केरल के डॉक्टर दंपति ने बनाया एक खास कैलकुलेटर, शुरुआती ब्रेस्ट कैंसर की कर सकता है पहचान

 स्तन कैंसर की प्रारंभिक पहचान करके इसका इलाज आसानी से करवाया जा सकता है। ये breast cancer calculator इसमें मददगार है।
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केरल के डॉक्टर दंपति ने बनाया एक खास कैलकुलेटर, शुरुआती ब्रेस्ट कैंसर की कर सकता है पहचान

ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)महिलाओं में तेजी से बढ़ने वाली बीमारियों में से एक है। वहीं आज महिलाओं को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए कई सारे जागरूकता अभियान  (Breast Cancer Awareness Month 2020) चलाए जा रहे हैं। ब्रेस्ट कैंसर से बचने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि शुरुआती स्टेज पर ही इस बीमारी का पता लगा लिया जाए। हाल ही में एक डॉक्टर दंपति ने ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती स्टेज का पता लगाने के लिए एक उपकरण तैयार किया है। दरअसल केरल के तिरुवनंतपुरम में श्री गोकुलम मेडिकल कॉलेज में सामुदायिक चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. रेगी जोस और उनके पति डॉ. पॉल ऑगस्टीन ने एक ऐसा कैलकुलेटर (online risk calculator for breast cancer)बनाया है, जो कि आसानी से स्तन कैंसर के जोखिम का पता लगा सकता है।

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ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने वाला रिस्क कैलकुलेटर (breast cancer calculator)

ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम की पहचान करने वाला ये कैलकुलेटर महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत का पता लगा सकता है। इस कैलकुलेटर का नाम रिस्क कैलकुलेटर (Risk Calculator)है। ये  कैलकुलेटर,सात प्रश्नों के एक सेट का जवाब देकर स्कोर बढ़ाता है और बताता है कि किन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम है या किसमें नहीं। रिस्क स्कोर ज्यादा होने पर महिलाओं को ये मेडिकल स्क्रिनिंग का सुझाव देता है। इस तरह आप इस कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके इस बात का पता लगा सकती हैं कि कहीं आप में वैसे कुछ संकेत तो नहीं, जो कि आगे चलकर ब्रेस्ट कैंसर का रूप ले ले।

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कैसे बनाया गया है ये कैलकुलेटर  (online risk calculator for breast cancer)?

डॉ. रेगी जोस तिरुवनंतपुरम के क्षेत्रीय कैंसर केंद्र (आरसीसी) में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी की प्रमुख हैं और कई सालों से इस मोडल पर काम कर रही थीं। उन्होंने इसके लिए अपने पति ल की भी मदद ली और गेल मॉडल की उपयोगिता पर व्यापक अध्ययन किया। बता दें कि  गेल मॉडल (The Gail Model)स्तन कैंसर जोखिम मूल्यांकन उपकरण (BCRAT) एक सांख्यिकीय मॉडल पर आधारित है, जिसे गेल मॉडल के रूप में जाना जाता है, जिसका नाम NCI डिवीजन ऑफ कैंसर एपिडिओलॉजी और जेनेटिक्स की बायोस्टैटिस्टिक्स शाखा में वरिष्ठ जांचकर्ता डॉ मिशेल मिशेल के नाम पर है। इस उपकरण में एक महिला की स्वयं की व्यक्तिगत जानकारी का उपयोग किया जाता है, ताकि विशेष समय पर इनवेसिव स्तन कैंसर के जोखिम का अनुमान लगाया जा सके। जैसे कि

  • -आयु
  • -पीरियड्स की शुरुआत में उम्र
  • - पहले बच्चे के जन्म के समय मां का आयु
  • -स्तन कैंसर के वाले सबसे करीबी रिश्तेदार ( जैसे कि मां, बहनें, बेटियां)
  • -पिछले स्तन बायोप्सी की रिपोर्ट (चाहे सकारात्मक या नकारात्मक)
  • -बायोप्सी में एटिपिकल हाइपरप्लासिया की उपस्थिति
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इस तरह इन तमाम प्रश्नों के आधार पर एक महिला में उन्हें स्तन कैंसर होने के जोखिम को नापा जाता है। अगर इन तमाम प्रश्नों पर कोई महिला ज्यादा स्कोर करती है, तो उसे अपना मेडिकल स्क्रिनिंग करवाना चाहिए, ताकि समय रहते ही ब्रेस्ट कैंसर स्टेजेस की पहचान की जा सके। गौरतलब है कि ब्रेस्ट कैंसर की पहचान  (signs and symptoms of breast cancer) के लिए महिलाओं में कई और संकेत या लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जैसे कि  ब्रेस्ट के साइज में बार-बार बदलाव आना, निपल्स के रंग और साइज में बदलाव, गांठ महसूस होना और दर्द या निपल्स से हल्का तरह पदार्थ निकलना। इन तमाम लक्षणों को नजरअंदाज करना किसी भी महिला के लिए जोखिम पैदा करता है। तो महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर से बचे रहना है, तो कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर अपने ब्रेस्ट की स्क्रिनिंग करवाएं और खुद को इससे बचाए रखें। 

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