चुस्त-दुरुस्त शरीर और तेज दिमाग के लिये बेहतर खानपान और एक्सरसाइज जरूरी होते हैं। यही नहीं, कुछ ताज़ा अध्ययनों से पता चला है कि डाइट में बदलाव लाकर, एक्सरसाइज व पजल खेलने से मनोभ्रंश (डिमेंशिया) से पीड़ित लोग स्वस्थ हो सकते हैं। तो चलिये आज हम कुछ ऐसे ही कुछ एक्सरसाइज के बारे में जानते हैं, जिनसे मेमोरी बेहतर बनती है।
एरोबिक एक्सरसाइज करें
दिमाग को स्वस्थ और जवां बनाए रखने के लिए एरोबिक एक्सरसाइज करें। साइकोलॉजी के जानकारों के अनुसार एक्सरसाइज दिमाग को दुरस्त रखती है और याददाश्त को भी रिस्टोर कर सकती है। इससे दिमाग की रक्त आपूर्ती बढ़ती है और वहां ज्यादा पोषण और ऑक्सीजन पहुंच पाता है। एरोबिक्स फिटनेस को बढ़ाती है और अधिक उम्र के मनुष्यों में ब्रेन टिशू लॉस को कम करती है और दिमाग को भी तेज करती है।
बेहतर याददाश्त के लिए स्वस्थ दिल
एक अध्ययन के मुताबिक स्वस्थ दिल के लिए किया जाने वाला वर्कआउट, उम्र बढ़ने के साथ होने वाली याददाश्त हानि से भी बचाता है। अनुसंधानकताओं ने अ नुसंधान के दौरान पाया कि स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली धमनियों को लचीला बनाए रखने में मदद करती है। जिससे बाद के जीवन में संज्ञानात्मक क्षमताएं संरक्षित रहती हैं।
क्या है दिल और दिमाग का संबंध
दरअसल हमारे शरीर की धमनियां उम्र के साथ सख्त होती जाती हैं। अतः दिमाग तक रक्त पहुंचाने से पहले दिल तक जाने वाली महाधमनी तक रक्त पहुंचाने वाली नलिका भी कठोर होने लगती है। अनुसंधानकर्ता के अनुसार जिन वयस्कों की महाधमनियां बेहतर स्थिति में होती है और जो शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं अनका दिमाग और याददश्त भी बेहतर होते हैं। अध्ययन मुख्य रूप से इस बात की ओर इशारा करते हैं कि जितनी जल्दी लोग जीवनशैली में बदलाव लाएंगे, उन्हें बुढ़ापे में दिमाग से जुड़ी बीमारी 'डिमेंशिया' होने की संभावना भी काफी हद तक कम होगी। डिमेंशिया से लाखों लोग बच सकते हैं बशर्ते कि वे प्रतिदिन शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, और शरीर व दिमाग़ तरोताजा और हेल्दी बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में एक्सरसाइज करें।
भ्रामरी प्राणायाम
ध्यान, प्राणायाम और व्यायाम से तनाव दूर होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, एकाग्रता बढ़ती है और मस्तिष्को को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन, रक्त और पोषक तत्व मिल जाते हैं। इन सबसे याददाश्त बढ़ती है। भ्रामरी प्राणायाम याददाश्त के लिये अच्छा होता है। इसे करने से ऐसे हार्मोंस निकलते हैं जो मस्तिष्क को शांत करते हैं।
उष्ट्रासन
उष्ट्रासन का अभ्यास करने पर रीढ़ से होकर गुजरने वाली स्त्रायु कोशिकाओं में तनाव पैदा होता है जिससे उनमें खून का संचार बढ़ जाता है और याददाश्त बेहतर होने लगती है। रोज़ाना तीन मिनट तक लगातार उष्ट्रासन करने से काफी फायदा होता है।
चक्रासन
चक्रासन करने से मस्तिष्क की कोशिकाओं में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है और रक्त मस्तिष्क की उन कोशिकाओं तक भी पहुंचने लगता है, जहां पहले वह ठीक प्रकार से नहीं पहुंच पाता था। चक्रासन का नियमित अभ्यास मस्तिष्क के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
आप त्राटक भी कर सकते हैं। याददाश्त का संबंध मन की एकाग्रता से होता है। मन जितना एकाग्र होगा, बुद्धि उतनी ही तेज और याददाश्त उतनी ही मजबूत होगी। बिना पलकों को झपकाए एकटक किसी भी बिंदु को अपनी आंखों से देखते रहना त्राटक कहलाता है। त्राटक से दिमाग के सोये हुए केंद्र जाग्रत होते हैं, जिससे याददाश्त दुरूस्त होती है।
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