Ritucharya Diet: ऋतुओं (सीजन) के अनुसार करें भोजन तो बढ़ेगी इम्यूनिटी और कम पड़ेंगे बीमार

ऋतुचर्या डाइट आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद कर सकता है। आइए जानिए क्‍या है ऋतुचर्या डाइट और इसके फायदे। 
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Ritucharya Diet: ऋतुओं (सीजन) के अनुसार करें भोजन तो बढ़ेगी इम्यूनिटी और कम पड़ेंगे बीमार


इस महामारी के दौरान अपनी डाइट को हेल्दी रखना व अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाना कितना आवश्यक है यह तो आप जानते ही होंगे। बिना मौसम की सब्जियां भी आप के स्वास्थ्य के लिए ज्यादा ठीक नहीं रहती। इसलिए ऋतुचर्या डाइट का पालन करना चाहिए। आइए जानते हैं ऋतुचर्या डाइट के विषय में विस्तार से। क्या है यह ऋतुचर्या डाइट और क्या फायदे हैं।

बदलते मौसम का हमारे शरीर पर भी असर पड़ता है। जब मौसम में कुछ बदलाव होता है तो हम अकसर  साधारण फ्लू या खांसी जुकाम से घिर जाते हैं।  क्योंकि नए मौसम में ढलने के लिए हमारे शरीर को भी कुछ समय की आवश्यकता होती है। यदि आप नए मौसम के अनुसार अपने शरीर को नहीं ढाल पाएंगे तो आप के बीमार होने की सम्भावना रहती है। 

अपने शरीर को मौसम के अनुसार ढालने के लिए हमें उसी ऋतु में आने वाले फल व सब्जियां खानी चाहिए। यदि हम दूसरे सीजन की सब्जियां या फल खाएंगे तो हो सकता है हमारी इम्यूनिटी भी कमजोर हो जाए। क्योंकि हमें प्रकृति के नियमों के साथ छेड़ छाड़ करने का कोई हक नहीं है। हो सकता है आपके वजन में भी कुछ बदलाव आ जाए। जैसे आप पहले से अधिक  मोटे या पतले हो जाएं। इसके अलावा इस सीजन की फल सब्जियों को छोड़ कर बिना सीजन की फल सब्जियां खाने से आप को त्वचा रोग व बालों की स्मस्या जैसे बाल झड़ना आदि भी हो सकते हैं। 

Ritucharya Diet

ऋतुचार्य डाइट क्या है? (What is Ritucharya diet)

आयुर्वेद (Ayurveda) में एक साल को दो भागो में बांटा गया है। जिन्हे उत्तरायन (Northern solstice) व दक्षिणायन (Southern solstice) कहा जाता है। इन दोनों भागो में 3-3 ऋतु (Seasons) आती हैं। मानव शरीर वट (वायु व ब्रह्मांड), पित्त (अग्नि व जल), कफ (पानी व पृथ्वी) के मिश्रण से मिल कर बना है। ऋतु का अर्थ होता है सीजन या मौसम और चार्य का अर्थ होता है दिशा निर्देश। आयुर्वेद ने हर ऋतु के लिए कुछ दिशा निर्देश बना रखे हैं। जिनका पालन करने से मनुष्य की इम्यूनिटी भी बढ़ती है और वह बीमार भी बहुत कम होता है। 

1. शिशिर (मध्य जनवरी से मध्य मार्च तक) (Shishira)

इस मौसम में हमे आंवला, दाल, अनाज गेहूं या बेसन का आटा आदि चीजों को खाना चाहिए। आपको अपनी डाइट में लहसुन व अदरक, गन्ने से बनी चीजें, दूध आदि को भी शामिल करना चाहिए। आपको ठंडी चीजें व कड़वी चीजें नहीं खानी चाहिए। 

2. वसंत (मध्य मार्च से मध्य मई) (Vasanta)

इस ऋतु में आप को चावल, जौ, अनाज व गेंहू आदि खाना चाहिए। दालें, मसूर आदि भी खाने चाहिए। आप को तीखा, कड़वा खाना नहीं खाना चाहिए। आप को आंवला, ठंडा, खट्टा मीठा या वह भोज्य पदार्थ जो पचने में मुश्किल हो अपनी डाइट में नहीं शामिल करना चाहिए। 

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3. ग्रीष्म (मध्य मई से मध्य जुलाई) (Grishma)

दाल के साथ साथ वह भोज्य पदार्थ भी खा सकते हैं जो पचने में आसान हो। आप चाहे तो इनमें ठन्डे और मीठे पदार्थों को भी शामिल कर सकते हैं। इस मौसम के दौरान आप को बहुत सारा पानी व छाछ पीना चाहिए। गरम व खट्टी चीजों को न खाएं।

4. वर्षा (मध्य जुलाई से मध्य सितंबर तक) (Varsha)

खट्टे, नमकीन पदार्थ खा सकते हैं। आप चाहे तो अपनी डाइट में सूप भी शामिल कर सकते हैं। इस मौसम के दौरान आपको उबला हुआ पानी पीना चाहिए। शराब व अपाच्य भोज्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए। 

Soup

5. शरत (मध्य सितंबर से मध्य नवंबर तक) (Sharat)

इस मौसम में आप को वह भोज्य पदार्थ खाना चाहिए जो स्वाद में कड़वा व मीठा हो और आसानी से पचने योग्य भी हो। गेंहू, हरे चने, शहद आदि अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। आप को फैट, तेल से युक्त भोजन व मीट आदि नहीं खाना चाहिए। 

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6. हेमंत (मध्य नवंबर से मध्य जनवरी तक) (Hemanta)

इस मौसम के दौरान आप को नमकीन, खट्टे व मीठे भोजन खाने चाहिए। आप को नए चावल व हरे चने का सेवन करना चाहिए। आप को इनके अलावा फैट से युक्त भोजन, दूध व दूध से बनी चीजें व गन्ने से बनी चीजें आदि अपनी डाइट में शामिल करनी चाहिए। 

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