पेट में कैंसर एक ऐसी बीमारी जिससे अगर दूर ही रहा जाए तो अच्छा है। ये रोग अक्सर पेट में किसी भी कोशिका के अनियंत्रित तरीके से बढ़ने या फिर आसामान्य होने पर होता है। यह रोग इतना भयानक है कि एक बार हो जाने पर ये पेट की भीतरी परतों में फैलता हुआ बाहरी परतों तक पंहुच जाता है। इस कैंसर को बड़ी आंत का कैसर भी कहते है और यह पाचन तंत्र के निचले हिस्से में होता है। यह वह जगह है जहां भोजन से शरीर के लिए ऊर्जा पैदा की जाती है। साथ ही यह शरीर के ठोस अवशिष्ट पदार्थों को भी पचाता है इस रोग की शुरूआत अवस्था में लक्षण साफ नहीं होते है। लेकिन अगर आप ध्यान दें तो इसके लक्षणों को समझा जा सकता है।
पेट कैंसर के कुछ लक्षण तब भी नजर आते हैं जब रोगी बदहजमी, पेट के अल्सर या साधारण वाइरल फीवर से पीड़ित होता है। धूम्रपान और बहुत अधिक शराब पीना पेट कैंसर का सबसे सामान्य कारण है। इसी तरह शरीर में विटामिन बी-12 का अभाव भी पेट कैंसर का कारण बन सकता है। इसमें सदेह नहीं कि फलों और सब्जियों से युक्त स्वास्थ्यप्रद भोजन सभी तरह के कैंसर के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। आइए जानते हैं पेट में कैंसर के लक्षण—
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पेट में कैंसर के लक्षण
- जल्दी अपच या जलन और भूख की कमी
- पेट में दर्द या पेट के ऊपरी हिस्से में बेचैनी
- मिचली और उल्टी
- दस्त या कब्ज
- खाने के बाद पेट की सूजन
- वजन में कमी
- कमजोरी और थकान
- रक्तस्राव होता है (उल्टी रक्त या मल में रक्त), जो रक्ताल्पता का कारण हो सकता है।
- डिसफेज़िया असुविधा से कार्डिया या गैस्ट्रिक ट्यूमर का इसोफेगस में विस्तार।
क्यों होता है पेट का कैंसर?
- पेट के कैंसर के कुछ कारणों में कोई पुराना विकार जैसे गैस्ट्राइटिस की लंबे समय तक समस्या होना, पेट की किसी भी तरह की कोई शल्य (सर्जरी) चिकित्सा या आनुवांशिक कारणों से भी पेट का कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
- पेट के कैंसर के निदान में अगर जोखिम कारकों और लक्षणों से पेट के कैंसर की सम्भावना होती है तो डॉक्टर एक फेकल ऑकल्टक ब्लड टेस्ट कर सकते हैं जिससे स्टूल में ब्लड की छोटी से छोटी मात्रा का भी पता लग जाता है।
- पेट का कैंसर भीतरी परत से शुरू होकर धीरे-धीरे बाहरी परतों पर फैलता है। इसीलिए यह बताना मुश्किल होता है कि कैंसर कितने भीतर तक फैला हुआ है।
- अधिक जंक फूड, मसाले वाला खाना, लाल मिर्च और मैदे वाली चीज खासे से पेट के कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है।
- पेट का कैंसर बड़ी आंत का कैसर है जो पाचन तंत्र के निचले हिस्से में होता है।
- इन्डोस्कोपी के दौरान रोगी को स्थिर रखा जाता है और एक ऑप्टिक ट्यूब को गले के रास्ते से पेट तक पहुंचाया जाता है। डॉक्टर इस उपकरण का इस्तेमाल पेट के आंतरिक हिस्सों की जांच करने के लिए करते है।

- यदि किसी भी टेस्ट से कैंसर का पता चलता है तो डॉक्टर एक बायोप्सी करेंगे जिसमें प्रयोगशाला में जांच के लिए पेट के एक छोटे से टिश्यू को बाहर निकाला जाता है। अक्सर यह इन्डोस्कोपी के दौरान किया जा सकता है। पेट के कैंसर की पुष्टि हेतु बॉयोप्सी जरूरी है।
- यह वह जगह है जहां भोजन से शरीर के लिए ऊर्जा पैदा की जाती है। साथ ही यह शरीर के ठोस अवशिष्ट पदार्थों को भी पचाता है।
- कई बार पेट में कैंसर होते हुए भी हमेशा स्टूल में ब्लड दिखाई नहीं देता। ऐसी दशा में आमतौर पर किया जाने वाला अगला परीक्षण अपर इन्डोकस्कोपी या अपर गैस्ट्रा इंटेस्टिननल (जीआई) रेडियोग्राफ होगा।
- अपर जीआई रेडियोग्राफ के दौरान रोगी को बेरियम वाला एक घोल दिया जाता है जिससे उसके पेट में एक परत बन जाती है और उसके बाद रेडियोलॉजिस्ट पेट का एक्सरे लेता है।
पेट कैंसर के उपचार
- कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल अकेले या संयुक्त रूप से किया जा सकता है या कैंसर से प्रभावित सेल्स को प्रभावी तरीके से नष्ट कर सकते हैं। हालांकि दोनो ही थेरेपी स्वस्थ टिश्युओं को भी नष्ट करती हैं जिससे कई साइड इफेक्ट्स उत्पन्न हो सकते हैं।
- पेट के कैंसर के उपचार के लिए सर्जरी करवाई जा सकती है। इसके अलावा कीमोथेरेपी, रेडिएशन ट्रीटमेंट के माध्यम से पेट के कैंसर की चिकित्सा संभव हो सकती है।
- पेट के कैंसर को कम करने के लिए जंकफूड छोड़कर, संतुलित भोजन खासकर तरल पदार्थ जूस, सूप, पानी इत्यादि की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। पेट का कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरूषों में अधिक होता है। ज्यादातर लोगों में पेट के कैंसर का पता 60 वर्ष की उम्र के बाद चलता है।
- रेडिएशन थेरेपी में उच्च ऊर्जा वाला रेडिएशन शामिल है जिसका उपयोग कैंसर वाली सेल्स पर अटैक करने के लिए किया जाता है।
- कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के साथ साइड इफेक्ट्स जैसे कि थकान, जी मिचलाना, रक्त दाब में कमी और बालों का गिरना आदि का उपचार भी शामिल किया जाता है। पेट कैंसर के उपचार के लिए यह भी जरूरी है कि रोगी लगातार पौष्टिक भोजन लें।
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