
आम सिरदर्द की समस्या कई बार ब्रेन ट्यूमर का लक्षण होती है। शायद इसलिए ही ब्रेन ट्यूमर को साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि पहचान न होने से व्यक्ति अनजान रहता है और अंदर-ही-अंदर यह गंभीर होता जाता है। हालांकि एक शोध के अनुसार एक प्रोटीन ब्रेन ट्यूमर को बनने से रोक सकता है।
कनाडा के मैक गिल युनिवर्सिटी की शोध के अनुसार ओएसएमआर (ऑन्कोस्टैटिन एम रिसेप्टर) प्रोटीन की क्रियाशीलता को बंद कर देने से ट्यूमर का विकास रुक जाता है। यह प्रोटीन ‘ग्लियोब्लास्टोमा ट्यूमर्स’ के निर्माण के लिए आवश्यक है, जो न सिर्फ रेडिएशन व कीमोथेरेपी के प्रति प्रतिरोधी है, बल्कि सर्जरी के माध्यम से इसे निकालना भी बेहद कठिन है। शोधकर्ता अरेजू जहानी-असल के अनुसार इस तरह के ट्यूमर से ग्रस्त मरीज बमुश्किल 16 महीने से अधिक नहीं जी पाते हैं। ओएसएमआर जितना अधिक क्रियाशील होगा, मरीज की मौत उतनी ही जल्दी होगी।
शरीर में बननेवाले सेल्स कुछ समय बाद नष्ट हो जाते हैं और उनकी जगह नये सेल्स बन जाते हैं। यह एक साधारण प्रक्रिया है। जब यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, तो ट्यूमर सेल्स बनने लगते हैं। सजर्री इसका प्रमुख इलाज है। सर्जरी के दौरान अगर इस तरह की एक भी कोशिका बची रह जाती है, तो वह फिर से एक ट्यूमर का विकास कर लेती है।
यह किसी भी उम्र में हो सकता है। तीन से 15 वर्ष के बच्चों को हो सकता है। ज्यादातर 50 वर्ष के बाद होता है।
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