दिल में प्यार का अहसास पैदा करने वाला हार्मोन ही कई दफा दर्द की वजह भी बन जाता है। 'नॉथवेस्टर्न मेडिसीन' की ओर से हुए नए अध्ययन से पता चला है कि 'आक्सीटोसिन हार्मोन' जहां प्यार के जज्बात जगाता है, वहीं बेचैनी और तनाव के लिए भी जिम्मेदार होता है।
ऑक्सीटोसिन को 'हैप्पी हार्मोन' के नाम से जाना जाता है। यह एक-दूसरे से जुड़े रहने में मदद करता है, साथ ही उन्हें खुशमिजाज भी बनाता है। मस्तिष्क के एक खास हिस्से में इसकी सक्रियता होने पर लोगों में प्यार की भावना पैदा होती है। लेकिन अगर किसी का दिल दुखता है या दर्द का अहसास होता है तो यहीं ऑक्सीटोसिन मस्तिष्क के उस हिस्से को सक्रिय कर देता है जो दर्द बढ़ाने का काम करता है। इस स्थिति में एक ही हार्मोन खुशी और दुख दोनों के लिए होता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, तनावग्रस्त होने पर ऑक्सीटोसिन डर और बेचैनी के प्रति इनसान की संवेदनशीलता भी बढ़ा देता है। इससे न सिर्फ वर्तमान, बल्कि आने वाले समय में भी लोग इस अहसास से लंबे समय तक ग्रसित रहते हैं।
अध्ययन के मद्देनजर प्रमुख शोधकर्ता जेलेना राडुलोविक बताते हैं, 'तनाव और बेचैनी को बढ़ाने व कम करने के संदर्भ में ऑक्सीटोसिन की दोहरी भूमिका को समझने के बाद हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में लोगों में इन नकरात्मक भावनाओं का स्तर कम किया जा सकेगा।'