
What Are The Causes And Effects Of Aggression In Hindi: गुस्सा करना एक स्वाभाविक भाव है। इस दुनिया में शायद ही ऐसा कोई हो, जिसे गुस्सा नहीं आता है। लेकिन जब गुस्सा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, हर समय गुस्सा नाक पर चढ़ा रहता है, तो यह स्थिति सही नहीं होती है। इस स्टेज में गुस्सा एग्रेशन यानी आक्रामकता का रूप ले लेता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने गुस्से की वजह को जानें और इससे निपटने का तरीका समझें। हालांकि, कई बार ऐसा हाता है कि व्यक्ति एग्रेसिव क्यों है, इसकी वजह नहीं जान पाता। इस लेख में आपको बताएंगे कि एग्रेशन की मूल वजहें क्या हैं और इसका आपके मस्तिष्क पर क्या असर पड़ता है।
गुस्से का दिमाग पर प्रभाव
आमतौर पर गुस्सा आने की वजह सबकी अलग-अलग होती है। लेकिन इसका गहरा असर दिमाग पर पड़ता है। हालांकि, विशेषज्ञों की मानें, तो हर समय गुस्सा खराब हो, यह जरूरी नहीं है। कई बार गुस्सा होने की सटीक वजह होती है, जो कि व्यक्ति को दूसरों से प्रोटेक्ट करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। मगर समस्या, तब होती है जब एग्रेशन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और यह हिंसक रूप ले लेती है। इस संबंध में न्यूरोसाइंटिस्ट काफी काम कर रहे हैं। एक शोध के अनुसार यह पता चला है कि गुस्से की वजह से दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। उनका कहना है कि एग्रेशन के दौरान दिमाग से सेरोटोनिन नाम का केमिकल रिलीज होता है। एग्रेशन की वजह से कई बार व्यक्ति का निराश हो जाता है, उदासीन हो जाता है, उसके स्ट्रेस हार्मोन इफेक्ट होते हैं, जिससे व्यक्ति को स्ट्रेस महसूस होने लगता है।
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गुस्सा होने की मूल वजह
गुस्सा होने की कोई एक वजह फिक्स नहीं है। किसी को अपने सहकर्मी का व्यवहार पसंद नहीं आता है, इसलिए उसे गुस्सा आने लगता है, तो किसी को अपनी चीजें दूसरों से शेयर करनी पसंद नहीं है, इस बात पर उसका एग्रेशन बढ़ जाता है। असल में, एग्रेसिव होने के कुछ कारण हैं, जो यह समझाने में भी मदद करते हैं कि क्यों कुछ लोग दूसरों की तुलना में अधिक आक्रामक होते हैं:
हार्मोनल असंतुलन की वजह से
विशेषज्ञों की मानें, तो कई बार गुस्से की वजह हार्मोनल का असंतुलन होना है। उदाहरण के तौर पर समझें, टेस्टोस्टेरोन का लेवल हाई होने पर एग्रेशन बढ़ सकता है। टेस्टोस्टेरोन में बढ़ोत्तरी से यह स्पष्ट होता है कि पुरुषों को महिलाओं की तुलना में ज्यादा गुस्सा आता है यानी पुरुष तुलनात्मक रूप से ज्यादा एग्रेसिव होते हैं।
जेनेटिकल कारणों से
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एग्रेशन जेनेटिकल यानी आनुवांशिक होसकता है। कहने का मतलब यह है कि अगर घर में किसी बड़े या वयस्क व्यक्ति में काफी गुस्सा है, तो उस घर के बच्चों में भी इस तरह का स्वभाव पनप सकता है।
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शारीरिक बीमारी के कारण
कई बार किसी गंभीर बीमारी की वजह से व्यक्ति चिड़चिड़ा होने लगता है। इससे उसका तनाव का स्तर बढ़ जाता है। बढ़ते तनाव की वजह से व्यक्ति एग्रेसिव हो जाता है। इसके अलावा, किसी व्यक्ति का स्वभाव भी यह तय करता है कि वह एग्रेसिव होगा या नहीं। जिन लोगों का स्वभाव शांत होता है, वे आमतौर पर ज्यादा गुस्सा नहीं होते हैं। जबकि गुस्सैल स्वभाव के लोग आसानी से एग्रेसिव हो जाते हैं।
साइकोलॉजिकल फैक्टर
कुछ लोगों का स्वभाव इसलिए बुरा होता है, क्योंकि उनके साथ आस-पड़ोस में मौजूद लोगों ने अच्छा व्यवहार नहीं किया था। इसे इस तरह समझें, जब किसी व्यक्ति के साथ समाज बुरा बर्ताव करता है, तो वह भी अंदर से कुंठा, गुस्सा और निराशा से भर जाता है । इस तरह के लोग आसानी से एग्रेसिव हो जाते हैं।
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