साइटिका (कटिस्नायुशूल) की समस्या होने पर मरीज को पीठ दर्द, पैरों में और पैरों की पिंडलियों में दर्द होने के साथ पैरों में संवेदनशीलता में कमी आने लगती है। दरअसल हमारे शरीर में सबसे लंबी नस, जो कि पीठ के नीचले हिस्से से शुरू होकर पैर के अंगूठे तक होती है, जिसे मेडिकल साइंस साइटिका नर्व कहा जाता है। जो कि शरीर की सबसे महत्वपूण नर्व मानी जाती है। जब हमारे शरीर में साइटिका नर्व किसी कारणवश दब जाती है तो हमें पीठ में दर्द प्रारम्भ हो जाता है। इस नर्व के दबने से आसपास की नसों को भी यह दबाने का कार्य करती हैं जिसके कारण अलग-अलग जगहों पर दर्द शुरू हो जाता है। डॉक्टर इसे साइटिका नाम से बुलाते हैं।
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एक्यूपंचर विधि से साइटिका का इलाज
अगर आप भी साइटिका की समस्या से परेशान हैं तो आपके लिए एक्यूपंचर विधि बहुत ही फायदेमंद हो सकती है। यह 3000 साल पुरानी चीनी चिकित्सा पद्धति है। 2015 में हुए एक शोध के मुताबिक यह चिकित्सा पद्धति साइटिका से पीड़ित मरीजों में दर्द की तीव्रता को कम करने में प्रभावी पाई गई है। स्टडी के मुताबिक एक्यूपंचर विधि से साइटिका का इलाज करने में कोई साइडइफेक्ट भी नही है। इस रिसर्च की रिपोर्ट जर्नल ऑफ कॉम्प्लिमेंट्री एंड ऑल्टर्नटिव मेडिसिन में छपी है। तो चलिए हम आपको बताते हैं एक्यूपंचर विधि से साइटिका का इलाज कैसे किया जाए।
एक्यूपंचर प्वाइंट को समझें
वैसे शरीर में कई एक्यूपंचर प्वाइंट होते हैं, जहां पर सुई चुभोकर बीमारियों का इलाज किया जाता है। मगर साइटिका के दर्द के लिए सुई चुभोने के बजाए सिर्फ उस प्वाइंट को दबाना है। ये प्वाइंट कमर के दोनों किनारों पर होती है, जिसे B48 और GB30 के नाम से जाना जाता है। इस प्वाइंट पर मसाज कर के साइटिका यानी बैक पेन, हिप पेन कमर के आस-पास के एरिया के दर्द को ठीक किया जा सकता है। हालांकि कुछ लोगों को इस प्वाइंट पर पहले से ही दर्द होता है ऐसे में उन जगहों पर बहुत ही सावधानी पूर्वक मसाज करनी चाहिए।
नोट: साइटिका के दर्द से परेशान हैं तो आप इस एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति को अपना सकते हैं। मगर बिना एक्सपर्ट की राय के बगैर इस उपचार को न अपनाएं।
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