
कोरोना वायरस को हल्के में लेना लोगों पर भारी पड़ सकता है। इस शोध की मानें, तो कोरोना का वायरस मानव त्वचा पर लंबे समय तक एक्टिव रहता है।
कोरोनावायरस (coronavirus) महामारी किसी भी तरह से थम नहीं रहा। भारत में (Coronavirus India updates)पिछले 24 घंटों में 70,000 से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं, जिसमें संक्रमितों का आंकड़ा 69 लाख के पार पहुंच गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शुक्रवार सुबह जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 70,496 नए कोरोना के मामले दर्ज किए गए है। इससे, देश में COVID संक्रमितों की कुल तादाद 69,06,151 हो गई है। वहीं कोरोना वायरस को लेकर हाल ही में आया शोध काफी डरावना है। इस शोध की मानें, तो कोरोना का SARS-CoV-2 वायरस मानव त्वचा पर नौ घंटे (Coronavirus on Human skin)तक जीवित रह सकता है, जो कि फ्लू के वायरस की तुलना में बहुत लंबा है। ये अध्ययन जापान के जर्नल क्लिनिकल इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित हुआ है।
क्या कहता है ये शोध?
जापान के जर्नल क्लिनिकल इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित इस अध्ययन का उद्देश्य वायरस की स्थिरता का मूल्यांकन करना था, जिस दौरान उन्हें कोरोना वायरस से जुड़ी इस नई चीज के बारे में पता चला। शोध में बड़े विस्तार से बताया गया है कि कैसे कोरोना का SARS-CoV-2 वायरस मानव त्वचा पर लंबे समय तक एक्टिव रह सकता है। वहीं शोध में इसकी तुलना इन्फ्लुएंजा ए वायरस (आईएवी) से की गई है। ये शोध जापान के क्योटो प्रीफेक्चुरल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जिसमें SARS-CoV-2 मानव त्वचा के ग्राफ्ट पर नौ घंटे तक टिका रहा, जबकि IAV त्वचा पर केवल दो घंटे तक जीवित रहा।
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शोधकर्चताओं की मानें, तो उनका कहना है कि हमने SARS-CoV-2 और इन्फ्लूएंजा A वायरस (IAV) की स्थिरता का मूल्यांकन किया। ये हमने मुंह के कल्चर के माध्यम या ऊपरी श्वसन बलगम के साथ मिश्रित करके किया। फिर हमने मानव त्वचा पर इसका अध्ययन किया। हालांकि,वायरस एक इथेनॉल (शराब) उपचार के तहत 15 सेकंड के भीतर निष्क्रिय कर दिए गए थे। यह कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए हाथ धोने और अल्कोहल-आधारित सैनिटाइजर का उपयोग करने के महत्व पर जोर देता है।
हालांकि, लाइव साइंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, नैतिक कारणों से मानव त्वचा पर समान शोध नहीं किया गया था। यही कारण है कि जापानी अध्ययन ने लोगों पर प्रयोग नहीं किया, लेकिन प्रयोगशाला स्थितियों में ऑटोप्सी से त्वचा के ग्राफ्ट पर इस शोध को किया गया। अध्ययन में कहा गया है, “हमने मानव त्वचा पर वायरस की स्थिरता का सही मूल्यांकन करने के लिए एक मॉडल विकसित किया। इस मॉडल को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि लंबे समय तक ऊष्मायन के बाद भी सूखने के कारण त्वचा का नमूना नहीं बिगड़ता। ”
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अन्य सतहों की तुलना में मानव त्वचा पर जल्दी निष्क्रिय हो जाता है वायरस (How Long Coronavirus Survive on Skin)
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि SARS-CoV-2 और IAV दोनों को मानव त्वचा पर स्टेनलेस स्टील, ग्लास, प्लास्टिक इत्यादि की तुलना में अधिक जल्दी निष्क्रिय किया जा सकता है। वहीं महामारी के शुरुआती चरणों में, ही कई शेध इस बारे में संकेत देते रहे हैं, कि वायरस तांबे, कांच और स्टेनलेस स्टील जैसी चिकनी सतहों पर अधिक समय तक जीवित रहता है। यह तांबे की सतहों पर 4 घंटे तक, 24 घंटे तक कार्डबोर्ड पर और लगभग 72 घंटों तक कांच और प्लास्टिक की सतहों पर जीवित रह सकता है।
पर इस रिसर्च को लेकर एक अच्छी बात ये भी है कि स्किन पर कोरोना के एक्टिव वायरस को इथेनॉल यानी कि सैनिटाइजर का इस्तेमाल करके डिएक्टिवेट किया जा सकता है। तो इस तरह ये समझा जा सकता है कि कोरोना से बचाव में सैनिटाइजर और हाथ धोना कितना प्रभावी हथियार है।
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