नाक से पानी और छींक आना है नाक की एलर्जी का संकेत, जानें अन्य लक्षण और इलाज

- एलर्जी को आप जुकाम का प्रभाव मानकर नजरअंदाज कर सकते हैं।
- नाक की एलर्जी में कई बार चेहरा नीचे करते ही नाक से पानी गिरने लगता है।
- आपके आसपास ही मौजूद होते हैं एलर्जी फैलाने वाले कारक मगर पता नहीं चलता।
सर्दी के मौसम में अक्सर लोगों की नाक बहने लगती है, नाक से पानी आने लगता है और बार-बार छींक आती है। इन्हें आप जुकाम का प्रभाव मानकर नजरअंदाज कर सकते हैं। मगर ये लक्षण नाक की एलर्जी के भी हो सकते हैं, जो इस मौसम में आम बीमारी है। नाक की एलर्जी का सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों को होता है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) बड़ों से कमजोर होता है। नाक की एलर्जी के कारण व्यक्ति को काफी परेशानी होती है क्योंकि चेहरा नीचे करते ही नाक से पानी गिरने लगता है या समय-बेसमय छींक आती रहती है। आइए आपको बताते हैं इस एलर्जी के बारे में जरूरी बातें।
आसपास ही मौजूद है एलर्जी का कारण
हमारे घरों में बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं जिनका ध्यान रख आप अपने बच्चे को एलर्जी से बचा सकती हैं। घर में रहने वाली धूल व मिट्टी एलर्जी का मुख्य कारण होती है। ये कण फर वाले खिलौनों व बिस्तर पर भी मिलते हैं। अपने बच्चे के लिए जितनी भी तरह के प्रसाधन इस्तेमाल कर रही हैं जैसे साबुन, क्रीम व पाउडर उनमें किसी प्रकार के रसायन न हों यह ध्यान रखें। बच्चे की स्किन बहुत सेंसटिव होती है, उसे एलर्जी भी बहुत जल्दी होती है। बच्चे की हाइजीन व सफाई का ध्यान बहुत ज्यादा रखने से भी बच्चे अति संवेदनशील हो एलर्जिक हो जाते हैं। धूल-मिट्टी में पलने वाला बच्चा ज्यादा स्वस्थ रहता है क्योंकि उसे बचपन से मिट्टी के संपर्क में आने वाले बैक्टीरिया से पहचान होती है। उसका इम्यून सिस्टम मजबूत हो जाता है।
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क्यों होती है एलर्जी की समस्या
नाक की एलर्जी से पीड़ित लोगों की नाक के पूरे रास्ते में अलर्जिक सूजन पाई जाती है। ऐसा धूल और पराग कणों जैसे एलर्जी पैदा करने वाली चीजों के संपर्क में आने की वजह से होता है। जब किसी इंसान का ‘इम्यून सिस्टम’ यानी प्रतिरोधक तंत्र वातावरण में मौजूद लगभग नुकसानरहित पदार्थों के संपर्क में आता है तो एलर्जी संबंधी समस्या होती है। शहरी वातावरण में तो इस तरह की समस्याएं और भी ज्यादा हैं।
एलर्जी के लक्षण
एलर्जी आपके शरीर के कई हिस्सों जैसे त्वचा, आंखें और नाक पर अपना गलत असर दिखाती है। अगर इसका असर सीधे नाक पर हमला करता है, तो आपको लगातार छींकें आना, नाक बहना, बंद नाक या नाक में खुजली होती है।
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अनुवांशिक भी हो सकती है एलर्जी
एलर्जी की प्रवृत्ति आपको आनुवंशिक रूप से यानि कि अपने परिवार या वंश से मिल सकती है।किसी खास पदार्थ के साथ लंबे वक्त तक संपर्क में रहने से भी हो सकती है। नाक की एलर्जी को बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैं: सिगरेट के धुएं के संपर्क में आना, जन्म के समय बच्चे का वजन बहुत कम होना, बच्चों को बोतल से ज्यादा दूध पिलाना, बच्चों का जन्म उस मौसम में होना, जब वातावरण में पराग कण ज्यादा होते हैं।
कैसे करें एलर्जी से बचाव
सर्दी के मौसम में एलर्जी से बचने के लिए अपनी रोग प्रतिकार क्षमता को बढ़ाएं। इसके लिये आप रोज़ाना सुबह-शाम एक चमच्च च्यवनप्राश खा सकते हैं और आंवला का सेवन कर सकते हैं। एलर्जी से निपटना मुश्किल तो है लेकिन यदि सावधानी बरतें तो इस परेशानी से बचा जा सकता है। अगर हो सके तो अपने तकिए और गद्दे के कवर को नियमित रूप से गरम पानी में उबालकर धोएं एवं साफ रखें। धूम्रपान न करें और न ही दूसरों को अपने घर में करने दें।
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Source: ओन्ली माई हैल्थ सम्पादकीय विभाग Jan 20, 2019
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