यदि आप गर्भावस्था के 37वें सप्ताह में हैं तो इसका मतलब हुआ कि आप तीसरे ट्राइमेस्टर में हैं। इस हफ्ते से गर्भावस्था के अंतिम चरण की शुरूआत हो जाती है। आपने अभी तक गर्भस्थ शिशु के साथ ही अपना भी पूरा खयाल रखा है।
आने वाले समय में आपको इससे ज्यादा देखभाल करने की जरूरत है। आखिरी कुछ सप्ताह रोमांचक और तकलीफदेह होते हैं, जिनमें से 37वां सप्ताह भी एक है। इस समय गर्भवती महिला के मन में कई तरह के अच्छे और बुरे विचार आते हैं। आपको जरूरत है हिम्मत से काम लेने की। आइए जानें गर्भावस्था के सैतीसवें सप्ताह में होने वाले बदलावों के बारे में।
लक्षण
- 37वें सप्ताह में आपको पेल्विक पेन से गुजरना पड़ सकता है।
- इस समय में आपको स्तानों में पहले से अधिक भारीपन महसूस होगा।
- कई बार 37वें सप्ताह तक भारी पीड़ा होने लगती है फिर चाहे डिलीवरी हो या न हो।
- 37वें सप्ताह में और इसके बाद आपको लगतार डॉक्टर के संपर्क में रहना जरूरी होता है और सभी चेकअप करवाने भी आवश्यक है, क्योंकि इस समय में शरीर में सबसे अधिक और जल्दी-जल्दी बदलाव होने लगते हैं।
- इस अवस्था में आपको प्रसव की शंका, घबराहट और उत्तेजना लगातार बढ़ती जाती है।
- 37वें सप्ताह में गर्भवती महिला का वजन 25 से 35 पाउंड तक बढ़ जाता है।
- इस सप्ताह में नींद न आने की शिकायत व असहजता भी महसूस होती है।
- इस सप्ताह में गर्भवती महिला का मूड लगातार बदलता रहता है और चिड़चिड़ापन भी बढ़ जाता है।
बच्चे का विकास
- इस समय में आपके होने वाले बच्चे का वजन करीब 6.5 पाउंड होगा।
- बच्चे की लंबाई सिर से लेकर पैर तक लगभग 20 इंच तक पहुंच जाती है।
- इस सप्ताह में बच्चा लगातार विकसित होता रहता है।
- होने वाले बच्चें के इस अवस्था तक सिर पर बाल भी आ जाते हैं। हांलाकि यह जरूरी नहीं कि सभी बच्चों के साथ ऐसा हो।
- बच्चा गर्भावस्था के बाहर की जीवनशैली इस सप्ताह तक आते-आते जीने लगता है यानी बच्चा ठीक से सांस ले पाता है और बच्चे का फैट अंतिम सप्ताहों में लगातार बढ़ता है।
गर्भावस्था के 37 वें हफ्ते में आहार
- गर्भवस्था के तीसरे ट्राइमिस्टर में गर्भवती महिला को 350 किलो से अधिक कैलोरी की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में कैलोरी की सही मात्रा लेनी चाहिए।
- कैलोरी बढ़ाने के साथ ही गर्भवती महिला के भोजन में प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल की मात्रा भी बढ़ा देनी चाहिए।
- गर्भावस्था के दौरान हरी सब्जियां और फल, जूस इत्यादि लेना आवश्यक है।
- पेय पदार्थों पर खासा ध्यान देना चाहिए। ऐसे में सूप, नारियल पानी, ताजा फलों का रस लेना चाहिए।
- मसालेदार खाने को छोड़कर हल्का और फाइबर युक्त भोजन करना चाहिए।
- खाना बहुत देर रात तक न आएं अन्याथा एसीडिटी की समस्या हो सकती हैं।
- डेयरी पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए।
- खाने के बाद टहलना बहुत जरूरी है। साथ ही एक साथ बहुत ज्यादा खाना न खाएं बल्कि बीच-बीच में खाते रहें व धीरे-धीरे खाएं।
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