Tips For Parents During Board Exams In Hindi: कुछ ही दिनों में बच्चों के 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। बोर्ड एग्जाम से पहले बच्चों पर प्री-बोर्ड एग्जाम में अच्छा परफॉर्म करने का प्रेशर देखने को मिलता है। एग्जाम चाहे कोई भी हो अधिकतर बच्चे इसको लेकर स्ट्रेस में आ जाते हैं। कई बार प्री-बोर्ड एग्जाम में अच्छे नंबर लाने के लिए बच्चे दिन रात पढ़ाई में लगे रहते हैं। घंटों रिवीजन करते हैं, लेकिन स्ट्रेस में उन्हें कुछ भी याद नहीं रहता है। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वो अपने बच्चों की मदद करें, ताकि वह एग्जाम के स्ट्रेस से बाहर आकर पढ़ाई में मन लगा सकें। बोर्ड और प्री बोर्ड एग्जाम को देखते हुए आज हम आपको इस लेख में माता-पिता को कैसे बच्चों का स्ट्रेस कम करना चाहिए इसके बारे में विस्तार से बताएंगे। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने तुलसी हेल्थकेयर के डायरेक्टर और वरिष्ठ सलाहकार मनोचिकित्सक डॉ. गौरव गुप्ता से बातचीत की।
बच्चों में एग्जाम स्ट्रेस के लक्षण - Exam Stress Symptoms In Children In Hindi
डॉ. गौरव गुप्ता की मानें तो बच्चों में एग्जाम स्ट्रेस से बचाने से पहले स्ट्रेस के लक्षणों को जानना बहुत जरूरी है। आइए पहले जान लेते हैं बच्चा अगर एग्जाम के स्ट्रेस में है तो उसमें क्या लक्षण दिखाई देते हैं।
- एक्सपर्ट के अनुसार अगर आपका बच्चा अचानक से काफी शांत और मायूस हो जाता है। स्ट्रेस में बच्चों को दूसरों से बात करना समय की बर्बादी लगती है।
- एग्जाम स्ट्रेस की वजह से बच्चा अपने खानपान पर ध्यान नहीं देता है। इसके विपरीत कई बार बच्चा स्ट्रेस में ज्यादा खाना खाने लगता है।
- एग्जाम के स्ट्रेस की वजह से बच्चों में चिड़चिड़ापन आने लगता है। कई बार बच्चे बात-बात पर गुस्सा भी दिखाते हैं।
- तनाव की वजह से बच्चों को नींद नहीं आती है। बच्चा रात को देर रात तक जगता और सुबह जल्दी उठ जाता है तो पेरेंट्स को उससे बात करनी चाहिए।
एग्जाम के स्ट्रेस को दूर करने के लिए पेरेंट्स अपनाएं ये उपाय
पढ़ाई का शेड्यूल बनाएं प्री-बोर्ड एग्जाम नजदीक हैं इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि बच्चा दिन के 24 घंटे पढ़ता ही रहे। बच्चों की पढ़ाई के लिए एक शेड्यूल जरूरी है। पेरेंट्स को बच्चों की पढ़ाई का शेड्यूल ऐसा बनाना चाहिए, जिसमें उन्हें खेलने और फिजिकल एक्टिविटी करने का भी टाइम मिलें। एक्सपर्ट का कहना है कि लंबे समय तक पढ़ाई करना बच्चों को मानसिक तौर पर परेशान कर सकता है। बीच-बीच में पढ़ाई से ब्रेक मिलने से बच्चों पर बोझ कम होता है और उनमें एकाग्रता भी बढ़ती है।
बच्चों पर न डालें दबाव
अगर आप चाहते हैं कि बच्चा प्री-बोर्ड और बोर्ड एग्जाम में अच्छे नंबर लेकर आए इसके लिए उनसे पढ़ाई को लेकर ज्यादा सवाल न करें। जब पेरेंट्स बच्चों से ज्यादा सवाल-जवाब करते हैं, तो उसके दिमाग पर असर पड़ता है। ऐसे में बच्चा दबाव में आ जाता है और स्ट्रेस फील करने लगता है।
बच्चों की परेशानियों को सुने
एग्जाम स्ट्रेस की वजह से बच्चे अक्सर अपने दोस्तों से भी नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स का फर्ज बनता है कि वह बच्चों की परेशानियों को सुने। जब आप बच्चों की परेशानियों को सुनते हैं तो उन्हें अच्छा लगता है और स्ट्रेस का लेवल कम करने में मदद मिलती है।
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समझाने की कोशिश करें
बच्चों पर एग्जाम का स्ट्रेस तब ज्यादा बनता है जब पेरेंट्स उन पर अच्छे नंबर लाने का प्रेशर बनाते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार पेरेंट्स को बच्चों के साथ बात करनी चाहिए। उन्हें समझाना चाहिए कि एग्जाम के नंबर ही सबकुछ नहीं है। अगर वह एवरेज मास्क भी लेकर आते हैं तो भविष्य में कुछ बेहतर कर सकते हैं।
ब्रीदिंग टेक्निक सिखाएं
पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को बीच-बीच में डीप ब्रीथिंग जैसी एक्सरसाइज करने के लिए करें। दरअसल, कभी-कभी एग्जाम की तैयारियों के बीच बच्चा जब प्रश्न को सही तरीके से सॉल्व नहीं कर पाता है। ऐसे में बच्चा प्रेशर महसूस करता है और तनाव में आ जाता है। ऐसे में पेरेंट्स को कोशिश करनी चाहिए कि वे पढ़ाई के बीच डीप ब्रीथिंग करें। इससे उन्हें काफी ज्यादा हल्का महसूस होगा और उनका फोकस भी बढ़ेगा। उम्मीद करते हैं आप डॉक्टर गौरव गुप्ता की बातों को फॉलो करेंगे और एग्जाम के स्ट्रेस से बच्चों को बचाएंगे।
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With Inputs : Dr Gorav Gupta, Senior Consultant Psychiatrist, Founder & Director – Tulasi Healthcare