भावनाओं को नियंत्रित करना सिखाए ज्ञान योग, जानिए करने का तरीका और इसके फायदे

ज्ञान योग नियमित रूप से करने से आपके मन को शांति मिलती है। साथ ही इससे आपको कई अन्य फायदे होते हैं। चलिए जानते हैं इसकी विधि-
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भावनाओं को नियंत्रित करना सिखाए ज्ञान योग, जानिए करने का तरीका और इसके फायदे


कोरोनाकाल में कई लोगों का ध्यान योग की तरहफ फिर से आकर्षित होने लगता है। योग हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत ही नहीं, पूरे विश्व में योग की चर्चा है। योग में कई तरह के आसन होते हैं। इन आसन की जानकारी हमें काफी कम है। योग के इन्हीं आसन में से एक है ज्ञान योग। इस योग के करने से मन को शांति मिलती है। साथ ही इससे आपका दिमाग तेज होता है और एकाग्रता बढ़ती है। चलिए जानते हैं इस योग के फायदे (Benefits and Step to Do Jnana Yoga) और करने का तरीका? 

ज्ञान मुद्रा का तरीका  (How to Do Jnana Yoga)

  • ज्ञान योग करने के लिए एक साफ स्थान पर योगा मैट बैठा दें। 
  • इसके बाद मैट पर सुखासन, वज्रासन या फिर  पद्मासन मुद्रा में बैठ जाएं। इस मुद्रा को आप खड़े होकर ताड़ासन में या कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते हैं। आप अधिक लाभ के लिए सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं।
  • अब अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और हाथों की हथेलियों को ऊपर की ओर आकाश में करें।
  • अब अपनी तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) को गोलाकार मोडकर अंगूठे अग्रभाग को स्पर्श करें।
  • इस दौरान आपको अपनी तीनों उंगलियों को सीधा रखना चाहिए।
  • यह मुद्रा आपको दोनों हाथों से करना है। इसके बाद आंखे बंद करके नियमित श्वसन करें।
  • इस दौरान चाहें, तो आप ॐ का उच्चारण भी कर सकते हैं। साथ ही मन के सारे विचार को निकालकर फेंक दें। 
  • दिनभर में करीब 30 से 45 मिनट तक इस मुद्रा में बैंठे और पुन: अपनी मुद्रा में वापस आ जाएं।

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ज्ञान योग के सात चरण (Seven Stages Of Jnana Yoga)

ज्ञान योग का अभ्यास करने के लिए आपको 7 चरणों से होकर गुजरना होगा। ये सभी तरह आपको गहराई तक ले जाएंगें और ज्ञान का अनुभव कराएंगे।

शुभेच्छा : पहला चरण है शुभेच्छा, जिसका अर्थ सत्य की तलाश। इस चरण में व्यक्ति को सत्य की खोज करनी होती है, जिसमें संस्कृत के कई ग्रंथों का अध्ययन किया जाता है। साथ ही इसमें आपको अपने मन की लालसा को कम करना होता है। 

विचारणा : ज्ञान योग का दूसरा चरण है विचारणा। इसमें आपको किसी भी विषय पर पूछताछ, जांच और विचार करना होता है। यानि इस चरण में आपको अपने मन में उठे सवालों पर विचार करने की जरूरत होती है। साथ ही उसका अर्थ और उद्देश्य जानना होता है। 

तनुमानसी : तीसरा चरण है तनुमानसी। इसमें व्यक्ति को अपने जरूरी बातों को समझने की जरूरत होती है। इससे मन की एकाग्रता बढ़ती है। इसके माध्यम से व्यक्ति आसानी से अपना ध्यान केंद्रित कर पाता है। 

सत्वापत्ति : चौथे चरण तक आते-आते व्यक्ति का मन पूरी तरह के शुद्ध हो जाता है। व्यक्ति के मन से सारे सांसारिक लालच दूर हो जाते हैं और वह पूरी दुनिया की चीजों को एक समान रूप से देखता है। 

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असंसक्ति : इस योग के पांचवे चरण में व्यक्ति पूरी तरह से निस्वार्थ हो जाता है। उन्हें सभी कार्य के प्रति आनंद महसूस होता है। इसमें व्यक्ति भ्रम की दुनिया से मुक्त हो जाता है। 

पदार्थभावनी : इस चरण में व्यक्ति सारे सांसारिक भ्रम से दूर हो जाता है। इसमें व्यक्ति खुद के वास्तविकता को पहचानने लगता है। व्यक्ति सारे काल्पनिक चीजों से मुक्त हो जाते हैं।

तुरीय : आखिरी चरण तक आते-आते व्यक्ति वास्तविकता से परिचित हो जाते हैं। व्यक्ति अपने मन को पूरी तरह से साधना में समर्पित कर देते हैं। इसमें व्यक्ति खुद को अध्यात्म के प्रति समर्पित कर देते हैं।

ज्ञान योगा के फायदे (Benefits of Jnana Yoga)

  • भावनाओं पर नियंत्रण सिखाए
  • दर्द और दुख से मुक्ति दिलाए
  • सुरक्षा भावना को विकसित करे
  • बेहतर निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाए
  • अहंकरार और स्वार्थ दूर करने में है असरदार
  • अवसाद और तनाव कम करे
  • याददाश्त क्षमता को बढ़ाए

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