हर समय कुछ सोचते रहने की आदत से नहीं आती देर रात तक नींद, तो मनोचिकित्सक से जानें इस समस्या के लिए आसान उपाय

अगर आपको भी देर रात तक नींद नहीं आती है तो जांच लें कहीं आप भी डिलेएड स्लीप फेज सिंड्रोम का शिकार तो नहीं हैं।

 

Meena Prajapati
Written by: Meena PrajapatiUpdated at: Mar 13, 2021 14:48 IST
हर समय कुछ सोचते रहने की आदत से नहीं आती देर रात तक नींद, तो मनोचिकित्सक से जानें इस समस्या के लिए आसान उपाय

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जो लोग किसी तरह के क्रिएटिव फील्ड (Creative field) से जुड़े होते हैं उन्हें अक्सर हर समय कुछ सोचते रहने की वजह से रात को जल्दी नींद नहीं आती। वे रात को भी काम की ही बातें सोच रहे होते हैं या फिर कह सकते हैं सोते समय उनके दिमाग में काम से रिलेटिड कई तरह के आइडिया आते हैं। ज्यादा सोचन है लेकिन जरूरत से ज्यादा सोचना ठीक नहीं है। क्या आप जानते हैं कि ऐसी फील्ड में लगे लोग नींद से जुड़े कई तरह के विकारों से ग्रसित हो जाते हैं। 24 घंटे दिमाग में काम से रिलेटिड आइडियाज पर सोचते रहने से डिलेएड स्लीप फेज सिंड्रोम (Delayed sleep phase disorder) हो जाता है। कई अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहीं मनोचिकित्सक डॉ. प्रज्ञा का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को एक महीने से ज्यादा समय से रात को देर से नींद आती है तो वह डिलेएड स्लीप फेज सिंड्रोम से ग्रसित हो जाता है। ऐसे लोगों को अक्सर कहते हुए सुना जाता है कि सुबह 5 बजे सोया या चार बजे। तो वहीं, जो लोग रचनात्मक फील्ड में लगे हैं और उनकी नींद डिस्टर्ब हो रही है तो उनके लिए मनोचिकित्सक ने कुछ उपाय बताए हैं। लेकिन उससे पहले जान लेते हैं डिलेएड स्लीप के लक्षण। 

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डिलेएड स्लीप सिंड्रोम के लक्षण (Delayed sleep phase disorder symptoms)

  • -सोते समय सोचते रहना
  • -अचानक नींद टूट जाना
  • -घबराहट होना
  • -घबराहत में खुद को नियंत्रित न कर पाना
  • -चिड़चिड़ापन होना
  • -नींद पूरी न होना

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नींद न आने के कारण

डॉक्टर प्रज्ञा का कहना है कि आपका खाना और सोना तय करता है आपकी सेहत। इसलिए दोनों पर हमें बहुत ध्यान देने की जरूरत है। तो वहीं, ऐसे लोग जो कामकाजी हैं उन्हें काम के स्ट्रेस की वजह से नींद से जुड़ा यह विकार शुरूआती लक्षणों के रूप में सामने आता है। देर रात तक नींद आने को लाइफस्टाइल से रिलेटिड परेशानी भी कह सकते हैं। डॉ. प्रज्ञा के मुताबिक नींद आने के कारण निम्न हैं।

  • -देर रात में स्नैक्स खाना
  • -एग्जाइटी होना
  • -एल्कोहल लेना
  • -गलत समय पर एक्सरसाइज करना 
  • -कैफीन लेना
  • -डिप्रेशन का शिकार होना
  • - अचानक दिनचर्या में बदलाव 

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ये है इलाज

डॉ. प्रज्ञा मलिक का कहना है कि जब लोग नींद से जुड़ी परेशानियां लेकर आते हैं। तब हम पहले उसकी परेशानी को समझते हैं। फिर किस प्रकार की दिक्कत है, उस अनुसार बात करते हैं। डॉ. प्रज्ञा के मुताबिक मनोचिकित्सक लोग ऐसी परेशानियों का निम्न तरीकों से करते हैं इलाज।

थेरेपी से इलाज 

डॉ.प्रज्ञा के मुताबिक डिलेएड स्लीप डिसऑर्डर में एक बेसिक थेरेपी दी जाती है। जिसमें मरीज को सोने से पांच मिनट पहले बिस्तर पर जाने की सलाह दी जाती है। इस तरह से मरीज के इंटरनल और बायोलोजिकल क्लोक पर काम करके सोने के पैटर्न को मैनेज किया जाता है।  

ब्राइट लाइट थेरेपी

मरीज को 30 मिनट के लिए विशेष फ्रिक्वैंसी वाली लाइट से एक्पोजर दिया जाता है। जिससे उसकी आंखें थकें और उसे नींद आए। यह लाइट घर में जलने वाली लाइट नहीं होती, इसलिए घर में ऐसे प्रयास न करें।

स्लीप हाइजीन 

डॉ. प्रज्ञा के मुताबिक तीसरा हिस्सा स्लीप हाइजीन का आता है। जिसमें मरीज को सोने जाने से पहले तंबाकू, धूम्रपान, एल्कोहल को न लेने की सलाह दी जाती है। सोने से दो घंटा पहले कुछ भी न खाएं। स्क्रीनिंग टूल का इस्तेमाल न करें। परिवार से बात करें या किताबें पढ़ें। सोते समय तनाव न लें। आपको जिस वजह से तनाव हो रहा है उसे लिखें। अपने अगले दिन के कामों की लिस्ट बना लें। सही समय पर एक्सरसाइज करें। रात को अनहेल्दी स्नैक न खाएं।

नींद शरीर को केवल रिपेयर ही नहीं करती। बल्कि आपकी जिंदगी को संवारती है। आप जितना सही तरीके से सोएंगे उतना ही आपको जीवन में तरक्की मिलेगी। इसलिए आप जिस भी फील्ड में हों, अपनी नींद के साथ कंप्रोमाइज मत करिए।

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