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गर्भावस्था के दौरान मलेरिया होने पर नजर आते हैं ये 4 लक्षण, बरतें सावधानी

Symptoms Of Malaria In Pregnancy In Hindi: गर्भावस्था के दौरान मलेरिया होने पर कई तरह के लक्षण नजर आते हैं, जैसे बुखार आना, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं आदि।
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गर्भावस्था के दौरान मलेरिया होने पर नजर आते हैं ये 4 लक्षण, बरतें सावधानी


Malaria Symptoms In Pregnant Women In Hindi: मलेरिया एक तरह का संक्रामक रोगी है। यह संक्रमित एनोफिलीज मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलने वाले परजीवियों के कारण होता है। मलेरिया को जानलेवा भी समझा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह मरीज के लिए घातक साबित हो सकता है। आपको बता दें कि हर साल 25 अप्रैल को वर्ल्ड मलेरिया डे मनाया जाता है ताकि समूचे विश्व में मलेरिया के प्रति जागरूकता फैलाई जा सके। बहरहाल, मलेरिया की चपेट में कोई भी आ सकता है। इसमें बच्चे, बुजुर्ग वयस्क और महिलाएं शामिल हैं। खासकर, प्रेग्नेंट महिलाओं की बात करें, तो उन्हें इस संबंध में और भी सजग रहना चाहिए। मलेरिया होने पर न सिर्फ उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर भी नेगेटिव असर पड़ सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि गर्भावस्था के दौरान मलेरिया होने पर किस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं। इस बारे में हमने Gr. Noida West स्थित सर्वोदय अस्पताल में Consultant - Obs and Gynaecology डॉ.  शेहला जमाल से बात की। (malaria ke lakshan kya hai)

प्रेग्नेंसी में मलेरिया के लक्षण- Malaria Symptoms In Pregnancy In Hindi

symptoms of malaria during pregnancy 1 (2)

बुखार आना

प्रेग्नेंसी में मलेरिया के लक्षण के दौरान महिला बुखार जैसा महसूस कर सकती हैं। कई बार महिलाओं को लग सकता है कि यह सामान्य बुखार है। ऐसा इसलिए, क्योंकि मलेरिया के दौरान बुखार के साथ-साथ मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, थकान, सिरदर्द आदि लक्षण नजर आते हैं। ये सभी लक्षण वायरल फीवर भी मे दिखते हैं। लेकिन, अगर गर्भावस्था के दौरान मलेरिया के ये लक्षण कई दिनों तक बने रहें, तो इनकी अनदेखी न करें। जितनी जल्दी हो, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं

प्रेग्नेंसी में मलेरिया के लक्षण के तौर पर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं। सवाल है, ऐसा क्यों? असल में, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं इसलिए होती है, क्योंकि मलेरिया पैरासाइट द्वारा इंटेस्टाइन यानी आंतों को क्षति पहुंचाई जाती है। ऐसे में आंतों से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं। खासकर, आंतों के माइक्रोसर्कुलेशन में संक्रमित लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) के जमाव के माध्यम से। ऐसे में ब्लड फ्लो बाधित होता है, जिससे टिश्यूज क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, उसमें सूजन आ जाती है। इस स्थिति में गर्भवतीम महिला को मतली, उल्टी, पेट दर्द और दस्त जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं।

भूख की कमी

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मलेरिया के लक्षण के तौर पर गर्भवती महिला को भूख की कमी भी महसूस हे हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि मलेरिया से आंतें प्रभावित होती हैं, जिससे महिला को भूख की कमी होने लगती है। मलेरिया की वजह से प्रेग्नेंट महिला के पेट में दर्द, जी मचलाना और उल्टी आने की शिकायत सामान्य तौर पर देखी जा सकती है। वहीं, अगर समय पर इनका इलाज न किया जाए, तो महिला को डिहाइड्रेशन की दिक्कत भी झेलनी पड़ सकती है।

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सांस लेने में दिक्कत

मलेरिया के लक्षणों में से एक सांस लेने में दिक्कत भी शामिल है। हालांकि, गर्भावास्था में मलेरिया का यह लक्षण गंभीर मामलों में ही दिखता है। इसके अलावा, मिर्गी के दौरे पड़ना, कोमा और पेशाब में खून आना जैसे भी मलेरिया के कुछ गंभीर लक्षणों में शामिल हैं। यही नहीं, विशेषज्ञों की मानें, तो मलेरिया का समय पर इलाज न किया जाए और यह गंभीर स्थिति में पहुंच जाए, तो महिला को असामान्य तरीके से ब्लीडिंग हो सकती है। जाहिर है, यह स्थिति गर्भ में पल रहे शिशु के लिए बिल्कुल सही नहीं है।

डॉक्टर की सलाह

हर गर्भवती महिला को यह पता होना चाहिए कि मलेरिया एक जानलेवा स्थिति हो सकती है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो डिलीवरी में दिक्कतें आ सकती हैं और भ्रूण का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है। जैसे जन्म के समय शिशु का वजन कम हो सकता है, अर्ली डिलीवरी हो सकती है, स्टिल बर्थ हो सकता है। यहां तक कि मलेरिया के लक्षणों के कारण गर्भवती महिला की इम्यूनिटी बहुत कमजोर हो जाती है, जिसे महिला को किसी भी तरह का संक्रमण होने का खरा अधिक रहता है। इसलिए, मलेरिया से बचने के लिए आवश्यक है कि प्रेग्नेंट महिला इस तरह के संक्रमण से बचने के लिए सभी जरूरी उपाय अपनाएं।

All Image Credit: Freepik

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