प्रीनेटल योगा के क्या फायदे हैं? प्रीनेटल यानी प्रसव-पूर्व काल में योगा करना गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि इससे डिलीवरी के प्रोसेस में आसानी होती है। गर्भवस्था में आपको कई शारीरिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है जिससे आराम दिलाने में योगा आपकी मदद करता है। कई स्टडीज के बाद डॉक्टर ये मानते हैं कि योगा करने से डिलीवरी के दौरान दर्द को कम करने में भी योगा फायदेमंद है इसलिए आपको नौ महीने आसान योगा को जरूर अपने रूटीन में शामिल करना चाहिए। इस लेख में हम 5 आसान प्रीनेटल योगा पोज के बारे में जानेंगे। इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने लखनऊ के रवींद्र योगा क्लीनिक के योगा एक्सपर्ट डॉ रवींद्र कुमार श्रीवास्तव से बात की।
1. परिघासन (Gate Pose or Parighasana)
परिघासन को गेट पोज के नाम से भी जाना जाता है। इस योग की मदद से आपके एब्डॉमिन में मसल्स के स्ट्रेच होने से थोड़ी जगह बनेगी जिससे आपको गर्भस्थ शिशु का भार ज्यादा महसूस नहीं होगा। परिघासन को करते समय बॉडी पर ज्यादा जोर न दें, इससे नस खिंच सकती है।
तरीका:
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- 1. परिघासन को करने के लिए आप नीचे मैट बिछाकर बैठ जाएं।
- 2. दोनों घुटनों के बीच थोड़ी दूरी बना लें।
- 3. आप दाईं पैर को फैलाए जिससे तलवे जमीन पर टच करें।
- 4. दाएं हाथ को दांए पैर पर रखें।
- 5. बाएं हाथ को सांस छोड़ते हुए दाईं ओर लेकर जाएं।
- 6. गहरी सांस लेते और छोड़ते रहें, शरीर को दाईं ओर रखें।
- 7. इस अवस्था में कुछ देर रुकने बाद धीरे से सामान्य अवस्था में आ जाएं।
2. बद्ध कोणासन (Cobbler's pose or Baddha Konasana)
कई महिलाओं में गर्भस्थ शिशु का वजन बढ़ने के कारण मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होता है, इस समस्या को दूर करने के लिए आप बद्ध योग करें। बद्ध कोणासन को करने से इनर थाइज की स्ट्रेचिंग हो जाती है। अगर आपको इसे करने में परेशानी हो तो घुटने के नीचे तकिया भी लगा सकती हैं।
तरीका:
- 1. घुटनों को मोड़कर नीचे बैठ जाएं।
- 2. दोनों एड़ियों को पेट के ठीक नीचे जोड़कर रखें।
- 3. अंगूठे और पहली उंगली की मदद से पैर के बड़े अंगूठे को पकड़ लें।
- 4. दोनों पैरों के अंगूठे को पकड़कर इसी मुद्रा में 2 से 3 मिनट रहें फिर सांस खींचते हुए पैरों को सीधा कर लें।
3. वीरभद्रासन-2 (Virabhadrasana 2)
वीरभद्रासन-2 करने से पैरों को मजबूती मिलेगी और आपके हिप्स की मांसपेशियों में कसाव महसूस नहीं होगा। ये योग भी उन गर्भवती महिलाओ के लिए फायदेमंद है।
तरीका:
- 1. वीरभद्रासन-2 करने के लिए मैट बिछाकर बैठ जाएं या सीधे खड़ी हो जाएं।
- 2. दोनों पैरों को फैला लें और दोनों हाथों को सीधा कर लें।
- 3. दाएं पैर के पंजे को आपको 90 डिग्री के कोण पर घुमाना है और बाएं पैर के पंजे को 45 डिग्री पर घुमाएं।
- 4. सिर को दाईं ओर रखते हुए सामने देखें।
- 5. दाईं पैर के घुटने को मोड़ें और 90 डिग्री का कोण बनाएं।
- 6. इस अवस्था में 30 से 60 सेकेंड के लिए रहें और फिर दूसरे पैर से इसे रिपीट करें।
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4. मार्जरी आसन (Cat-Cow pose)
कैट-काऊ पोज करने से गर्भवस्था में स्पाइन को मजबूती मिलती है और गर्भस्थ शिशु को इससे डिलीवरी के दौरान सही पोजिशन मिलती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को ये योग जरूर करना चाहिए।
तरीका:
- 1. घुटने और हाथों के बल जमीन पर आ जाएं।
- 2. कमर के ऊपरी भाग को बाहर की तरफ लेकर जाएं और सिर को छाती की तरफ घुमा लें।
- 3. अब मुद्रा बदलें, सिर को बाहर की तरफ और कमर के ऊपरी भाग को अंदर की तरफ ले जाएं।
- 4. इस मुद्रा को दो से तीन बार रिपीट करें।
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5. विपरीत करणी योग (Viparita Karani yoga)
विपरीत करणी योग गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे आसान योग है। इसे करने से पैर और एड़ी में आई सूजन की समस्या दूर होती है।
तरीका:
- 1. फर्श पर पीठ के बल लेट जाएं।
- 2. हिप्स के नीचे तकिया लगाकर, पैरों को जमीन पर टिका लें।
- 3. दोनों पैरों को 90 डिग्री कोण तक ऊपर उठायें।
- 4. आपकी पीठ और सिर, फर्श पर होने चाहिए।
- 5. आंखें बंद करके इस अवस्था में कुछ देर रहें फिर सामान्य अवस्था में लौट आएं।
गर्भावस्था में आपको कोई बीमारी या अंदरूनी दर्द है तो डॉक्टर की सलाह पर ही इन योगा को करें, इसके अलावा आप किसी के सामने ही योगा का अभ्यास करें, जिससे आप सुरक्षित रहेंगी।
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