सायटिका का संकेत हो सकता है पीठ और कमर का दर्द, नजरअंदाज न करें ये 5 लक्षण

एक उम्र के बाद अक्सर लोगों को पीठ, पैर और कमर में दर्द रहने लगता है। हालांकि इस बात में भी कोई हैरानी नहीं है कि आजकल छोटे बच्चे और युवा भी इस तरह के दर्द के शिकार हो रहे हैं। लेकिन इस का ध्यान रखें कि अगर आपको पीठ, कमर या पैरों में हमेशा तेज दर्द रहता हो तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें, क्योंकि यह सायटिका जैसी गंभीर समस्या का भी संकेत हो सकता है। अक्सर स्त्रियां अपनी सेहत के प्रति लापरवाह होती हैं।
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सायटिका का संकेत हो सकता है पीठ और कमर का दर्द, नजरअंदाज न करें ये 5 लक्षण


एक उम्र के बाद अक्सर लोगों को पीठ, पैर और कमर में दर्द रहने लगता है। हालांकि इस बात में भी कोई हैरानी नहीं है कि आजकल छोटे बच्चे और युवा भी इस तरह के दर्द के शिकार हो रहे हैं। लेकिन इस का ध्यान रखें कि अगर आपको पीठ, कमर या पैरों में हमेशा तेज दर्द रहता हो तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें, क्योंकि यह सायटिका जैसी गंभीर समस्या का भी संकेत हो सकता है। अक्सर स्त्रियां अपनी सेहत के प्रति लापरवाह होती हैं। वे पीठ, कमर या पैरों के दर्द को थकान की वजह से होने वाली मामूली तकलीफ समझकर अकसर उसे नजरअंदाज कर देती हैं, पर ऐसा करना ठीक नहीं। यह सायटिका जैसी गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है।

क्या है सायटिका

यह समस्या मानव शरीर की सबसे लंबी नस सियाटिक से जुड़ी है। इसे इशियाडिक नर्व भी कहा जाता है। सायटिका पीठ में दर्द की एक ऐसी स्थिति को कहते हैं, जो सियाटिक नर्व के दब जाने से पैदा होती है। यह नर्व पीठ के निचले हिस्से से शुरू हो कर पैरों के अंगूठे तक पहुंचती है। यह नस हमारी मांसपेशियों को शक्ति देने का काम करती है और इसी की वजह से हमें संवेदना महसूस होती है। अगर किसी वजह से यह नर्व दब जाती है तो यह आसपास की दूसरी नसों को भी दबाने लगती है। इसी वजह से व्यक्ति को कमर, पीठ, हिप्स और पैरों में लगातार दर्द की समस्या होती है, जिसे सायटिका कहा जाता है। इसके अलावा अगर स्पाइनल कॉर्ड का निचला हिस्सा संकरा हो तो भी ऐसी समस्या हो सकती है। अगर रीढ़ की हड्डियों के जोड़ों के बीच मौजूद कुशन का जेलनुमा पदार्थ सूखने लगे तो हड्डियां एक-दूसरे पर ज्य़ादा दबाव डालने लगती हैं। इस वजह से भी ऐसी समस्या हो सकती है।

कैसे करें पहचान

  • कमर, पीठ या पैरों में तेज दर्द
  • दर्द के साथ जलन और चुभन
  • कमजोरी महसूस होना
  • पैरों का सुन्न पड़ जाना, कदम उठाते वक्त पैरों या एडिय़ों में दर्द
  • खड़े होने या बैठने पर दर्द का बढ़ जाना
  • पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर दर्द का पैरों के अंगूठे तक पहुंच जाना

क्या है वजह

  • भारी वजन उठाने या किसी वजह से झटका लगने पर रीढ़ की हड्डी का कोई ख़्ाास हिस्सा अपनी जगह से खिसक जाता है, जिसे स्लिप डिस्क कहा है। यह सायटिका का सबसे बड़ा कारण है।
  • हमेशा हाई हील पहनने वाली स्त्रियों को यह समस्या हो सकती है।
  • ओवरवेट लोगों को भी यह समस्या हो जाती है।
  • डिलिवरी के बाद कुछ स्त्रियों को यह समस्या हो जाती है क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान सियाटिक नर्व पेल्विक एरिया पर दबाव डालता है।
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज न करना, गलत ढंग से किया गया व्यायाम और सोने के लिए बहुत ज्य़ादा मुलायम गद्दे का इस्तेमाल भी इसका कारण हो सकता है।

बचाव के तरीके

  • संतुलित खानपान और नियमित एक्सरसाइज से अपना वजन नियंत्रित रखें
  • कोई भी भारी सामान उठाते समय ध्यान रखें कि कमर पर ज्य़ादा जोर न पड़े
  • बैठते समय हमेशा अपनी पीठ सीधी रखें
  • उठते-बैठते समय ध्यान रखें कि आपकी कमर को झटका न लगे
  • प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलिवरी के बाद डॉक्टर के सभी निर्देशों का अच्छी तरह पालन करें
  • कुशल प्रशिक्षक की सलाह और निगरानी के बिना कोई भी एक्सरसाइज न करें

क्या है उपचार

जब कोई व्यक्ति सायटिका के लक्षणों के साथ डॉक्टर के पास जाता है तो वह उसकी मेडिकल हिस्ट्री जानने के बाद पीठ, कमर और पैरों की हड्डियों और मांसपेशियों की स्थिति, लचीलापन, संवेदना और उनकी ताकत की जांच करते हैं। इसके अलावा विस्तृत जांच के लिए मरीज का एक्स-रे, एमआरआइ, सीटी स्कैन और जरूरत महसूस होने पर व्यक्ति के नर्व की स्थिति की भी जांच की जाती है। सायटिका के मरीज को नॉन-स्टीरॉयड एंटी इन्फ्लेमेट्री दवाएं दी जाती हैं, ताकि मरीज को दर्द और जलन से आराम मिल सके। दवाओं के साथ अगर फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जाए तो मरीज को जल्द आराम मिल जाता है। अगर दवाओं और फिजियोथेरेपी से मरीज को फायदा न हो रहा हो या उसकी पीड़ा असहनीय हो तो उपचार के अंतिम विकल्प के रूप में सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है। सर्जरी के बाद मरीज को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर पूरी तरह अमल करते हुए नियमित एक्सरसाइज और मॉर्निंग वॉक के साथ अगर संतुलित खानपान अपनाया जाए तो सर्जरी के बाद भी व्यक्ति स्वस्थ और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है।

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