सूरज की रोशनी के संपर्क में रहने से मूड अच्छा रहता है। अनिद्रा की समस्या भी दूर होती है। व्यक्ति के कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। इसलिए ऑफिस में खिड़की किनारे बैठकर काम करने वालों की उत्पादन क्षमता अधिक होती है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ताजा अध्ययन में यह बात पता चली है।
शोधकर्ताओं की मानें तो खिड़की से आने वाला तेज प्रकाश कर्मचारियों में सजगता बढ़ाता है। इससे वे अधिक सक्रियता से अपना काम करते हैं। साथ ही सुबह की गुनगुनी धूप में 30 मिनट सैर करने से बॉडी क्लॉक पर अच्छा असर पड़ता है। इससे अनिद्रा की समस्या दूर होती है। उम्रदराज लोगों के लिए भी सूरज की रोशनी वरदान है। यह ढलती उम्र में अलजामर से रक्षा करती है। इससे याददाश्त भी अच्छी होती है।
प्रमुख शोधकर्ता रसेल फोस्टर कहते है, 'प्राकृतिक रोशनी के संपर्क में रहने से मस्तिष्क से सरोटोनिन हार्मोन का स्राव होता है। इसे हैप्पी हार्मोन भी कहते है। यह इनसान का मूड सुधारने और उसे खुशमिजाज बनाने के लिए जिम्मेदार होता है।' उन्होंने कहा कि हम में से कई लोगों को प्राकृतिक रोशनी के संपर्क में वक्त बिताने का मौका नही मिलता। घर और दफ्तर में मिलने वाली रोशनी बॉडी क्लॉक में नियमितता के लिए पर्याप्त नही होती। अत: व्यक्ति में सुस्ती बनी रहती है।
सूरज की रोशनी का पांच फीसदी से भी कम हिस्सा इमारतों में पहुंच पाता है। वैसे यह रोशनी एक लाख लक्स (प्रकाश की तीव्रता को मापने वाली इकाई) के बराबर होती है जबकि घर के अंदर लाइट में महज 300 लक्स होती है। प्रकाश से मिलने वाला फायदा पाने के लिए औसतन एक इनसान को 1,000 लक्स के संपर्क में रहने की जरूरत होती है। इसलिए सूर्य प्रकाश ही सबसे बेहतर उपाय है।
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