वैसे तो बच्चे के गर्भ में रहने का समय चालीस सप्ताह होता है, लेकिन 13 बच्चों में से हर एक बच्चा 37 सप्ताह से पहले असमय पैदा होता है। ऐसे बच्चों को प्रीमैच्योचर भी कहते है। समय से पहले पैदा होने के कारण उनका मानसिक विकास और सीखने की गति निर्धारित समय पर जन्में बच्चों के मुकाबले काफी धीमा होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों का विशेष ध्यान दिया जाता है। आइए हम आपको बताते है कि समय से पहले जन्में बच्चों को आम बच्चों के मुकाबले किन समस्याओं का सामना करना पडता है-
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रोग-प्रतिरोधक क्षमता में कमजोरी
जितनी जल्दी बच्चों का जन्म होता है, उतनी ही अधिक समस्या होती है। समय से पहले पैदा होने और निर्धारित वजन से कम होने कारण ऐसे बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता दूसरे बच्चों की तुलना में कम होती है जिससे उसे स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलें अधिक आती हैं। वे अधिक बीमार पड़ते हैं यहां तक की मौसम में जरा सा भी उतार-चढ़ाव होते ही बीमार पड़ जाते हैं।
मानसिक बीमारी का खतरा
असमय पैदा हुए बच्चों में बाद के दिनों में मानसिक बीमारी भी हो सकती है। अगर बच्चे का जन्म नौ महीने पूरा होने से पहले हुआ है, तो हो सकता है कि बुढ़ापे में उन्हें किसी प्रकार की मानसिक बीमारी का सामना करना पड़े। कई अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों को द्विध्रुवी विकार, मानसिक अवसाद और मनोविकार की बीमारी हो सकती है और साथ ही सीजोफ्रेनिया, बाईपोलर डिसआर्डर और अवसाद जैसे मानसिक विकार होने का खतरा अधिक रहता है।
दिमागी क्षमता में कमजोरी
समय से पूर्व जन्में बच्चों के दिमाग के विकास पर असर रहता है, ऐसे बच्चों की दिमागी क्षमता अन्य बच्चों के मुकाबले थोड़ी कम हो सकती है। इस कारण ऐसे बच्चों के दिमागी विकास में भविष्य में कुछ समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती है। ऐसे बच्चों की स्मरण शक्ति और दिमागी क्षमता का पता भी बच्चे के करीब आठ वर्ष की आयु का हो जाने के बाद ही चलता है।
निर्धारित समय पर जन्में बच्चों को इन समस्याओं का सामना नही करना पडता, इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर समय से पूर्व जन्में बच्चों पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दिया जाता है। मां-बाप को इससे चिंतित होने की जरुरत है क्योंकि ऐसे बच्चों में कुछ बीमारी हो जाने की आशंका बनी रहती है, इसलिए समय से पूर्व जन्में बच्चों के मां-बाप को इस बात ख्याल रखना चाहिए कि जैसे ही उनमें इसके कोई लक्षण दिखाई पड़े, तुरंत इसका इलाज करवाएं ताकि आगे चलकर यह कोई बड़ा रूप न ले ले।
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