आजकल महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं, ऐसे में करियर के कारण लोग शादी देर से करते हैं। 30 की उम्र के बाद शादी के बाद कपल्स एक दूसरे को समझने के लिए भी समय लेते हैं और ऐसे में प्रेग्नेंसी भी लेट प्लान करते हैं। दरअसल, करियर की प्राथमिकता, सही समय का इंतजार और अन्य कारणों के चलते कई महिलाएं देर से मां बनने का फैसला करती हैं। हालांकि, उम्र बढ़ने के साथ गर्भधारण के दौरान जोखिम भी बढ़ जाते हैं। लेट प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर, जेस्टेशनल डायबिटीज और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है, इसके साथ ही नॉर्मल डिलीवरी की जगह सी-सेक्शन की संभावना भी बढ़ जाती है।। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की है।
लेट प्रेग्नेंसी में क्या रिस्क होते हैं?
1. उम्र के साथ, प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली समस्याएं ज्यादा बढ़ सकती हैं। इनमें हाई ब्लड प्रेशर और जेस्टेशनल डायबिटीज जैसी स्थितियां शामिल हैं, जिससे मां और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
2. लेट प्रेग्नेंसी यानी 35 वर्ष की उम्र के बाद अगर महिला प्रेग्नेंट होती है तो गर्भपात और प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है। उम्र बढ़ने के साथ महिला के शरीर में होने वाले अंडों की क्वालिटी में कमी आ सकती है, जिससे गर्भपात का खतरा रहता है। इसके अलावा, प्रीमैच्योर डिलीवरी से जुड़ी समस्याएं भी ज्यादा होती हैं।
3. लेट प्रेग्नेंसी में गुणसूत्र संबंधी असामान्यताएं यानी क्रोमोसोमल असामान्यताओं का खतरा भी बढ़ जाता है। जिससे जन्म के बाद बच्चे में डाउन सिंड्रोम जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
4. उम्र बढ़ने के साथ, सी-सेक्शन (सिजेरियन डिलीवरी) की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि लेबर के दौरान शरीर के रिएक्शन में कमी आ सकती है। इसके अलावा, लेट प्रेग्नेंसी में पोस्टपार्टम हेमोरेज (डिलीवरी के बाद अत्यधिक खून बहना) का खतरा भी बढ़ जाता है।
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लेट प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी सावधानियां
1. रेगुलर टेस्ट करवाएं
लेट प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भावस्था की शुरुआत से ही प्रेग्नेंट महिला को डॉक्टर की निगरानी में रहना चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर अल्ट्रासाउंड और अन्य गर्भावस्था के विकास को ट्रैक करने वाले टेस्ट समय से करवाएं, जिससे किसी भी संभावित समस्या का समय रहते पता लगाया जा सकता है।
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2. हेल्दी लाइफस्टाइल और खानपान
लेट प्रेग्नेंसी में हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल को फॉलो करना बेहद जरूरी है। पौष्टिक डाइट, जिसमें प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और फाइबर शामिल हो, गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं। इसके अलावा, धूम्रपान और शराब से पूरी तरह परहेज करना चाहिए।
3. मेडिकल हिस्ट्री की जानकारी
अगर परिवार में कोई जेनेटिक या क्रोमोसोमल समस्या है, तो डॉक्टर को इसकी जानकारी जरूर दें।
4. स्ट्रेस मैनेजमेंट
गर्भावस्था के दौरान मानसिक तनाव से बचें, स्ट्रेस से गर्भावस्था के दौरान कई समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए ध्यान, योग और अन्य रिलैक्सेशन थेरेपी लें। मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखना लेट प्रेग्नेंसी में बेहद जरूरी है।
5. फिजिकल एक्टिविटी
गर्भावस्था के दौरान हल्की फुल्की एक्सरसाइज या योग का अभ्यास करना फायदेमंद होता है। यह न केवल शारीरिक फिटनेस को बनाए रखता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर होता है। हालांकि, किसी भी एक्सरसाइज या योग से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
निष्कर्ष
लेट प्रेग्नेंसी में कुछ जोखिम जरूर होते हैं, लेकिन डॉक्टर की नियमित निगरानी, हेल्दी लाइफस्टाइल और मानसिक शांति बनाए रखने से आप और आपका बच्चा सुरक्षित रहेंगे।
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