
गर्भावस्था के दौरान महिला का शरीर कई बदलावों से गुजरता है और कई परेशानियों का सामना भी करता है। गर्भधारण के बाद पहली तिमाही में सबसे ज्यादा मॉर्निंग सिकनेस की समस्या होती है। मॉर्निंग सिकनेस सिर चकराने और उल्टी की शिकायत होती है।
हालांकि मॉर्निंग सिकनेस कोई गंभीर बीमारी नही है लेकिन यदि इसपर ध्यान न दिया जाये तो मुसीबत हो सकती है। कभी-कभी मॉर्निंग सिकनेस के लक्षण इतने तीव्र हो जाते हैं कि बार-बार उल्टी होने लगती है और शरीर से अधिक मात्रा में पानी निकल जाता है। इससे निर्जलीकरण की नौबत हो जाती है और इसका प्रभाव जच्चा और बच्चा पर पड़ता है।
मॉर्निंग सिकनेस में होने वाली परेशानियां
गर्भधारण करने के बाद नियमित रूप से होने वाली मॉर्निंग सिकनेस कोई बीमारी नही है। यह गर्भावस्था के दौरान शरीर में हानेवाले बदलाव का एक हिस्सा है। लेकिन जब मॉर्निंग सिकनेस के दौरान यदि बार–बार और ज्यादा मात्रा में उल्टियां होने लगे और इसके कारण उसके पेट में कोई भी अन्य तरल पदार्थ का रुकना मुश्किल हो जाए तो इसपर ध्यान दीजिए।
इस वजह से महिला को बहुत ज्यादा थकावट और बेचैनी हो सकती है। इस तरह के गंभीर मॉनिंग सिकनेस को हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम कहते हैं, और इससे गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
मॉर्निंग सिकनेस अगर लम्बे समय तक बनी रहती है तो इससे गर्भवती महिला का वजन लगातार कम होता जाएगा, इसका असर मां और बच्चे पर पड़ सकता है। ऐसे में भ्रूण को उचित पोषण नहीं मिलेगा और समय से पहले शिशु के जन्म होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
मॉर्निंग सिकनेस से बचने के उपाय
- सुबह बिस्तर से उठते ही तुरंत चलने फिरने की कोशिश कीजिए।
- खाली पेट न रहें, उठने के बाद हल्का स्नैक्स अवश्य लीजिए।
- प्रतिदिन सुबह अदरक की चाय लेने से मॉर्निंग सिकनेस ठीक होती है।
- एपल सिडर विनेगर को शहद के साथ लेने पर मॉर्निंग सिकनेस का उपचार आसानी से हो सकता है।
- पानी, नीबू के रस और पुदीने का मिश्रण लेने से मार्निंग सिकनेस का इलाज होता है।
- थोड़ी-थोड़ी देर पर खाने से भी मॉर्निग का इलाज हो सकता है।
- मॉर्निंग सिकनेस से ग्रस्त होने पर तला हुआ खाने से बचना चाहिए।
- सही मात्रा में कैल्सियम और विटामिन बी लेने से मॉर्निंग सिकनेस का उपचार होता है।
- अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य-पदार्थ का सेवन करके मॉर्निंग सिकनेस से बचा जा सकता है।
मॉर्निंग सिकनेस में दवाओं के प्रयोग से बचना चाहिए, क्योंकि यदि इस दौरान दवाओं का अधिक सेवन किया गया तो इसका असर बच्चे पर पड़ता है और बच्चे के अंगो का समुचित विकास नही हो पाता। यदि आप मॉर्निंग सिकनेस से परेशान हैं तो चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें।
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