ये 7 टिप्‍स, जो बच्‍चों का तन और मन रखेंगे स्‍वस्थ

पढ़ाई व हर चीज़ में आगे रहने का दबाव मानसिक रूप से उन्हें कमज़ोर बना रहा है। यह स्थिति बच्चों के प्रेज़ेंस ऑफ माइंड को चुनौती दे रही है। जानें कुछ टिप्स, जिन्हें अपनाकर बच्चे भी रहें टेंशन फ्री।
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ये 7 टिप्‍स, जो बच्‍चों का तन और मन रखेंगे स्‍वस्थ


जीवन की इस खूबसूरत शुरुआत को जि़ंदादिली से भरपूर होकर जीना चाहिए। उम्मीदों के बोझ तले दबने के बजाय मज़बूत बनने की कोशिश करनी चाहिए। आज की फास्ट लाइफ में बच्चे भी छोटी-छोटी बातों से परेशान होने लगे हैं। पढ़ाई व हर चीज़ में आगे रहने का दबाव मानसिक रूप से उन्हें कमज़ोर बना रहा है। यह स्थिति बच्चों के प्रेज़ेंस ऑफ माइंड को चुनौती दे रही है। जानें कुछ टिप्स, जिन्हें अपनाकर बच्चे भी रहें टेंशन फ्री।

बनें अच्छे श्रोता

एक अच्छे वक्ता के साथ ही अच्छा श्रोता बनना भी ज़रूरी होता है। दूसरों की बातें धैर्यपूर्वक सुनना कठिन ज़रूर है पर नामुमकिन नहीं। इसका यह मतलब भी नहीं है कि आप किसी की कोई भी बात सुनते रहें, जो बात महत्वपूर्ण लगती हो, उस पर ही अपना समय लगाएं।

नज़र बनाएं पारखी

लोगों को समझने और पहचानने की कला भी आपके अंदर होनी चाहिए। इसके लिए दिमा$ग को एकाग्र रखना ज़रूरी है। ऐसा न हो कि आप कहीं और मन कहीं और हो। लोगों के हावभाव से उनके व्यक्तित्व को पढऩा सीखें।

जब बनना हो मल्टीटास्कर

वैसे तो एकाग्रता बढ़ाने के लिए एक बार में एक ही काम करना चाहिए पर कभी-कभी कई काम एक साथ करना भी ज़रूरी हो जाता है। ध्यान रखें कि आपके एक काम से दूसरा प्रभावित न हो रहा हो।

न बनें इमोशनल फूल

कई बार स्थितियां हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं या हम अपनी भावनाओं के आगे कमज़ोर पड़ जाते हैं। ऐसे टाइम पर अपनी बातें किसी से शेयर करने की कोशिश करें। इससे मन का तनाव कम होगा।

प्राथमिकताएं तय करें

काम बहुत सारे हैं, पढ़ाई करनी है, दोस्तों से मिलना है, टीवी देखनी है, घूमना है और सोशल मीडिया को भी समय देना है। अब अगर अपना रूटीन फिक्स नहीं करेंगे तो समस्याएं तो आएंगी ही न। परेशान होने से बेहतर है कि अपनी प्राथमिकता के अनुसार काम करें।

मस्ती भी है ज़रूरी

सिर्फ पढ़ाई करते रहने के बजाय कुछ टाइम मौज-मस्ती के लिए भी निकालें। दोस्तों से मिलिए, उनके साथ घूमिए और बिलकुल फ्री होकर चिल करिए। इस समय किसी भी बात का बोझ अपने मन में रखने से बचें।

बनें अपने दोस्त

हर किसी के व्यक्तित्व के कई पक्ष होते हैं, जो सबके सामने अलग होते हैं। दिन के एक समय में खुद को पहचानने की कोशिश की जानी चाहिए। उस समय आप सिर्फ 'आप’ होने चाहिए, इससे अपने कमज़ोर व मज़बूत पहलुओं को समझ सकेंगे।

आज में जिएं

जो हो गया, वह पल लौट कर नहीं आएगा और जो होने वाला है, वह हो कर ही रहेगा। इसलिए इन दोनों के बारे में चिंतित होने से बेहतर है कि अपना आज सहेजें और संवारें। वर्तमान सुधारने से आपका भविष्य खुद ब खुद सुरक्षित हो जाएगा।

सखी फीचर्स# साइकोलॉजिस्ट सुनीता सनाढ्य से बातचीत पर आधारित

 

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