
Blood Test for Anxiety: भले ही मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन अभी भी शरीर की कई ऐसी बीमारियां या समस्याएं हैं जिनके बारे में सटीक जांच मौजूद नहीं है। बीमारी या समस्या की सही जांच मौजूद न होने के कारण डॉक्टरों को इनका इलाज करने में परेशानी होती है। लेकिन इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने हाल में एक ऐसी समस्या की जांच के लिए ब्लड टेस्ट की खोज है, जिससे लाखों लोगों की परेशानी कम करने में मदद मिलेगी। दरअसल वैज्ञानिकों ने एंग्जायटी या घबराहट की समस्या की जांच के लिए ब्लड टेस्ट खोजा है। इसके सहारे अब मरीजों में डिप्रेशन, चिंता, घबराहट या एंग्जायटी जैसी समस्या का पता करने में आसानी होगी। आइये विस्तार से जानते हैं इस ब्लड टेस्ट के बारे में।
एंग्जायटी की जांच के लिए ब्लड टेस्ट- Blood Test for Anxiety in Hindi
मानसिक समस्याओं की जांच के लिए अभी तक कोई भी इस तरह की सुविधा मौजूद नहीं थी, लेकिन इस ब्लड टेस्ट की खोज के बाद लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैं। इस ब्लड टेस्ट के जरिए डॉक्टर मरीज की स्थिति का पता लगा पाएंगे और इलाज में बहुत आसानी होगी। वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया यह ब्लड टेस्ट दरअसल बायोमेकर के आधार पर है। बायोमेकर मूड स्विंग जैसी समस्या से जुड़े होते हैं और इस टेस्ट की सहायता से किसी भी व्यक्ति के भविष्य में मानसिक बीमारियों से ग्रसित होने के बारे में भी पता लगाया जा सकेगा। टेस्ट के माध्यम से यह भी पता चलेगा कि क्या व्यक्ति के शरीर में ऐसे हार्मोनल बदलाव हो रहे हैं, जिनकी वजह से आगे चलकर मानसिक समस्याओं का खतरा हो। इंडियानापोलिस स्थित स्टार्टअप माइंडएक्स साइंसेज द्वारा चिकित्सकों ने इस ब्लड टेस्ट को विकसित किया है और इसकी शुरूआत आईयू स्कूल ऑफ मेडिसिन में की जा रही है।
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नई नहीं है यह ब्लड टेस्ट की तकनीक
वैज्ञानिकों का कहना है कि एंग्जायटी की जांच के लिए विकसित किया गए इस ब्लड टेस्ट की तकनीक नई नहीं है। इस तरह के ब्लड टेस्ट को विकसित करने में कई ऐसी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जो पहले से ही मौजूद थीं। इन तकनीकों की सहायता से पहले डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर, पोस्ट ट्रयूमैटिक स्ट्रैस डिसऑर्डर जैसी समस्याओं की जांच की जाती थी। इस जांच को डेवलप करने के लिए वैज्ञानिकों ने बायोमार्कर की सहायता ली, इसमें लगभग 58 लोगों को रखा गया था। इन लोगों की जांच एक ग्रुप को बायोमार्कर वेरिएशन ग्रुप में रखा था और दूसर ग्रुप में बिना बायोमार्कर का इस्तेमाल होने वाले लोगों को रखा गया था। शोध के दौरान यह पता चला कि बायोमार्कर का अनुमान दूसरी तकनीकों से ज्यादा इफेक्टिव और प्रभावी आ रहा है। वैज्ञानिकों को अध्ययन और शोध के दौरान ऐसे 19 बायोमार्कर मिले, जो घबराहट के स्तर और इसमें होने वाले बदलाव को समझने में सक्षम थे।
इससे पहले तमाम तरह की बीमारियों और स्थितियों के बारे में पता लगाने के लिए खून की जांच की जाती रही है। खून की जांच को सबसे आसान और सहूलियत वाला टेस्ट माना जाता है। लेकिन अब खून की जांच के माध्यम से इसका पता लगाया जा सकेगा कि किसी भी व्यक्ति के दिमाग में क्या चल रहा है। इसकी सहायता से मरीज के बर्ताव और उसकी परेशानियों के बारे में भी पता लगाया जाएगा।
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