तुलसी के पांचों प्रकारों को मिलाकर इनका अर्क निकाला जाए, तो यह पूरे विश्व की सबसे प्रभावकारी और बेहतरीन दवा न सकती है। एक एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फ्लू, एंटी-बायोटिक, एंटी-इफ्लेमेन्ट्री व एंटी–डिजीज की तह कार्य करने लगती है।
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इन बीमारियों के लिए इस तरह करें तुलसी का इस्तेमाल
पांच तुलसी का यह अर्क सैकड़ों रोगो में लाभदायक सिद्ध होता है। बुखार, फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू, सर्दी, खांसी, जुखाम, प्लेग, मलेरिया, जोड़ो का दर्द, मोटापा, ब्लड प्रेशर, शुगर, एलर्जी, पेट ममें कृमि, हेपेटाइटिस, जलन, मूत्र संबंधी रोग, गठिया, दम, मरोड़, बवासीर, अतिसार, आंख दर्द , खुजली, सिर दर्द, पायरिया, नकसीर, फेफड़ों की सूजन, अल्सर, वीर्य की कमी, हार्ट, ब्लोकेज आदि समस्याओं से एक साथ निजात दिलाने में सक्षम है। आयुर्वेद में तुलसी को 'जड़ीबूटी की रानी' कहते हैं। इसमें मौसमी रोगों से लडऩे वाले एंटीबैक्टीरियल व एंटीवायरल गुण होते हैं।
पैरों के तलवों पर तुलसी के पत्तों का पेस्ट लगाएं
गठिया दर्द में तुलसी चूर्ण की आधी चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ ली जा सकती है। तुलसी के कुछ पत्ते व 2-3 कालीमिर्च डालकर बनी चाय पीने से मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है। 6 -8 तुलसी के पत्ते व चंदन की लकड़ी को घिसकर बना पेस्ट सिर पर लगाने से सिरदर्द मे आराम होता है। बुखार होने पर तुलसी के 10 पत्ते व आधा ग्राम जावित्री पीसकर शहद के साथ खाना फायदेमंद है।
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तुलसी के 5-7 पत्ते या इसके रस की कुछ बूंदें, 3-4 लौंग, एक ग्राम कालीमिर्च को एक कप पानी में आधा रहने तक उबालें। गुनगुना होने पर नमक मिलाकर पीएं। तुलसी के कुछ पत्तों का पेस्ट पैरों के तलवे पर लगाने से तेज बुखार कम होने लगता है। सर्दी-जुकाम में राहत के लिए एक कप पानी में 5-7 तुलसी के पत्ते, 2-3 लौंग, थोड़ी चीनी डालकर 10 मिनट उबालें। दिन में दो बार पीना लाभदायक है।
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