैज्ञानिकों ने इसका भी जवाब दिया है।
बच्चों के नाक और गले में वायरस लोग 100 गुना तक ज्यादा
ये स्टडी JAMA Pediatrics नामक प्रसिद्ध जर्नल में छापी गई है। स्टडी के मुताबिक कोरोना वायरस का शिकार होने पर ज्यादातर बच्चे गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ रहे, बल्कि उनमें बहुत हल्के लक्षण दिख रहे हैं (खांसी, नाक बहना, जुकाम, बुखार), लेकिन कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके बच्चों के नाक और ऊपरी श्वसननली में वायरस की संख्या बहुत ज्यादा हो सकती है, जिससे बच्चों के द्वारा ये वायरस दूसरों में फैल सकता है। वैज्ञानिकों की रिसर्च के अनुसार वयस्कों की तुलना में बच्चों में वायरस लोड 10 से 100 गुना तक ज्यादा हो सकता है।
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वैज्ञानिकों ने कैसे किया अध्ययन
वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन के लिए 23 मार्च से 27 अप्रैल के बीच शिकागो के 145 लोगों के नाक से स्वैब सैंपल लिया और इसका टेस्ट किया। ये सभी 145 मरीज सामान्य लक्षणों वाले थे और इनमें लक्षणों का उभरते हुए 1 साल से कम समय हुआ था। वैज्ञानिकों ने सुविधा के लिए इन मरीजों को 3 ग्रुप में बांट दिया। 46 मरीज 5 साल से कम उम्र के बच्चे थे, 51 मरीज 5 साल से 17 साल की उम्र के बच्चे थे और 48 मरीज 18 साल से 65 साल की उम्र के वयस्क थे। वैज्ञानिकों ने पाया कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों के श्वसन नली में वयस्कों और टीन एजर्स की तुलना में कोरोना वायरस का जेनेटिक मैटीरियल 10 से 100 गुना तक ज्यादा पाया गया है। वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि ज्यादा वायरल जेनेटिक मैटीरियल होने पर ज्यादा संक्रामक वायरस पैदा होते हैं।
इसके पहले हुए एक अध्ययन में भी इस बात की संभावना जताई गई थी कि बच्चे कोरोना वायरस का मुख्य कैरियर हो सकते हैं, जो बिना गंभीर रूप से बीमार हुए भी वायरस को तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैला सकते हैं।
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स्कूल खोलने पर विचार करने की जरूरत
इस अध्ययन के सामने आने के बाद दुनियाभर की सरकारों के लिए बिना वायरस को पूरी तरह कंट्रोल किए हुए स्कूल खोलना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। दरअसल बारिश में पहले ही सर्दी-जुकाम सामान्य होता है। ऐसे में अगर बच्चों में ऐसे लक्षण दिखते हैं, तो उस पर विशेष ध्यान देने या विशेष सावधानी बरतने की जरूरत लोग नहीं समझते हैं। लेकिन अगर ये सामान्य लक्षण कोरोना वायरस के कारण हुए तो बच्चे दूसरे लोगों (वयस्कों और बूढ़ों) में ये वायरस फैला सकते हैं। बच्चों से सोशल डिस्टेंसिंग, बार-बार हाथ धोने, चीजों को न छूने जैसे आदेशों का पालन कराना भी मुश्किल हो सकता है। ऐसे में स्कूलों को कैसे खोला जाएगा और कब खोला जाएगा, इस बारे में सरकारों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को पूरी सावधानी के साथ फैसला लेने की जरूरत है।
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