Parenting Tips For Twins In Hindi: पेरेंटिंग अपने आप में एक चैलेंजिंग जॉब है। हर पेरेंट्स चाहते हैं कि वे अपने बच्चों की अच्छी तरह परवरिश करें, ताकि उनके बच्चे में किसी तरह की कोई खामी या कमी न रह जाए। वह अपने बच्चे को सफल होता देखना चाहते हैं। लेकिन, ट्विंस बच्चों के पेरेंट्स के सामने अन्य पेरेंट्स की तुलना में डबल चुनौतियां आती हैं। अगर उनकी अनदेखी की जाए, तो इसका बच्चों की मनःस्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है। यहां हम आपको ऐसी बातें बता रहे हैं, जो ट्विंस बच्चों की परवरिश के दौरान ध्यान में रखी जानी चाहिए।
तुलना न करें- Do Not Compare
विशेषज्ञ हमेशा यह सलाह देते हैं कि किसी भी बच्चे की किसी दूसरे बच्चे से तुलना नहीं करनी चाहिए। इसी तरह, घर में अगर ट्विंस बच्चे हैं, तो उनकी भी आपस में तुलना करना सही नहीं है। जबकि, ज्यादातर पेरेंट्स यह गलती करते हैं। तुलना करने की वजह से जो बच्चा कमजोर है, उसके मन में दूसरे बच्चे के लिए गुस्सा भर जाता है। कई बार, न चाहते हुए भी ऐसे बच्चे अपने ही भाई-बहन को नापसंद करने लगते हैं। ऐसा न हो, इसके लिए जरूरी है कि आप अपने बच्चों की तुलना कभी न करें।
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इंट्रेस्ट का ध्यान न रखना- Respect Their Interest
कई बार पेरेंट्स को लगता है कि बच्चे ट्विंस हैं, तो उन्हें एक जैसी चीजें पसंद आएंगी। जबकि ऐसा कभी भी किसी के साथ नहीं होता है। ध्यान रखें कि बच्चे भले ही ट्विंस हैं, लेकिन वे अलग-अलग पर्सनालिटीज हैं। उन्हें अलग-अलग दो शख्स समझें। यह न सेचें कि वे ट्विंस हैं, तो उनकी रुचियां भी एक जैसी होंगी। यह सोचकर कई पेरेंट्स अपने दोनों बच्चों एक जैसी एक्टिविटीज का हिस्सा बना देते हैं। ऐसा करने के बजाय, बच्चों से पूछें कि उन्हें क्या पसंद है।
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जिम्मेदारियां बांटें- Share Responsibillity
चाहे बच्चे ट्विंस हों या न हों, घर के हर बच्चे को उनकी जिम्मेदारियों का अहसास होना चाहिए। लेकिन, ट्विंस बच्चों में अक्सर माता-पिता उस बच्चे की ज्यादा केयर करते हैं, जो शारीरिक रूप से कमजोर होता है। कमजोर बच्चे से घर के कामकाज भी नहीं करवाए जाते, जबकि स्वस्थ और हेल्दी बच्चे पर घर की हर जिम्मेदारी होती है। इस तरह की पेरेंटिंग की वजह से एक बच्चा गैर जिम्मेदार हो सकता है। कोशिश करें कि आप बच्चों में जिम्मेदारियां बराबर में बांटें।
चीजें शेयर करना सिखाएं- Teach Them To Share
आमतौर पर ट्विंस बच्चों को हर चीज शेयर करनी पड़ती है। हालांकि, परवरिश का यह सबसे अच्छा तरीका है। शेयरिंग करने से बच्चे एड्जेस्ट करना सीखते हैं और कम चीजों में संतुष्ट कैसे होते हैं, ये समझते हैं। लेकिन, कुछ पेरेंट्स ऐसे भी हैं, जो अपने बच्चों कर हर जरूरत को पूरा करते हैं और उन्हें शेयरिंग जैसी चीजें नहीं सिखाते। पेरेंटिंग का यह तरीका बिल्कुल सही नहीं है। इससे बच्चे आप पर मेंटली डिपेंड हो जाएंगे, जो भविष्य में उन्हें मानसिक रूप से कमजोर बना सकती है।
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