Signs Of Trauma In A Kid In Hindi: बच्चों के सामने अगर कोई बुरी घटना घट जाए, तो अक्सर उसका असर उनके बालमन पर बहुत गहरा पड़ता है। कई बार ये घटनाएं, ऐसी छाप छोड़ती हैं कि वे इस ट्रॉमा से बाहर नहीं निकल पाते। असली समस्या तब खड़ी होती है, जब वे अपनी स्थिति को बयां नहीं कर पाते। इस संबंध में विशेषज्ञों का मानना है कि लगभग हर बच्चे के जीवन में बुरी घटना घटी होती है, जिसका असर उनके मन पर बहुत बुरा पड़ता है, जो पैरेंट्स के लिए समझना आसान नहीं होता है। लेकिन उनके व्यवहार और उनके बातचीत के तरीकों में कई ऐसे बदलाव होने लगते हैं, जिनसे समझा जा सकता है कि बच्चा ट्रॉमा का शिकार है।
बात-बात पर रोना
अगर आपका बच्चा छोटी से छोटी बात पर रोने लगता है, तो समझ जाइए कि आपके बच्चे के साथ कुछ गलत हुआ है या उसने ऐसा कुछ देखा है, जिससे वह डर गया है। वैसे तो कुछ बच्चों की यह आदत होती है, जिससे वे बात-बात पर रो देते हैं। लेकिन बतौर पैरेंट्स, आपको यह नोटिस करना है कि क्या वह पहले की तुलना में ज्यादा रोने लगा है? क्या उसके रोने के पैटर्न में किसी तरह का डर या खौफ नजर आ रहा है। अगर ऐसा है, तो समझ जाएं कि उसे किसी न किसी तरह का ट्रॉमा है।
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सेफ्टी का डर
अगर आपका बच्चा अचानक अपनी सिक्योरिटी और सेफ्टी को लेकर डरने लगा है या अगर उसे लगने लगा है कि वह अपने परिवार से दूर हो जाएगा, तो यह स्थिति चिंताजनक है। दरअसल, बच्चे में यह डर कई वजहों आ सकता है, जैसे किसी ने उसे धमकाया हो या फिर उसने हाल-फिलहाल में किसी अपने को खोया है, जिसका असर उसके मन पर बहुत गहरा हुआ है।
नींद नहीं आना
अगर आपके बच्चे के सोने के पैटर्न में अचानक बदलाव आ गया है, सोने से वह डरने लगा है और सोते हुए सपने में भी वह रो रहा होता है, तो इसे आप अपने लिए चेतावनी समझें। असल में, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने की वजह से बच्चों को अक्सर बहुत जल्दी नींद आ जाती है। इसके विपरीत, अगर आपके बच्चे को अच्छी तरह नींद नहीं आ रही है, तो आपको उसको लेकर एलर्ट हो जाना चाहिए।
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अटेंशन चाहना
आमतौर पर सभी उम्र के बच्चे अटेंशन सीकर होते हैं। वे हर हाल में अपने पैरेंट्स के साथ समय बिताना चाहते हैं, जिस वजह से कुछ न कुछ ऐसा करते हैं, जिससे मां-बाप उनके पास रहें। लेकिन अगर आपका बच्चा हर समय आपके साथ रहना चाहता है और हर समय आपकी अटेंशन की डिमांड करता है, तो इसे भी आप ट्रॉमा के संकेत की तरह ले सकते हैं।
स्कूल जाने से डरना
अगर आपका बच्चा अब इस फेज़ में पहुंच गया है, जब वह स्कूल जाने से डरने लगे, दोस्तों से बातचीत करना उसे अच्छा न लगे और भीड़ भरे इलाकों में जाने पर उसे घबराहट होती है, तो ये तमाम बातें भी बतौर पैरेंट्स आपके लिए चिंता का विषय बन सकती हैं। इस तरह के संकेत अमूमन उन्हीं बच्चों में दिखाई देते हैं, जो ट्रॉमा के शिकार हैं।
पैरेंट्स के लिए टिप्स
जो बच्चे ट्रॉमा का शिकार हैं, उनके पैरेंट्स को अपने बच्चे के बिहेवियर और बातचीत के तरीकों पर पैनी नजर रखनी चाहिए। अगर समझ न आए, तो संकेतों पर गौर करना चाहिए। इसके अलावा, इस तरह के बच्चों के साथ डील करने के लिए निम्न उपाय भी आजमा सकते हैं, जैसे-
- बच्चे के साथ बातचीत करते रहें।
- उसके साथ एक्टिविटी में हिस्सा लें।
- उसे हॉबीज में हिस्सा लेने के लिए मोटिवेट करें।
- उसको इमोशनल सपोर्ट दें।
- अगर बच्चा गलत बिहेव करे, तो खुद को शांत रखें।
- बच्चे के गुस्से होने की वजह जानने की कोशिश करें।
- बच्चे के डरे रहने के पीछे की वजह जानने की कोशिश करें।
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