स्कूल जाने वाले 13% बच्चे मायोपिया ग्रस्त : सर्वे

अगर आपका बच्चा टेक्नोलॉजी का बहुत अधिक इस्तेमाल करते हैं तो सतर्क हो जाएं। इससे आपका बच्चा मायोपिया ग्रस्त हो सकता है।
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स्कूल जाने वाले 13% बच्चे मायोपिया ग्रस्त : सर्वे

छोटे बच्चों को लगा चश्मा हमारे लिए असामान्य बात है लेकिन ये असामान्य बात बच्चों में तेजी से फैलती नजर आ रही है। हाल ही में एम्स के द्वारा किए गए सर्वे में एक बात सामने आई है कि वर्तमान में स्कूल जाने वाले 13% बच्चे मायोपिया ग्रस्त हैं। एम्स के राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र की ओर से हाल ही में एक सर्वेक्षण कराया गया है जिसके अनुसार देश में स्कूल जाने वाले बच्चों में से 13% बच्चे मायोपिया से ग्रस्त हैं।

मायोपिया, निकटदृष्टि दोष है जिसमें इंसान को निकट की चीजें तो साफ दिखाई देती हैं लेकिन दूर की चीजें नहीं। आंखों में यह दोष उत्पन्न होने पर प्रकाश की समान्तर किरणपुंज आँख द्वारा अपवर्तन के बाद रेटिना के पहले ही प्रतिबिम्ब बना देता है (न कि रेटिना पर) इस कारण दूर की वस्तुओं का प्रतिबिम्ब स्पष्ट नहीं बनती और चींजें धुंधली दिखतीं हैं। अगर इंसान को दो मीटर या 6.6 फीट से अधिक की दूर की चीज धुंधली दिखती हैं, तो उसे मायोपिया ग्रस्त माना जाता है।

मायोपिया

एक दशक पहले थी केवल 7%

एक अध्ययन के अनुसार एक दशक पहले तक 7% बच्चे मायोपिया ग्रस्त थे जो वर्तमान में 13% हो गई है। एक दशक के अंदर मायोपिया ग्रस्त बच्चों की संख्या में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई है।
मायोपिया ग्रस्त होने का कारण टेक्नोलॉजी का अधिक इस्तेमाल माना जा रहा है। बच्चों में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के अधिक इस्तेमाल के चलते अब दोगुनी हो गई है। अध्ययन में आयु संबंधी मांसपेशियों के विकार के लिए मूल कोशिका का इस्तेमाल, नेत्र स्वास्थ्य पर ग्लोबल वार्मिंग एवं पैरा बैंगनी किरणों का प्रभाव आदि शामिल है। राजेंद्र प्रसाद केंद्र के चिकित्सक बच्चों के बीच व्याप्त नेत्र संबंधी अन्य समस्याओं का पता लगाने के लिए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण कर रहे हैं।

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