डायबिटीज का अगला चरण होता है रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया, जानें इसके लक्षण और इलाज

रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया एक ऐसी स्थिति है जिसे डायबिटीज का चरम भी कहते हैं। यानि कि जब व्यक्ति के शरीर में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है और उसका रोग कंट्रोल नहीं होता है तो उसे रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया हो जाता है। इसमें व्यक्ति के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा 50 मिलीग्राम से कम हो जाती है और शरीर में कमजोरी भी बढ़ने लगती है। रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया के मरीजों में भोजन करने के बाद लो ब्लड शुगर की शिकायत पायी जाती है।
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डायबिटीज का अगला चरण होता है रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया, जानें इसके लक्षण और इलाज

रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया एक ऐसी स्थिति है जिसे डायबिटीज का चरम भी कहते हैं। यानि कि जब व्यक्ति के शरीर में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है और उसका रोग कंट्रोल नहीं होता है तो उसे रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया हो जाता है। इसमें व्यक्ति के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा 50 मिलीग्राम से कम हो जाती है और शरीर में कमजोरी भी बढ़ने लगती है। रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया के मरीजों में भोजन करने के बाद लो ब्लड शुगर की शिकायत पायी जाती है। हाइपोग्लाइसीमिया में रोगी के ब्‍लड में शुगर की मात्रा सामान्य से कम हो जाती है। डाक्टरों के मुताबिक शुगर की कमी के कारण इससे पीड़ित लोगों को काफी समस्याएं होने लगती हैं। हाइपोग्लाइसीमिया मधुमेह की स्थिति से ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसमें मरीज को चक्कर आने लगते है तथा कई बार ऐसी हालत में वह बेहोश होकर गिर भी सकता है।

रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया के लक्षण

  • हमेशा भूख लगना
  • बिना मूवमेंट किए शरीर को हिलाना
  • हमेशा कमजोरी महसूस होना
  • थोड़ा सा काम करने के बाद ही पसीन आना
  • तनाव और चिंता का शिकार होना
  • बाहरी के साथ साथ आंतरिक रूप से भी सुस्त रहना

3 कारणों से होता है रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया 

  • एपिनेफ्रीन का संवेदनशील होना एपिनेफ्रीन एक प्रकार का हार्मोन है जो थकान के समय शरीर से रिलीज होता है। 
  • ग्लूकागन के निर्माण में कमी ग्लूकागन भी एक प्रकार का हार्मोंन है जिसका इंसुलिन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यह शरीर में ब्लड ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाता है।  
  • गैस्ट्रीक सर्जरी भी हाइपोग्लाइसिमिया का कारण हो सकती है क्योंकि इसमें खाना पाचन तंत्र की मदद से जल्दी पच जाता है। आपके शरीर में एंजाइम की कमी भी हाइपोग्लाइसिमिया को बढ़ा सकती है। हालांकि यह कमी बहुत कम लोगों में पायी जाती है। 

रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया का उपचार

रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया का इलाज आहार के द्वारा किया जा सकता है। मरीज जो भी आहार लेता है उसका उद्देशय ब्लड शुगर के स्तर को दिनभर ठीक रखना होता है। जानें किस तरह से रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया के खतरे से निपटा जा सकता है- 

  • दिनभर में खाने की मात्रा को थोड़ा-थोड़ा करके कम से कम छह बार लें।
  • याद रखें हर बार खाने में तीन से चार घंटे का अंतराल होना चाहिए।
  • मरीज के स्नैक्स व खानें में प्रोटीन युक्त आहार का होना जरूरी है।
  • किसी भी समय खाना खाना नहीं छोड़ें। अगर मन ना हो तो थोड़ा सा ही खाएं। खानानहीं खाना रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • जिन लोगों को धूम्रपान व नशे की लत होती हैं उन्हें तुरंत ही इस लत को छोड़ देना चाहिए क्योंकि यह मरीज के लिए खतरनाक स्थिति पैदा करता है।
  • कैफीन की मात्रा को नियंत्रित करें। इसमें रिएक्टिव हाइपोग्लाइसिमिया को बढ़ाने वाले कारक पाए जाते हैं।
  • कोल्ड ड्रिंक, बिस्किट, चॉकलेट, केक, पेस्ट्री जैसे आहार से दूर रहें। ये सब चीजें तुरंत ही ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा देती हैं जिसके कारण इंसुलिन ज्यादा रिलीज होता है और यह लो ब्लड शुगर का कारण बनता है।

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