प्रजनन आयु में अधिकांश महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (Polycystic Ovarian Syndrome Or PCOS) नामक एक हार्मोनल विकार से पीड़ित है। स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति के बारे में अधिक जागरूकता की आवश्यकता है। क्योंकि यह आगे चलकर परेशानी बढ़ा सकते हैं। हालांकि, इसे उचित आहार और जीवन शैली द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
एक अनुमान के मुताबिक, हर पांच भारतीय महिला में एक महिला पीसीओएस से पीड़ित है। यदि समय पर इस समस्या का समाधान न किया जाए तो स्थिति गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है। द हिन्दू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीसीओएस कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक ऐसी स्थिति है जो खुद को अलग-अलग तरीकों से पेश कर सकती है। जबकि कम उम्र और थोड़े बड़े उम्र की महिलाएं अनियमित पीरियड्स, हिर्सुटिज़्म (अनचाहे पुरुष-पैटर्न बाल विकास) और मोटापे का अनुभव कर सकती हैं।
इससे इनफर्टिलिटी, मिसकैरेज और कुछ गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा PCOS के साथ गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है। ऐसी कंडीशन में अगर कोई महिला गर्ल चाइल्ड को जन्म देती है तो उसे भी भविष्य में PCOS की समस्या हो सकती है।
PCOS के साथ महिलाओं को डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं के विकास का एक उच्च जोखिम है। एक्सपर्ट की मानें तो मोटापा हार्मोनल असंतुलन का प्रमुख कारण हो सकता है। एक आदर्श बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 25 है, लेकिन जब कोई मोटा होता है, तो बीएमआई 27-28 से अधिक हो जाता है और यह खतरनाक हो सकता है। पीसीओएस एक आजीवन स्वास्थ्य की स्थिति है, लेकिन कोई इसे उचित आहार और वजन का नियंत्रण कर इसे सही किया जा सकता है। लो कार्बोहाइड्रेट, हाई प्रोटीन और नियमित रूप से व्यायाम और सही आहार इस समस्या का समाधान है। पीसीओएस को जड़ से खत्म करते हैं ये नेचुरल तरीके
डॉक्टरों का कहना है कि मोटापे से पीड़ित महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) आम है। लगभग 80% पीसीओएस रोगी मोटापे के शिकार हैं, इसके पीछे महिलाओं की खराब जीवनशैली, खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी है, इससे खतरा बढ़ भी सकता है। चेहरे पर जमी चर्बी से छुटकारा दिलाएंगे ये 5 आसान उपाय
पीसीओएस क्या है और यह कैसे निर्धारित होता है:
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) प्रजनन आयु में महिलाओं में एक हार्मोनल विकार है। यह बांझपन या इफर्टिलिटी का एक प्रमुख कारण हो सकता है। पीसीओएस एक सिंड्रोम है, न कि बीमारी। यह एक आजीवन स्थिति है जो बच्चे पैदा करने के बाद भी बहुत आगे तक जारी रह सकता है।
PCOS के लक्षण
- ओवुलेशन की कमी के कारण अनियमित पीरियड्स या पीरियड का न आना
- पुरुष हार्मोन के उच्च स्तर के कारण चेहरे के बाल, मुंहासे, बालों का पतला होना
- अल्ट्रासाउंड में देखा गया अंडाशय पर कई छोटे अल्सर
PCOS का कारण
- अस्वास्थ्यकर आहार और शारीरिक व्यायाम की कमी के कारण मोटापा (अतिरिक्त वजन)
- पारिवारिक इतिहास: जिन महिलाओं की मां या बहन को पीसीओएस या टाइप 2 डायबिटीज है, उनमें पीसीओएस विकसित होने की संभावना अधिक होती है
- इंसुलिन प्रतिरोध (टाइप 2 डायबिटीज)
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PCOS से होने वाले खतरे
भारी और दर्दनाक पीरियड, मधुमेह, गर्भावधि मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, स्ट्रोक जैसे चयापचय संबंधी समस्याएं। इसके अलावा, गर्भाशय का कैंसर और अवसाद व चिंता शामिल है।
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PCOS का इलाज
सबसे पहले किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें। यदि कोई लक्षण नजर आए तो आप पीसीओएस है या नहीं, डॉक्टर से पूछें। डायबिटीज की जांच कराएं। यदि पीसीओएस है तो वजन कम करें। संतुलित, लो कार्बोहाइड्रेट और उच्च प्रोटीन युक्त आहार लें। शारीरिक गतिविधि में वृद्धि करें। इसके लिए डॉक्टर आपको कुछ दवाएं लिख सकता है।
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