बच्चों का व्यक्तित्व संवारने के लिए माता-पिता को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए उन्हें बच्चों की हर छोटी-छोटी आदतों पर निगाह रखनी पड़ती है। साथ ही उनके खेलने-कूदने को लेकर कई बातें समझनी होगी। बच्चों को हमेशा खुला छोड़कर रखना चाहिए। खेलने-कूदने के लिए डांटना नहीं चाहिए और न ही भावनात्मक रूप से कमजोर बनाना चाहिए। उनके शारीरिक विकास के लिए खेल जरूरी है। वहीं उनके मानसिक विकास के लिए भावनात्मक मजबूती जरूरी है। बच्चों का व्यक्तित्व विकास कैसे किया जाए ये एक बड़ा सवाल माता-पिता के मन में होता है। यहां हम आपको कुछ ऐसे टिप्स दे रहे हैं जिसके माध्यम से आप बच्चों का व्यक्तित्व विकास आसानी से कर सकेंगे।
खेल एक फायदे अनेक
हर प्रकार के खेल विकसित करते हैं बच्चों का व्यक्तित्व, चाहे इनडोर खेल हों या आउटडोर। तो अगली बार जब आपका बच्चा खेल का समय बढ़ाने की मांग करें, तो हिचकें नहीं। क्योंकि यह सिर्फ खेल नहीं, बच्चे के व्यक्तित्व का भी सवाल है।
ज़्यादा रोक-टोक नहीं
उम्र बढ़ने के साथ ही बच्चे के पसंद के खेल का निर्णय करने की प्राथमिकता उसे दें क्योंकि चोर सिपाही या साइकिल चलाने जैसा खेल भी आपके बच्चे को बहुत कुछ सिखाता है। इन खेलों के प्रभाव से उनमें टीम में काम करने की कला और सहनशक्ति विकसित होती है।
शारीरिक विकास इतना आसान
पेड़ों पर चढ़ने से लेकर, सीढि़यों से कूदने तक के खेल बच्चों के शरीरिक विकास में सहायक होते हैं । दौड़ने, गेंद फेंकने और साइकिल चलाने जैसे खेलों से बच्चेन में स्वतंत्रता की भावना आती है। तो शारीरिक विकास के लिए इससे आसान क्या हो सकता है।
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सामाजिक कौशल को ऐसे दें बढ़ावा
बच्चे में सामाजिक कौशल को बढ़ावा देने के लिए उसे ग्रुप में खेलने के लिए प्रोत्साहित करें और उसे लोगों का ख्या़ल रखने की सीख दें। उन्हें अपने खिलौने अपने दोस्तों से बांटने के लिए प्रेरित करें।
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भावनात्मक मजबूती क्यों है ज़रूरी
तरह–तरह के खेल खेलने से बच्चे में तनाव कम होता है और बच्चा भावनात्मक तौर पर मजबूत और स्वस्थ होता है। ऐसे खेल बच्चों के लिए रचनात्मक भी कम नहीं होते।
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